नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा और सीपीएम ने 3 दिसंबर 2024 को नोएडा दिल्ली हाईवे पर स्थित दलित प्रेरणा स्थल से किसानों की गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निंदा की है। और इसके लिए सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहराया है।
गौरतलब है कि पुलिस ने सौ से अधिक महिलाओं सहित सैकड़ों किसानों को गिरफ्तार किया है और उन्हें विरोध स्थल से जबरन हटा दिया है। किसान संगठन ने कहा है कि यह शांतिपूर्ण विरोध के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है और एसकेएम न्यायपालिका से हस्तक्षेप करने और मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह करता है। एसकेएम ने उत्तर प्रदेश के सीएम को याद दिलाया है कि पुलिस बल का उपयोग उन लोगों के ज्वलंत मुद्दों को हल नहीं कर सकता है जिन्होंने अपनी कीमती जमीन और आजीविका को थोड़े से पैसे के लिए खो दिया है।
एसकेएम ने 2 दिसंबर 2024 को किसान नेतृत्व के साथ बनी आम सहमति का खुलेआम उल्लंघन करने के लिए राजस्व और पुलिस विभाग दोनों यूपी प्रशासन के अहंकार का विरोध किया, जिसमें यूपी के मुख्य सचिव द्वारा किसान नेतृत्व के साथ चर्चा करने और मांगों को हल करने के लिए 7 दिन का समय मांगा गया था। एसकेएम का कहना है कि उनके अनुरोध के अनुसार, किसानों ने संघर्ष का स्थान अंबेडकर पार्क के दलित प्रेरणा स्थल पर स्थानांतरित कर दिया था और रात-दिन धरना संघर्ष जारी रखा था। लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया और शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे किसानों को बलपूर्वक हटा दिया गया।
ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के किसानों को प्रभावित करने वाली परियोजना का उनके भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष पिछले 18 वर्षों से अधिक समय से जारी है। 2008, 2011 और 2012 के दौरान इस संघर्ष के तहत पुलिस गोलीबारी में छह किसान शहीद हुए थे। इस परिप्रेक्ष्य में, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए-2 सरकार किसानों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 (आरएफसीटीएलएआरआर अधिनियम) बनाने के लिए मजबूर हुई थी। लेकिन 2014 में, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा नीत एनडीए 1 सरकार एलएआरआर अधिनियम 2013 को अमान्य करने के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश ले आई।
भूमि अधिकार आंदोलन के बैनर तले देश भर में किसानों के संघर्ष के कारण वे कानून बनाने में विफल रहे। उत्तर प्रदेश सहित भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों ने एलएआरआर अधिनियम 2013 का उल्लंघन करने के लिए राज्य भूमि कानून लाए थे। लेकिन किसान अपने वास्तविक भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखे और ग्रेटर नोएडा परियोजना से प्रभावित किसानों का संघर्ष इस देशव्यापी संघर्ष का हिस्सा है। किसानों का कहना है कि भूमि के सर्किल रेट में 2017 से संशोधन नहीं किया गया है। यूपी में किसानों को रोजगार और पुनर्वास सहित एलएआरआर अधिनियम 2013 द्वारा सुनिश्चित पर्याप्त, वैध मुआवजे और लाभों से वंचित किया गया है। ग्रेटर नोएडा परियोजना से प्रभावित किसान विकसित भूमि का 10% वापस पाने, भूमिहीन किसान परिवारों के लिए रोजगार, पुनर्वास और पुनर्वास के अलावा मुआवजे के रूप में सर्किल रेट की 4 गुना दर पाने के हकदार हैं।
एसकेएम का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार परियोजना प्रभावित किसानों के इन वैध अधिकारों को सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। ग्रेटर नोएडा के किसानों के अलावा, पूरे उत्तर प्रदेश में लाखों किसान परिवार भी प्रभावित हैं। एसकेएम ने सभी किसानों से अपील की है कि वे जीत हासिल होने तक लगातार संघर्ष को आगे बढ़ाएं जिससे सभी पीड़ित किसान परिवारों को न्याय मिले।
सीपीएम की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि आज नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर प्रेरणा स्थल से मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार ने 300 से ज्यादा किसानों को गिरफ्तार किया है। कल से ही यूपी पुलिस किसान और ट्रेड यूनियन नेताओं की गिरफ्तारी कर रही है। पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और कांटेदार बैरिकेड्स लगाना 2020-2021 में दिल्ली की सीमा पर हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दौरान की गई सरकारी दमनकारी नीतियों की याद दिलाता है।
ग्रेटर नोएडा के किसान, जो अखिल भारतीय किसान सभा और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले संगठित हैं, सरकार से अपनी मांगे उठा रहे हैं। उनकी मांगें हैं: जमीन अधिग्रहण के लिए उचित मुआवजा, 2017 से अटकी हुई जमीन की कीमतों की समीक्षा, और भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 जिसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया है उसे तुरंत लागू किया जाए।
सीपीआई(एम) दिल्ली राज्य कमेटी ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ इस क्रूर पुलिस कार्रवाई की निंदा की है। और मांग की है कि सभी प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा किया जाए। इसके साथ ही उसका कहना है कि यूपी सरकार और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण तुरंत किसान नेताओं से बातचीत शुरू करे और उनकी जायज मांगों को स्वीकार करे।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)
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