Saturday, April 20, 2024

पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच मामले में अगले हफ्ते आएगा सुप्रीमकोर्ट का आदेश

पेगासस जासूसी मामले में जांच के लिए उच्चतम न्यायालय टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी बनाने जा रही है। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को खुली अदालत में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि वह पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी बनाएगी और इस मामले में अगले हफ्ते फैसला देगी। इसका अर्थ यह है कि उच्चतम न्यायालय अपनी तरफ से एक्सपर्ट कमेटी बनाएगी और उसने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एक्सपर्ट कमेटी के गठन करने को अमान्य कर दिया है।

चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वह इस मामले में इसी हफ्ते आदेश पारित करना चाह रही थी लेकिन आदेश को अगले हफ्ते के लिए टाला गया है क्योंकि टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी के मेंबर को फाइनल किया जाना है। चीफ जस्टिस रमना की पीठ के सामने इस मामले में एक याचिकाकर्ता के वकील चंद्र उदय सिंह पेश हुए थे। चीफ जस्टिस रमना ने मौखिक तौर पर कहा कि वह चाहते थे कि मामले में जल्दी आदेश पारित करें और इसी हफ्ते आदेश पारित करें, लेकिन टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी के मेंबर के लिए जिन नामों के बारे में सोचा था, उनमें से कुछ ने व्यक्तिगत परेशानी के कारण कमेटी में आने में असमर्थता जाहिर की।

पेगासस जासूसी मामले में याचिकाकर्ताओं की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय में पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वह हलफनामा दायर नहीं करना चाहती, तब उच्चतम न्यायालय ने मामले में अंतरिम आदेश पारित करने की बात कही थी और अंतिरम आदेश पारित करने के बारे में फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई है कि मामले में स्वतंत्र जांच या एसआईटी जांच हो और उच्चतम न्यायालय के रिटायर जस्टिस की अगुवाई में जांच हो।

उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि वह मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापक जनहित को देखते हुए हलफनामा दायर नहीं करना चाहती। इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने कहा कि हम समझ रहे थे कि सरकार इस मामले में हलफनामा दायर करेगी और तब आगे की कार्रवाई तय होती। लेकिन अब एक ही मुद्दा विचार का बचा हुआ है कि अंतरिम आदेश पारित हो।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी गठन करेगी और वह मामले का परीक्षण करेगी। तब याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि सरकार को खुद से कमेटी बनाने के लिए क्यों इजाजत दी जाए? अगर बने भी तो यह सरकार के कंट्रोल से बाहर होना चाहिए। सरकार की ओर से मेहता ने कहा था कि सरकार की कमेटी पर संदेह नहीं होना चाहिए। एक्सपर्ट का सरकार से कोई संबंध नहीं होगा। दूसरे वह सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेंगे और कमेटी सुप्रीम कोर्ट के प्रति जवाबदेह होगी। तब उच्चतम न्यायलय ने कहा कि हम अंतिरम आदेश पारित करेंगे।

इस मामले में 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। इसमें 12 याचिकाओं पर फैसला आएग। वकील एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, पूर्व आईआईएम प्रोफेसर जगदीप चोकर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिकाएं हैं। इज़राइल की स्पाइवेयर फर्म एनएसओ अपने पेगासस स्पाइवेयर के लिए जाना जाता है, जिसका दावा है कि यह केवल सत्यापित सरकारों को बेचा जाता है, न कि निजी संस्थाओं को, हालांकि कंपनी यह नहीं बताती है कि वह किन सरकारों को विवादास्पद उत्पाद बेचती है। भारतीय समाचार पोर्टल द वायर सहित एक अंतरराष्ट्रीय संघ ने हाल ही में रिपोर्टों की एक श्रृंखला जारी की जो यह दर्शाती है कि उक्त सॉफ़्टवेयर का उपयोग भारतीय पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, वकीलों, अधिकारियों, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और अन्य सहित कई व्यक्तियों के मोबाइल उपकरणों को संक्रमित करने के लिए किया गया हो सकता है।

इसके लिए, रिपोर्टों ने उन फ़ोन नंबरों की एक सूची का उल्लेख किया था जिन्हें संभावित लक्ष्यों के रूप में चुना गया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक टीम द्वारा विश्लेषण करने पर, इनमें से कुछ नंबरों में एक सफल पेगासस संक्रमण के निशान पाए गए, जबकि कुछ में संक्रमण का प्रयास दिखाया गया।

उच्चतम न्यायालय ने 17 अगस्त को,  याचिकाओं में केंद्र को नोटिस जारी किया था जब सरकार ने प्रस्तुत किया था कि वह एक विशेषज्ञ समिति को विवाद के बारे में विवरण देने के लिए तैयार है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ के डर से इसे अदालत के सामने सार्वजनिक नहीं करता है। ऐसा करते हुए उसने केंद्र सरकार से सवाल किया था कि अदालत के समक्ष दायर याचिकाओं के जवाब में विस्तृत हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया जा सका।

 (जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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