नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आरे फारेस्ट के पेड़ों की कटाई को तत्काल रोकने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 अक्तूबर को होगी।
कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए सालीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनके बयान को दर्ज किया जा सकता है, ‘जो भी कटना है वह कट गया है। आगे कुछ भी नहीं काटा जाएगा।’ आपको बता दें कि मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन (एमएमआरसीएल) ने 2185 पेड़ों को काटने का आदेश दिया था इसके साथ ही उसे आरे की जमीन के 33 हेक्टेयर पर 460 पेड़ लगाने थे। इस स्थान पर कार शेड बननी है। शुक्रवार को प्रशासन ने 2134 पेड़ काट दिए।
सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच ने इन पेड़ों की कटाई को अवैध करार दिया है। बेंच ने कहा कि “ आरे फारेस्ट नो डेवलपमेंट जोन था और न कि इको सेंस्टिव जोन जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा दावा किया गया है।” इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार से पेड़ों को लगाए जाने की कोर्ट ने प्रगति रिपोर्ट भी मांगी है। मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने की।
कोर्ट ने यह सुनवाई लॉ के एक छात्र द्वारा देश की सर्वोच्च अदालत को लिखे गए एक पत्र के बाद की है। चीफ जस्टिस ने पत्र को पीआईएल के तौर पर स्वीकार कर उसकी सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच गठित कर दी थी।
गौरतलब है कि आरे फारेस्ट में मुंबई का म्यूनिसिपल प्रशासन वहां लगे 2600 पेड़ों की कटाई कर रहा था। यह काम वहां मेट्रो रेल के लिए कार शेड बनाने के मकसद से किया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों में इसका जमकर विरोध हो रहा है। इस मामले में एक दिन 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि मुंबई की एक सेशन कोर्ट से इन सभी को जमानत मिल गयी है।
बांबे हाईकोर्ट के पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से इंकार करने के बाद प्रशासन ने रात में ही उनकी कटाई शुरू कर दी थी। जिसका वहां के लोगों ने जमकर विरोध किया और इसी दौरान उपरोक्त सभी गिरफ्तारियां हुईं थीं। कारपोरेशन ने कुल 2185 पेड़ों को काटने की अनुमति दे रखी थी।
सुप्रीम कोर्ट को पत्र ग्रेटर नोएडा में स्थित एक लॉ कालेज के चौथे साल के छात्र रीशव रंजन ने लिखा था। उसने अपने पत्र में कहा था कि “…कार शेड आरे की 33 हेक्टेयर में जमीन पर स्थापित होगा ऐसा बताया गया है। यह मीठी नदी के किनारे है जिसके दूसरे चैनल और उप नदियां भी इसी इलाके से बहती हैं लेकिन सब सूखी हुई हैं। इसकी गैरमौजूदगी मुंबई में बाढ़ ला सकती है….यहां सवाल यह उठता है कि क्यों एक जंगल जिसमें 3500 पेड़ हैं और जो एक नदी के किनारे स्थित है उसे प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग की साइट के लिए चुना गया?”

मामले में तत्काल स्टे लगाने की गुहार के साथ छात्र ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को इसे याचिका के तौर पर स्वीकार करने की गुजारिश की थी। उसने कहा था कि “जब तक सुप्रीम कोर्ट में याचिका (बांबे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ) दायर की जाएगी हम सोचते हैं कि तब तक आरे के सभी पेड़ों को साफ कर दिया जाएगा और फिर इस नुकसान की कभी भरपाई नहीं हो पाएगी।”
शुक्रवार को बांबे हाईकोर्ट ने एक एनजीओ की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने आरे को फारेस्ट घोषित करने की मांग की थी। कोर्ट ने इसके लिए उससे सुप्रीम कोर्ट में अपील करने को कहा था।
हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज होने के चंद घंटों बाद ही आरे फारेस्ट के आस-पास सैकड़ों की तादाद में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए। फिर 8.30 बजे रात से लेकर 11 बजे तक वहां जमकर प्रदर्शन हुआ। उसके बाद पुलिस ने इन सभी की गिरफ्तारी शुरू कर दी। पुलिस का आरोप था कि प्रदर्शनकारियों ने न केवल सरकारी काम में बांधा पहुंचाने की कोशिश की बल्कि कई पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई भी की।
चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र में छात्र ने कहा कि एक्टिविस्ट और छात्र शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन प्रशासन ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इनमें से जिन कुछ लोगों ने विरोध किया उनको गैर जमानती धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। पत्र लिखने वाला छात्र लॉयड लॉ कालेज का स्टूडेंट बताया जा रहा है। उसका ट्विटर हैंडल उसे यूथ फॉर स्वराज से जुड़ा हुआ बताता है। आपको बता दें कि यूथ फार स्वराज योगेंद्र यादव की पार्टी स्वराज पार्टी की यूथ विंग है।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रंजन ने बताया कि गिरफ्तार किए गए 29 लोगों में उसके दो मित्र श्रुति नायर और कपिल अग्रवाल भी शामिल हैं। उसने बताया कि “मैं कई पर्यावरण से जुड़े मुद्दों में शामिल रहा हूं और मुंबई में अपने मित्रों के जरिये लगातार आरे की प्रगति पर नजर रखे हुए था। मेरी याचिका एक स्वतंत्र याचिका है जिसमें आरे के विध्वंसीकरण पर रोक लगाने की मांग की गयी है।”
(कुछ इनपुट इंडियन एक्सप्रेस से लिए गए हैं।)
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