बालासोर में दुर्घटना हो या कि बंगाल में माल गाड़ी टकराए, केंद्र का पूरा जोर वंदे भारत पर

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के बाद मिस्र के अपने दौरे से वापस आ चुके हैं। मंगलवार 27 जून को वे मध्य प्रदेश के अपने दौरे में 5 वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ करने जा रहे हैं। एएनआई के अनुसार सुबह करीब 10:30 बजे प्रधानमंत्री रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर निम्न ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे:

  1. गोवा (मडगांव)- मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस
  2. रांची-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस
  3. भोपाल (रानी कमलापति)- इंदौर वंदे भारत एक्सप्रेस
  4. भोपाल (रानी कमलापति)- जबलपुर वंदे भारत एक्सप्रेस
  5. धारवाड़- बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस

बता दें कि बालासोर में हुए भीषण ट्रेन दुर्घटना के चलते गोवा (मडगांव)- मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन प्रधानमंत्री को स्थगित करना पड़ा था। यह ट्रेन उस हादसे के अगले दिन रवाना की जानी थी।

भारतीय रेलवे को 15 अगस्त तक 75 वंदे भारत ट्रेन चलाने का लक्ष्य दिया गया है। अभी तक भारतीय रेलवे 18 वंदे भारत ट्रेन का ही संचालन कर रही है। लेकिन कल के बाद यह संख्या बढ़कर 23 हो जाएगी। लेकिन आजादी के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में 75 वंदे भारत ट्रेन चलाकर आजादी का अमृत महोत्सव का संकल्प हासिल कर पाना अब दूर की कौड़ी नजर आ रही है। 45 दिनों के भीतर 50 से अधिक वंदे भारत ट्रेन की कवायद कैसे पूरी होगी, यह देखना है।

वैसे भी हाल में देखने को मिला है कि 16 बोगी की जगह 8 बोगी के साथ ही वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत की जा रही है। रिकॉर्ड बनाने के लिए यह कवायद अच्छी है। लेकिन भारतीय रेलवे के पदाधिकारी लगातार ट्रेन संचालन के दबाव की बात को स्वीकारते हैं। ट्रेनों को समय पर चलाने, रेल सुरक्षा के लिए आवश्यक मरम्मत का काम (शट डाउन) के लिए मेंटेनेंस विभाग और नई ट्रेनों को चलाने की भेड़चाल में विभागीय टकराहट कई बार मेंटेनेंस विभाग को नेपथ्य में डाल देती है। बालासोर ट्रेन हादसे के बाद भी रेलवे सिर झुकाकर ‘जो हुक्म मेरे आका’ की तर्ज पर हुक्म की तालीम में जुटा है।

हाल ही में 20 जून की घटना को याद करें, जिसमें देखने को मिला कि वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन बारिश होते ही ट्रेन के भीतर बारिश की बूंदे बिखेरने लगी थी। ट्रेन की छत से पानी टपकता देख बसपा के एक नेता ने इसे रिकॉर्ड कर बताया कि किस प्रकार 30 मिनट तक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में पानी टपकता रहा, और यात्रियों को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। दैनिक भास्कर अखबार ने इसका वीडियो डालते हुए बताया है कि इस ट्रेन को भी रानी कमलापति (भोपाल) स्टेशन से प्रधानमंत्री ने ही हरी झंडी दिखाकर उद्घाटन किया था।

दैनिक भास्कर के अनुसार, “पानी का रिसाव हजरत निजामुद्दीन से रानी कमलापति स्टेशन जाने वाली गाड़ी संख्या 20172 वंदे भारत एक्सप्रेस की छत से हुआ है। घटना सोमवार की है। वंदे भारत, हजरत निजामुद्दीन से चलकर शाम 5 बजे झांसी पहुंचने ही वाली थी कि रास्ते में बारिश शुरू हो गई। पानी की कुछ बूंदे छत पर गिरीं और कोच नंबर C-12 में पानी का रिसाव शुरू हो गया। पानी रिसता देख ट्रेन में सफर कर रहे बसपा पार्टी के वरिष्ठ नेता अवधेश राठौर ने इसका वीडियो बना लिया। उन्होंने ट्रेन में मिली खामियों वाला वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। वंदे भारत ट्रेन का उद़्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अप्रैल को रानी कमलापति स्टेशन से किया था, जिसके बाद 2 अप्रैल से यह ट्रेन अपने रेगुलर शेड्यूल के अनुसार भोपाल से हजरत निजमाउद्दीन प्रतिदिन चल रही है।”

अर्थात 1 अप्रैल को जिस वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन खुद पीएम मोदी के करकमलों से हुआ, वह ढाई महीने के भीतर ही इस जर्जर हालत में पहुंच गई कि छत से जरा सी बारिश में टप-टप पानी बरसाने लगी?

बता दें कि वंदे भारत ट्रेन कई बार ट्रैक पर गाय-भैंस से टकराकर क्षतिग्रस्त होती आई है। इससे निपटने के लिए शोध चल रहा है, और निकट भविष्य में यदि कोई जानवर ट्रेन के इंजन से टकराता है तो ट्रेन के क्षतिग्रस्त होने से पहले ही वह दूर फेंक दिया जायेगा।

कुल मिलाकर देखें तो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की यह कवायद असल में भारत के कुछ चुनिंदा करोड़ लोगों को यह अहसास दिलाना है कि भारत तेजी से तरक्की की राह पर है। कुछ सौ हाई-टेक ट्रेन चलाकर महत्वपूर्ण शहरों को आपस में जोड़कर, इन शहरी धनाड्यों को यूरोप-चीन की तरह आधुनिकतम सुख सुविधाओं का अहसास दिलाना है। गरीब भी इस चकाचौंध को देखकर कल्पना करने के लिए आजाद है कि उसके भी अच्छे दिन बस आसपास ही हैं।

भारतीय रेलवे के लिए किया गया यह निवेश असल में राष्ट्रीय राजमार्गों के आधुनिकीकरण के आगे कुछ भी नहीं है। असल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश और एनएचएआई का कर्ज का बोझ तो इस समय कई ट्रिलियन रुपये में है। भारतीय मध्य वर्ग को राजमार्गों में कार दौड़ाने में आनंद तो खूब आता है, लेकिन जबसे परिवहन मंत्री ने ताबड़तोड़ टोल टैक्स में वृद्धि की है, उसका मन उदास है। अब तो ऑटो मोड में कितने पैसे उड़ रहे हैं, इसका अहसास भी उसे बहुत बाद में चलता है। कुछ राजमार्ग में तो 60 किमी में 3-3 टोल टैक्स वसूले जा रहे हैं। 60 किमी आने-जाने के सफर में कारचालक 400 रुपये तक चुकता कर रहे हैं।

लेकिन वे नहीं जानते कि टोल टैक्स से सालाना 77,000 करोड़ रुपये की वसूली के बाद भी एनएचएआई अपने कर्ज का ब्याज भी मुश्किल से चुका पाने की स्थिति में है। इसके अलावा एयर इंडिया 500 नए बोईंग विमान जल्द ही खरीद रही है। पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा से ठीक पहले इंडिगो एयरलाइन्स द्वारा 500 एयरबस 320 की खरीद का आर्डर भारत को विमान सेवा के क्षेत्र में विश्व में चोटी के विकसित देशों की श्रेणी में डाल देने वाला है।

अर्थात नभ, रेल और सड़क हर विभाग में 5 करोड़ भारतीयों और विदेशी निवेशकों के लिए भारत एक पसंदीदा डेस्टिनेशन बनाने का ख्वाब जल्द ही पूरा होने जा रहा है। लेकिन इन सबकी कीमत कौन चुकाएगा? यकीनन यह कीमत उन्हें ही चुकानी है, जो इसका उपभोग करेंगे लेकिन परोक्ष रूप से शेष 95 प्रतिशत लोगों को भी यह कीमत चुकाने के लिए कमर कसनी होगी, भले ही विदेशी गणमान्य लोगों की अगवानी के दौरान उन्हें हरे चादर से छिपाना ही क्यों न पड़े।

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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  1. 1
    Amit Kumar

    Apna taboot mai gaya abba ke abba ke liye rona kyon band kar diye, rote raho. Tum logon ko apne mare abba ke abba ke liye rote dekh kar bharat sarkar bhi, ek tragedy ko lekar kar rote rahegi. Tum log mandbuddhi pappu ki padaish ho. pappu to gandhi, nahru, sab hai, bhale hi uske abba ke abba muslim the, tum bhi gandhi nehru laga lo.

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