Tuesday, March 28, 2023

बीजापुर ग्राउंड रिपोर्ट: जंगल में छुपे आदिवासियों को अभी भी सता रहा है पुलिस का खौफ,घायलों का कोई पुरसाहाल नहीं

लिंगा कोडोपी
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बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षा बलों ने आदिवासियों पर बड़ा हमला किया है। इस हमले में कई आदिवासी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। तकरीबन 200 लोगों को चोटें आयी हैं जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। दरअसल जिले के ग्राम पंचायत बुर्जी में 7 अक्तूबर, 2021 से आदिवासी समुदाय के युवाओं द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा था। इस आंदोलन की मांगों में अड्समेटा नरसंहार पर न्याय करने, गंगालूर से पुसनार नये रोड के निर्माण पर रोक लगाने, पुलिस कैम्प की स्थापना पर रोक, महिलाओं के साथ अत्याचार, हत्या और बलात्कार की घटनाओं पर रोक लगाने जैसी प्रमुख मांगें शामिल थीं। इसके अलावा नक्सली बताकर आदिवासियों को फर्जी केसों में जेल में बंद करने और फर्जी एनकाउंटर पर रोक लगाने की मांग भी इसके हिस्से थे।

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मूलवासी बचाओ मंच द्वारा संचालित इस आंदोलन को एक साल दो महीने बीत गये थे। तभी इसी 15 दिसंबर को रात एक बजे डोजियर गाड़ी और जेसीबी समेत अन्य गाड़ियों के साथ सुरक्षा बल के जवान मौके पर पहुंचे और उन्होंने आंदोलनकारियों को उकसाना शुरू कर दिया। ग्रामीण व मूलवासी बचाओ मंच के अध्यक्ष सोनी पुनेम व उपाध्यक्ष बिन्तु उइके ने बताया कि फोर्स के पहुंचते ही आंदोलनकारी सुरक्षा बलों के वाहनों के सामने खड़े हो गए। और उन्होंने जवानों से सवाल पूछना शुरू कर दिया।

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उनका कहना था कि आखिरकार जवान किस अधिकार के साथ गांव में कैम्प लगाने आये हैं? गांव में न ग्राम सभा की बैठक हुई है और न ही किसी ने पुलिस कैम्प की मांग की है। ऐसे में बगैर अनुमति के सड़क का निर्माण कर नये पुलिस कैम्प को क्यों स्थापित किया जा रहा है? प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि इसी बीच पुलिस के जवानों ने कुछ महिलाओं को धक्का मार दिया जिससे एक महिला गढ्ढे में गिर गई।

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महिला को गढ्ढे में गिरा देख कर आंदोलनकारी भड़क उठे और उन्होंने वाहनों को चारों तरफ से घेर लिया। आंदोलनकारी कुछ करते उससे पहले ही सुरक्षा बल के जवानों ने उन्हें खदेड़ना शुरू कर दिया। और इसके साथ ही जवानों ने लाठियों से आंदोलनकारियों की पिटाई शुरू कर दी। जिसमें एक लाठी ग्रामीण और मूलवासी बचाओ मंच के उपाध्यक्ष बिंतु उइके के सिर पर लगी और उनका सिर फूट गया। और उससे खून की धार फूट पड़ी। चोट लगते ही वह जमीन पर गिर पड़े। इस घटना में उनके घुटने और कलाई में भी गहरी चोट आयी है। आंदोलन में तकरीबन 1000 से 1200 तक लोग शामिल थे। पुलिस के दौड़ा-दौड़ा कर मारने व भगदड़ मचने से करीब 200 लोगों को चोटें आयी हैं। किसी का सिर फटा है तो किसी का घुटना छिल गया है। इस घटना में कुछ लोगों के पैर भी टूटे हैं।  

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घटनास्थल का दौरा करने गए इन पंक्तियों के लेखक ने घायलों से मुलाकात की। उनमें छोटू पुनेम, सुक्का पुनेम, सोना पुनेम, हुंगा कुंजाम, पोदीया पुनेम, सुकराम कुंजाम, मनकी कुंजाम, मुन्ना पुनेम, तुलसी पुनेम, सावित्री पोटम, मिटकी पोटम समेत कई लोग शामिल थे। इलाके में तनाव के कारण बहुत सारे अन्य लोगों से मुलाकात नहीं हो सकी। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस की गोलियों के डर से ढेर सारे आंदोलनकारियों ने अपना घर छोड़ दिया है और वे जंगल में जाकर छिप गए हैं।

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हालांकि पुलिस के इस बर्बर रवैये से भी आंदोलनकारियों के हौसले नहीं टूटे। भले ही रात के अंधेरे में आंदोलनकारियों को मार पीट कर धरना स्थल से हटा दिया गया था लेकिन उसके अगले ही दिन यानि 16 दिसंबर, 2022 को सुबह फिर से आंदोलनकारी उस स्थान पर जमा हो गए जहां से उनका आंदोलन चल रहा था। लोगों का कहना है कि फोर्स फिर आई और उसमें गंगालूर थाना इंचार्ज पवन वर्मा भी शामिल थे। आंदोलनकारियों की मानें तो थाना इंचार्ज ने कहा कि सड़क व नया पुलिस कैम्प स्थापित होकर रहेगा। उनके पास भारत सरकार का आदेश है। इतना बोलकर आंदोलनकारियों को संयुक्त फोर्स ने दौड़ाना शुरू कर दिया। नतीजतन सभी आंदोलनकारी आंदोलन स्थल को छोड़कर जंगलों की ओर भागने लगे।

घटना के बाद बस्तर की आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने मौके का दौरा किया और उन्होंने आंदोलनकारियों और खासकर इस हमले में घायल लोगों से मुलाकात की। सोनी सोरी ने इस संवाददाता को बताया कि जंगलों में छिपे आंदोलनकारी आदिवासी लगातार फोन से उनके साथ संपर्क में थे और वो मदद के लिए आवाज दे रहे थे। और उन्हीं के बुलावे पर वह वहां पहुंची थीं। सोनी सोरी ने बताया की लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस आंदोलनकारियों से उन्हें नहीं मिलने दे रही थी और उन्हें बीजापुर जिले की सीमा के बाहर ही रोक दे रही थी।

नतीजतन चाहकर भी वह पीड़ितों से मुलाकात नहीं कर पा रही थीं। हालांकि सोनी सोरी का कहना है कि “मैं बस्तर संभाग के आदिवासियों की बेटी हूं लिहाजा मैंने ठान लिया था कि पीड़ित आदिवासियों से मिलकर रहूंगी”।आपको बता दें कि सोनी सोरी को सरकार की ओर से वाई प्लस सुरक्षा मिली हुई है। लिहाजा दो सुरक्षा कर्मियों, बेटी अक्षरा सोरी और बामन पोडियाम को लेकर वह घटनास्थल की ओर रवाना हो गयी थीं। और यह मार्ग उन्होंने जंगल के रास्ते तय किया। हालांकि रास्ते में उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके वह पीड़ित आदिवासियों से मिलने में कामयाब रहीं।

और आखिरकार 25 दिसंबर, 2022 को सुबह 7 बजे कुरुष गांव में सोनी सोरी पीड़ित आंदोलनकारियों के पास थीं। इस दौरान उनकी आंदोलनकारियों और उसमें घायल लोगों से मुलाकात हुई और उन्होंने उनकी हर तरह से मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को न्याय दिलाने के लिए वह स्तर पर प्रयास करेंगी।

(बीजापुर से पत्रकार लिंगा कोडोपी की रिपोर्ट।)

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