Thursday, April 18, 2024

लखीमपुर खीरी हिंसा में यूपी पुलिस के हाथ किसने बांध रखे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी

लखीमपुर हिंसा मामले में अभी तक यूपी पुलिस ने न तो कोई गिरफ़्तारी कि है न ही घटना स्थल को अभी तक सील किया है। दरअसल घटना के सूत्रधार केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री टेनी और उत्तर प्रदेश के डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्य के होने के कारण योगी सरकार के हाथ बंधे नजर आ रहे हैं क्योंकि यदि ईमानदारी से जाँच और कार्रवाई होगी तो केंद्र सरकार और योगी सरकार की चूलें हिल जाएँगी। ऐसे में देखने वाली बात होगी किउच्चतम न्यायालय में योगी सरकार क्या स्टैंड लेती है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को लखीमपुर हिंसा मामले में जांच के संबंध में कल तक एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है और यह बताने को कहा है कि इसमें कौन अरोपी है और अब तक किसकी गिरफ़्तारी हुयी है।

लखीमपुर हिंसा में 8 लोगों की जान चली गई। इनमें से चार किसान प्रदर्शनकारी थे, जिन्हें कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे द्वारा चलाए जा रहे वाहन द्वारा कुचल दिया गया था। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट में आरोपियों का ब्योरा होना चाहिए और यह उल्लेख करना चाहिए कि क्या उन्हें गिरफ्तार किया गया है? पीठ ने यूपी सरकार से कहा कि वह मृतक लवप्रीत सिंह की मां को चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करे, जो मानसिक सदमे के कारण अस्वस्थ बताई जा रही हैं।

चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ हाल ही में लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना के संबंध में स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी। जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई, चीफ जस्टिस ने कहा कि दो वकीलों ने उन्हें एक पत्र लिखा था जिसमें अदालत से इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया था। चीफ जस्टिस ने कहा कि रजिस्ट्री को जनहित याचिका के तौर पर इसे दर्ज करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर लिया गया। लेकिन यह कहते हुए कि यह कोई मुद्दा नहीं है ।

पीठ ने अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी को सुना, जो पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक हैं। त्रिपाठी ने कहा कि यूपी सरकार ने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए उचित कदम नहीं उठाए हैं। त्रिपाठी ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश देने के लिए पत्र लिखा गया था। पीठ ने कहा कि प्राथमिकी पहले ही दर्ज की जा चुकी है। उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता वरिष्ठ वकील गरिमा प्रसाद ने स्वीकार किया कि पूरी घटना दुर्भाग्यपूर्ण” थी, और एक एसआईटी का गठन किया गया है और न्यायिक जांच का आदेश दिया गया है, और आश्वासन दिया कि उचित कदम उठाए जाएंगे।

गरिमा प्रसाद ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति की गई है। उन्होंने सेवानिवृत्त न्यायाधीश का नाम लेने के निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा, जिन्हें नियुक्त किया गया है। उसने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कल तक का समय मांगा। सीजेआई ने उनसे यह भी पता लगाने को कहा कि घटना के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष दायर जनहित याचिका का क्या हुआ।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पीठ जानना चाहती है कि आरोपी कौन हैं और क्या उन्हें गिरफ्तार किया गया है। जज ने कहा कि इन सूचनाओं को भी स्टेटस रिपोर्ट में डालने की जरूरत है। चीफ जस्टिस ने कहा कि पीठ को एक संदेश मिला है कि मृतक में से एक (लवप्रीत सिंह) की मां अपने बेटे की मौत के सदमे से अस्वस्थ है। सीजेआई ने एएजी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि राज्य उसे उचित चिकित्सा सहायता प्रदान करे।

लखीमपुर खीरी में हाल ही में हुई हिंसक घटना में कुल 8 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से चार को केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे द्वारा कथित रूप से चलाए जा रहे वाहन से कुचल दिया गया। लखीमपुर खीरी की हालिया हिंसक घटना के संबंध में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा ‘ टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के खिलाफ पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। कुल 8 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से चार को कथित तौर पर मिश्रा द्वारा चलाए जा रहे एक वाहन ने कुचल दिया।

तिकुनिया पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 हत्या के लिए, 304-ए लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई मौत के लिए, 120-बी आपराधिक साजिश के लिए और 147 दंगा करने के लिए, 279 तेज ड्राइविंग के लिए, 338 गंभीर चोट पहुंचाने, किसी व्यक्ति द्वारा जल्दबाज़ी या लापरवाही से कोई कार्य करके मानव जीवन को खतरे में डालने के साथ-साथ अन्य दंडात्मक प्रावधानों के साथ एफआईआर दर्ज की गई है।

उत्तर प्रदेश के दो वकीलों ने हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी की हालिया हिंसक घटना की समयबद्ध सीबीआई जांच की मांग की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी एक पत्र याचिका दायर की गई है जिसमें इस घटना की सीबीआई जांच की मांग करते हुए तर्क दिया गया है कि इस भयानक घटना के कारण, उत्तर प्रदेश राज्य की कानून व्यवस्था खतरे में है और यदि राज्य द्वारा जल्द से जल्द निवारक कार्रवाई नहीं की जाती है तो कोई भी चूक हो सकती है।

घटना के बारे में तीन अक्टूबर को, कई किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जब एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद विरोध कर रहे चार किसानों की मौत हो गई थी। एसयूवी कथित तौर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी। यूपी पुलिस कि गुप्तचर इकाई एलआईयू ने पहले उपद्रव कि आशंका की रिपोर्ट शासन को भेज दी थी और कार्यक्रम रद्द करने का सुझाव दिया था लेकिन आयोजक और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इसे नहीं माना।

पुलिस ने मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और कई अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हिंसा के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की है। घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया में भी सामने आया है जिसमें प्रदर्शनकारियों के एक समूह को खेतों के बगल में एक सड़क पर आगे बढ़ते हुए दिखाया गया है और फिर पीछे से एक ग्रे एसयूवी द्वारा कुचला जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त जज लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच करेंगे और साथ ही घटना में मारे गए चार किसानों के परिवारों को 45 लाख मुआवजा दिया जाएगा।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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