कर्नाटक में राज्यपाल की तीसरी डेडलाइन भी फेल होना तय

Estimated read time 1 min read

कर्नाटक में अगर बीजेपी सरकार बनने की सम्भावना नहीं होती तो अब तक एचडी कुमारस्वामी सरकार गिर गयी होती। चूंकि संदेश यही देना है कि जेडीएस-कांग्रेस सरकार अपनी वजह से गिरी है और इसमें बीजेपी का कोई हाथ नहीं है, इसलिए कर्नाटक का ड्रामा लम्बा खिंच रहा है। फिर भी एक के बाद एक घट रही घटना बता रही है कि बीजेपी सत्ता के लिए कितनी बेचैन है।

राज्यपाल वजुभाईवाला ने गुरुवार को विश्वासमत के लिए एक डेडलाइन दी। स्पीकर को संदेश भेजा कि विश्वासमत पर मतदान आज ही हर हाल में हो जाना चाहिए, भले ही इसके लिए रात के बारह बजे तक क्यों न रुकना पड़े। यह डेडलाइन टूट गयी।

राज्यपाल वजुभाईवाला ने दूसरी डेडलाइन दे दी जब कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित हो गयी। यह डेडलाइन थी दोपहर 1.30 बजे तक का। इससे पहले तक विश्वासमत पर मतदान हो जाए। यह निर्देश राज्यपाल ने राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को दी। यह समय भी बीत गया।

अब राज्यपाल ने तीसरी डेडलाइन दे डाली। शाम 6 बजे की। इसका टूटना भी तय है। कारण ये है कि राज्यपाल के इस आदेश का सम्मान करने की न तो भावना है और न ही इस आदेश को मानने की कोई संवैधानिक अनिवार्यता।

सदन में विश्वासमत पेश हो चुका है। बहस चल रही है। बहस कब तक चलेगी, इसे स्पीकर से बेहतर कोई नहीं बता सकता। यह स्पीकर पर निर्भर करता है कि बोलने के लिए राजनीतिक दलों में किसको और कितना मौका दें। सदन के भीतर कोई काम कितने समय में निपटेगा, इसे कोई बाहर का व्यक्ति तय नहीं कर सकता। जाहिर है राज्यपाल वजुभाईवाला अपनी ताकत और प्रभाव का गैरजरूरी इस्तेमाल कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट तक ने अपनी गलती सुधार ली। जब 10 विधायक सुप्रीम कोर्ट यह शिकायत लेकर पहुंचे कि स्पीकर उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं कर रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने बिना स्पीकर को सुने ही यह फैसला सुना दिया कि वे इस्तीफे पर उसी दिन रात 12 बजे से पहले तक फैसला लें जिस दिन शाम 6 बजे सभी विधायक उन्हें इस्तीफ़ा सौंपते हैं। स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं माना। फिर भी कोई अवमानना की बात आगे नहीं बढ़ी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अगले आदेश में खुद को ही दुरुस्त कर लिया और कहा कि इस्तीफों पर फैसला करने के लिए स्पीकर स्वतंत्र हैं। अब तक 10 से 15 हुए बागी विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर ने फैसला नहीं किया है।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ह्विप को लेकर भ्रम की स्थिति बन गयी। एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों  का पक्ष लिए बगैर ह्विप से सभी 15 बागी विधायकों को आज़ाद कर दिया। अब कांग्रेस सदन में ह्विप जारी करने के अपने संवैधानिक अधिकार पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने की बात कह रही है। स्थिति सुप्रीम कोर्ट के अलावा कोई स्पष्ट नहीं कर सकता। कांग्रेस का कहना है कि जब तक यह बात साफ न हो कि कांग्रेस को ह्विप जारी करना चाहिए या नहीं, उसे ऐसा करने का अधिकार है या नहीं तब तक विश्वासमत पर वोटिंग भी नहीं होना चाहिए। संवैधानिक रूप से यह वाजिब सवाल है। एक ही सदन में जब बीजेपी को ह्विप जारी करने का अधिकार है तो कांग्रेस को क्यों नहीं?

आश्चर्य है कि सदन के भीतर की इन संवैधानिक अड़चनों को सुलझाने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा है। राज्यपाल वजुभाई वाला सिर्फ बीजेपी विधायकों की शिकायत पर डेडलाइन पर डेडलाइन दिए जा रहे हैं। यह जानते हुए भी कि उनके डेडलाइन टूट रहे हैं, वे नयी डेडलाइन दे रहे हैं।

अब तक स्पीकर रमेश कुमार को किसी ने गलत नहीं पाया है। वे फैसला लें। फैसले में देरी की वजह रखें। मगर, राजनीतिक गतिरोध को लम्बा भी नहीं खिंचने दें, यह भी जरूरी है। सबका ध्यान अब स्पीकर की ओर है कि क्या वे

विश्वासमत पर वोटिंग से पूर्व बहस को लम्बा चलने देंगे?

कांग्रेस के ह्विप जारी करने के अधिकार का सम्मान करेंगे?

ह्विप का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करेंगे?

विधायकों की अयोग्यता पर पहले फैसला लेंगे?

विश्वासमत बाद में होगा, पहले विधायकों की अयोग्यता पर फैसला?

स्पीकर रमेश कुमार के पास सदन को लम्बा चलाने के लिए सारे अवसर या बहाने हैं। सदन से बाहर की कोई भी शक्ति उन्हें उनके कामकाज में दखल नहीं दे सकती। राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से डेडलाइन पर उन्होंने कहा है कि यह डेडलाइन उन्होंने मुख्यमंत्री को दिया है न कि स्पीकर को? जाहिर है स्पीकर भी सीधा कोई टकराव नहीं ले रहे हैं, लेकिन राज्यपाल वजुभाई वाला को सदन में हस्तक्षेप करने से भी रोक रहे हैं अपने एक्शन से। ऐसे में कोई आश्चर्य न हो अगर विधानसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए विश्वासमत से पहले ही स्थगित हो जाए।

(प्रेम कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल आप को विभिन्न चैनलों के पैनल में बहस करते हुए देखा जा सकता है।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author