गुरुग्राम नमाज विवाद में अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Estimated read time 1 min read

उच्चतम न्यायालय गुरुग्राम में जुमे की नमाज अदा करने में कथित व्यवधान को लेकर हरियाणा सरकार के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए दायर याचिका तत्काल सूची बद्ध करने पर सोमवार को तैयार हो गया। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सोमवार को हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की। याचिका में गुरुग्राम में निर्दिष्ट खुले स्थानों पर मुस्लिम समुदाय को नमाज अदायगी से रोकने के मामलों में उनकी कथित निष्क्रियता के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है। सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सीजेआई के समक्ष याचिका का उल्लेख किया।

चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एसएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने पूर्व सांसद मोहम्मद अदीबी की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के कथन पर गौर किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी 2018 के उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसमें घृणा अपराधों को रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए गए थे। जयसिंह ने कहा कि यह केवल समाचारपत्र की खबरों पर आधारित नहीं है, हमने खुद शिकायत की है। हम प्राथमिकी दर्ज करने के लिए नहीं कह रहे। इस अदालत ने ही कई उपाय सुझाए हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि मैं इस पर गौर करूंगा और इसे तुरंत उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करूंगा।

जयसिंह ने कहा कि हमारी शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया। सांप्रदायिक घटनाओं पर अंकुश लगाने में निष्क्रियता के लिए हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जानी चाहिए। जयसिंह ने कहा कि ये याचिका अखबारों की खबरों पर आधारित नहीं है। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने निवारक उपाय निर्धारित किए हैं। इस अवमानना याचिका में हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, संजीव कौशल आईएएस और पीके अग्रवाल आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि 3 दिसंबर को उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण, घटनाएं और बढ़ गईं और एक बड़ा समूह नमाज के विभिन्न स्थलों पर सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी और घृणास्पद नारे लगा रहा था। याचिका एडवोकेट फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर की गई है और एडवोकेट आशिमा मंडला, इबाद मुश्ताक और आकांक्षा राय द्वारा तैयार की गई है।

अदीब ने तहसीन पूनावाला की याचिका पर पारित पूर्व फैसले का पालन नहीं करने के लिए हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए अवमानना याचिका दायर की है। गुरुग्राम में खुले में निर्दिष्ट स्थानों पर नमाज अदा करने में व्यवधान की कथित घटनाएं हुई हैं। उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2018 में, केन्द्र और राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें उन्हें कानून लागू करने वाले अक्षम अधिकारियों के खिलाफ त्वरित सुनवाई करने, पीड़ित को मुआवजा देने, निवारक सजा देने और अनुशासनात्मक कार्रवाई जैसे कदम उठाने के लिए कहा गया था।

दिशानिर्देश के अनुसार, राज्य प्रत्येक जिले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नामित करेंगे, जो पुलिस अधीक्षक रैंक से कम का नहीं हो। ये अधिकारी भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा और पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने के लिए एक कार्यबल का गठन करें, जो एक डीएसपी-रैंक के अधिकारी के निर्देश के तहत काम करेगा। दिशानिर्देशा अनुसार, कार्यबल ऐसे लोगों के बारे में खुफिया जानकारी एकत्रित करेगा, जिनके ऐसे अपराध करने की आशंका है या जो नफरत फैलाने वाले भाषणों, भड़काऊ बयानों और फर्जी खबरों को फैलाने में शामिल हैं। वहीं, राज्य सरकारें उन जिलों, उप-मंडलों और गांवों की तत्काल पहचान करेंगी, जहां हाल के दिनों में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं।

याचिका में कहा गया है कि पुलिस और प्रशासन अभद्र भाषा और सांप्रदायिक उकसावे के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे, जहां ‘गुंडे’ लोगों को नमाज पढ़ने से रोकते हैं। याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार के अफसर सांप्रदायिक और हिंसक प्रवृत्तियों को रोकने के लिए उपाय करने में असफल रहे हैं, जिस कारण हेट क्राइम होता है। याचिका में कहा गया है कि गुरुग्राम में नमाज के वक्त कुछ शरारती तत्वों के द्वारा नमाज में बाधा डाली जा रही है। भड़काऊ भाषण दिया जाता है, जिसकी शिकायत कई बार पुलिस प्रशासन से की गई लेकिन पुलिस द्वारा उचित कदम नहीं उठाया गया।

दरअसल गुरुग्राम में खुले में नमाज के विरोध पर इस महीने की शुरुआत में, सेक्टर-37 में नमाज अदा करने वाले स्थान पर तनाव की स्थिति बन गई थी। पुलिस ने इस मामले में करीब आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार भी किया था। खुले में नमाज का विरोध करते हुए हिंदू संगठनों का कहना है कि जिस सार्वजनिक जगह पर नमाज की जाती है, उस पर बाद में धर्म विशेष के लोग ‘कब्जा’ कर लेते हैं। काफी विवाद के बाद गुरुग्राम पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर ‘नमाज’ के स्थान तय किए थे। कहा गया था कि ये स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा आपसी समझ के बाद तय किए गए हैं।

बीते तीन महीनों से सेक्टर 47,सेक्टर 12 A और अब सेक्टर 37 में जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित स्थानों पर खुले में नमाज़ का विरोध किया जा रहा है।पहले जहां शहर में 37 जगह शुक्रवार को नमाज अदा की जाती थी वहीं अब ये संख्या घटकर 19 रह गई है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author