Saturday, April 20, 2024

अफगानिस्तान में अनिश्चितता: एयरपोर्ट पर अराजकता के चलते कई मौतें

अफगानिस्तान की सेना के एक विमान के उजबेकिस्तान में दुर्घटनाग्रस्त होने की ख़बर है। यह जानकारी एएफपी ने दी है।

अफ़गानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि 60 देशों ने तालिबान से गुहार लगाई है कि जो नागरिक अफगानिस्तान में नहीं रहना चाहते, उन्हें देश छोड़कर जाने दिया जाए। अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद से स्थिति भयावह बनी हुई है। लोग बिना सामान लिए ही देश छोड़कर भाग रहे हैं। उधर काबुल एयरपोर्ट पर भी भारी भीड़ जमा हो गई है जिसके कारण वहां भगदड़ की स्थिति बन गई है। भीड़ को काबू करने के लिए अमेरिकी सैनिकों को बीच-बीच में हवाई फायरिंग करनी पड़ रही है। अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट पर की गई फायरिंग और दूसरे हादसों में पांच लोगों की मौत हो गई है।

दरअसल अफ़गानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी से ख़ौफ़जदा लोग किसी भी तरह मुल्क़ छोड़ जाना चाहते हैं। क़ाबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी वायुसेना का सैन्य विमान सी 17 जैसे  ही टेकऑफ के लिए आगे बढ़ रहा था, लोगों का हुजूम रनवे पर विमान के साथ-साथ चल रहा था। विमान के उड़ान भरने से पहले कुछ लोग टायरों के ऊपर बनी जगह पर सवार हो गए। विमान जब ऊंचाई पर पहुंच गया तो लोगों ने संतुलन खो दिया। तीन लोगों की आसमान से गिरने से मौत हो गई। बाद में उनके शव मकानों की छत पर मिले।

अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने अपने दूतावासों को ही बंद कर दिया है और राजनयिकों को वापस निकाल रहे हैं। वहीं ईरान, चीन, रूस और पाकिस्तान जैसे देशों ने तालिबान में अब भी अपने दूतावासों में काम जारी रखा है। 

वहीं क़ाबुल में बिगड़ते हालात के बीच लूटमार और गोलियां चलने की घटनाएं भी हो रही हैं। एयरपोर्ट पर हुई गोलीबारी में अभी तक पांच लोगों के मारे जाने की और कई अन्य के घायल होने ख़बर है।

अफ़गानिस्तान में तालिबान के संपूर्ण कब्जे के बाद से देश छोड़ने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की बहुत बड़ी भीड़ जमा हो गई है। मानों एयरपोर्ट न होकर कोई रेलवे स्टेशन या बस अड्डा हो। भीड़ को काबू करने के लिए अमेरिकी सैनिकों को हवाई फायरिंग करनी पड़ रही है। एक स्थानीय कर्मचारी ने मीडिया को बताया कि बीते रविवार को हर दो मिनट पर फ्लाइट से बड़े लोग और अधिकारी भाग गए। कर्मचारी ने कहा कि आज दो तीन फ्लाइट ने उड़ान भरी जिसमें वीजा अधिकारी, एयरपोर्ट कर्मचारी भी देश छोड़कर चले गए। अभी स्थिति ऐसी है कि एयरपोर्ट पर वीजा चेक करने के लिए भी कोई नहीं बचा है। यहां डरावनी स्थिति बनी हुई है और काबुल छोड़ने के लिए लोगों में मारामारी मची है। कर्मचारी ने कहा कि आलम ये कि लोग बिना सामान लिए देश छोड़कर भाग रहे हैं।

अमेरिकी सेना का अफगान एयरस्पेस पर नियंत्रण

काबुल एयरपोर्ट पर बिगड़ते हालात के बीच अफगानिस्तान के एयरस्पेस का नियंत्रण अमेरिकी सेना ने अपने हाथ में ले लिया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा है कि वह अपने नागरिकों और सहयोगियों से अफगानिस्तान से सुरक्षित प्रस्थान सुनिश्चित करने के लिए काबुल हवाई अड्डे पर अपने 6,000 सैनिकों को तैनात करेगा जिसे अब अचानक तालिबान ने अपने क़ब्जे में ले लिया है।

अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के बीच काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी झंडा उतार लिया गया है। अधिकारी ने बताया कि दूतावास के लगभग सभी अधिकारियों को शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचा दिया गया है, जहां पर हजारों अमेरिकी तथा अन्य लोग विमानों का इंतजार कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी झंडा दूतावास के अधिकारियों में से एक के पास है।

हिदुओं और सिखों को निकालने का जुगाड़ करेगा विदेश मंत्रालय

अफ़गानिस्तान में बिगड़ते हालात के बीच वहां फंसे हिंदुओं और सिखों को निकालने को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि विदेश मंत्रालय और इसके लिए जिम्मेदार अन्य संस्थान इसकी व्यवस्था करेंगे।

वहीं एयर इंडिया ने सोमवार को कहा कि उसने अपनी शिकागो-दिल्ली उड़ान का मार्ग बदलकर उसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शारजाह की ओर मोड़ दिया है ताकि अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश से बचा जा सके। इससे पहले काबुल हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा था कि अफगानिस्तान का हवाई क्षेत्र अनियंत्रित है। अधिकारियों ने बताया कि शिकागो-दिल्ली की उड़ान विमान में ईंधन भरवाने के लिए शारजाह में उतरेगी। इसके बाद उड़ान दिल्ली के लिए रवाना होगी और वह अफगान हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करेगी।

तालिबान ने अफगानिस्तान में हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है। जिसके कारण काबुल और दिल्ली के बीच की सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। बता दें कि भारत की ओर से एयर इंडिया की कुछ फ्लाइट्स को एयर लिफ्ट के लिए रखा गया था।  

ताजिकिस्तान ने नहीं दी निर्वासित राष्ट्रपति को शरण

अफगानिस्तान छोड़कर भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी को उस समय बड़ा झटका लगा जब ताजिकिस्तान ने उनके विमान को अपनी जमीन पर लैंड करने की इजाजत नहीं दी। मजबूरी में उन्हें ओमान में रुकना पड़ा। ताजा जानकारी के अनुसार अब वे ओमान से अमेरिका भी रवाना हो सकते हैं। बता दें कि अशरफ गनी के अलावा अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोहिब भी ओमान में ही हैं। दोनों के विमान को रविवार को ताजिकिस्तान में लैंड करने की इजाजत नहीं दी।

देश छोड़ने के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सोशल मीडिया पर एक बयान भी जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि आज मेरे सामने एक कठिन चुनाव आया कि मुझे हथियारों से लैस तालिबान का सामना करना चाहिए, जो महल में घुसना चाहता था या मुझे अपने प्यारे देश अफगानिस्तान को छोड़ना था। मैंने पिछले बीस वर्षों में अफगानिस्तान की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अगर मैं तालिबान से लड़ने का विकल्प चुनता तो, कई आम नागरिकों की जान चली जाती और काबुल हमारी आंखों के सामने तबाह होता। इस 60 लाख की आबादी वाले शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी देखनी पड़ती।

पाकिस्तान, चीन, ईरान ने तालिबान को दी मंजूरी

अफगानिस्तान में चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने व हथियारों के दम पर सत्ता हथियाने वाले तालिबान को पाकिस्तान, चीन व ईरान का समर्थन मिला है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान के सत्ता में काबिज होने का स्वागत करते हुए कहा कि गुलामी की जंजीरें टूट गई हैं।

पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने कहा है कि – “जब आप दूसरे की संस्कृति अपनाते हैं तो फिर मानसिक रूप से गुलाम होते हैं। यह वास्तविक दासता से भी बुरा है। सांस्कृतिक गुलामी की जंजीरों को तोड़ना आसान नहीं होता है। अफगानिस्तान में इन दिनों जो हो रहा है, वह गुलामी की जंजीरों को तोड़ने जैसा है।”

अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति मुहम्मद यूनुस कानूनी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के बाद ट्वीट कर पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि -” पाकिस्तान अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभाएगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान से संपर्क रखना चाहिए। पाकिस्तान अपनी स्थिति को लेकर बहुत स्पष्ट है। हम सोचते हैं कि सिर्फ बातचीत से ही राजनीतिक समाधान निकलेगा। हम वहां लगातार गृहयुद्ध नहीं चाहते”।

वहीं चीन ने तालिबान के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है। साथ ही उम्मीद जताई कि वह समावेशी सरकार देगा। चीन ने सोमवार को कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान अपने वादे पर खरा उतरेगा और देश में खुली एवं समावेशी विचारों वाली सरकार बनाएगा।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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