Thursday, April 25, 2024

“लौटें भी तो कैसे? कोई सुरक्षा नहीं, पुलिस का कोई सहारा नहीं”

गोकुलपुरी (नई दिल्ली)। गोकुलपुरी दिल्ली दंगे के उन प्रभावित इलाकों में से एक है जहां सबसे ज्यादा तबाही हुई है । इसके पीछे एक वजह यह है कि यह इलाका बिल्कुल सीमा पर स्थित है। लोनी इससे बिल्कुल सटा हुआ है। जहां से बताया जा रहा है कि बड़ी तादाद में दंगाइयों को आयात किया गया था। यहां तकरीबन 200 मुस्लिम परिवार रहते थे। लेकिन 23 फरवरी को दंगा शुरू होने के साथ ही लोगों का पलायन शुरू हो गया। कुछ ने अपने रिश्तेदारों के घरों का रुख किया। तो कोई परिचित या फिर दोस्त का सहारा लिया। और इस तरह से अपनी जान बचाने की प्राथमिकता के साथ उन लोगों ने अपने घरों और दुकानों को दंगाइयों के हवाले छोड़ दिया।

खौफ किस कदर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि परसों 29 तारीख हो गयी थी लेकिन कोई एक भी मुस्लिम शख्स अपनी दुकानों या फिर जले इबादतगाहों को देखने आने की हिम्मत नहीं जुटा सका। उनका कहना था कि जनचौक की हमारी टीम आयी है तो उनको भी हौसला मिला है लिहाजा उसके साथ वो भी आ गए। इसके पहले तक किसी मीडिया टीम को भी इलाके में नहीं घुसने दिया गया। इस लिहाज से हम पहले लोग थे जो इस इलाके में पहुंचे। गोकुलपुरी की मुख्य सड़क से अंदर घुसने पर तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर तमाम महफूज दुकानों के बीच एक तीन मंजिला इमारत पूरी तरह से जलकर खाक हो गयी है। शटर तोड़ दिया गया है और नीचे से लेकर ऊपर तक जले सामानों का पहाड़ दिखा।

मेडिकल स्टोर जिसे जलाया गया है।

पूछने पर पता चला कि यह मोहम्मद यूसुफ की मेडिकल स्टोर की होल सेल की दुकान थी। जिन जीवन रक्षक दवाइयों की जितनी किसी मुस्लिम को जरूरत होती है उतनी ही हिंदू को भी। लेकिन दंगाइयों ने इसका भी ख्याल नहीं रखा। यूसुफ ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि “हम यमुना विहार में रहते हैं। लिहाजा इसके जलाए जाने की सूचना हमें पड़ोसियों से फोन के जरिये मिली। 23 फरवरी की रात को सैकड़ों लोगों की भीड़ आयी। उन लोगों ने चेहरों पर नकाब पहन रखे थे। पहले उन्होंने शटर को तोड़ने की कोशिश की। लेकिन जब सफल नहीं हुए तब कटर मंगाकर उसे काटा।(शटर के कटने के निशान बिल्कुल साफ देखे जा सकते थे।)”

यूसुफ का कहना था कि शटर को काटने के बाद दंगाई रात में आए और पेट्रोल या फिर किसी पदार्थ से बना गोला अंदर डाल दिए और उसके साथ ही दुकान जल कर खाक हो गयी। यूसुफ की मानें तो स्टोर में तकरीबन डेढ़ करोड़ का सामान था। बोलते-बोलते यूसुफ के भाई की आंखें छलक आयीं। उनका पूरा दर्द आंसुओं के जरिये बहने लगा। ऊपर खुदा की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि “सब कुछ लुट गया। जीवन भर की कमाई चली गयी। 40 साल से रहने का यही सिला मिला है”। 

मेडिकल स्टोर का ग्राउंड फ्लोर।

यूसुफ का कहना था कि ‘सूचना मिलते ही हम लोगों ने पुलिस से संपर्क करना शुरू कर दिया। सैकड़ों बार 100 नंबर पर कॉल किया। लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला। बहुत कोशिश के बाद दो पुलिस आए। लेकिन भीड़ देखकर वो भी लौट गए।’  

यूसुफ की दुकान के सामने ही एक और दुकान दंगाइयों का निशाना बनी। कमरे में बिखरे शीशे। और शैंपू से लेकर बाल और दाढ़ी काटने के सामान बता रहे थे कि दुकान सैलून की थी। पूरी दुकान तहस-नहस हो गयी थी। इलाके का सबसे स्मार्ट माना जाने वाला यह सैलून असलम अली का है। 35 साल के असलम ने पूरी मेहनत और लगन से इसे बनाया था। यह उनके सपनों का सैलून था। जिसे दंगाइयों ने दो घंटे में बर्बाद कर दिया। उन्होंने बताया कि “इसको बनाने में दुबई में कमाने वाले अपने भाई का भी सहयोग लिया था। और कोई भी ऐसा आधुनिक यंत्र नहीं था जो मेरी दुकान में न रहा हो। यह इलाके का सबसे स्मार्ट सैलून था।”

घटना के वक्त असलम अली ऊपर थे। और सब कुछ अपनी आंखों से देख रहे थे। उन्होंने उसके कुछ वीडियो भी बना रखे हैं। घटना सोमवार की रात की है। असलम ने बताया कि “दंगाई हर-हर मोदी और जय श्रीराम का नारा लगा रहे थे। और उनके हाथों में तमंचे और तलवारें थीं। उन लोगों ने मुझे भी निशाना बनाकर एक गोली दागी। लेकिन मैं बच गया।“ खौफ और दहशत की वह रात असलम के चहरे पर जम गयी है। असलम के मुताबिक इसमें उनका 10 से 12 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।

असलम अली अपने सैलून में।

इन दोनों दुकानों को जलाने के बाद दंगाइयों ने पास की चूड़ियों की दुकान का रुख किया। यहां से थोक में चूड़ियों की सप्लाई की जाती थी। उन्हें अपने घर की बहू-बेटियां और सुहागिनें भी नहीं याद आयीं जिनकी सज-धज इनके बगैर पूरी नहीं होती है। दंगाइयों ने पूरी दुकान को तहस-नहस करके लूट लिया। दुकान के मालिक का कहना है कि उसे 8-9 लाख का नुकसान हुआ है।

इंसानी घरों का दरहम-बरहम करने के बाद हैवानों ने अल्लाह के घर का रुख किया। निशाना बनी गोकुलपुरी की जन्नती मस्जिद। 1978 में बनी इस मस्जिद को इलाके में बुलंद इमारत का दर्जा हासिल है। नक्काशी और कारीगरी से भरपूर इस मस्जिद को बनाने में लोगों के कई करोड़ रुपये खर्च हो गए थे।आगरा से नक्काशी भरे संगमरमरों ने उसकी शान में चार-चांद लगा दिया था। लेकिन पास पहुंचने पर मस्जिद कम भुतहा घर ज्यादा लग रही थी।

पूरी मस्जिद की छत काली हो गयी है। फर्श के संगमरमरी पत्थर तोड़ दिए गए हैं। और हाल में मौजूद सैकड़ों सीलिंग फैन में शायद ही कोई साबूत बचा हो। यह अल्लाह के घर के प्रति दंगाइयों की घृणा का सबूत ही था कि जलाने और तहस-नहस करने के बाद बाहर 200 रुपये में मस्जिद के बिकने का इश्तहार चस्पा कर गए। उनका इतने से भी मन नहीं भरा तो हाल में रखी कुरान की किताब को चिंदी-चिंदी कर जलाकर राख कर दिया।

यूसुफ के भाई ने बताया कि मस्जिद को सिलेंडर ब्लास्ट करके उड़ाया गया है। पूरी मस्जिद की छत पर कालिख और बगल की टूटी दीवार इसकी गवाही कर रहे थे। फिर उसके बाद मस्जिद के ऊपर दंगाइयों ने भगवा झंडा फहरा दिया। जिस पर जय श्रीराम लिखा हुआ था।

इन सारी चीजों ने मिलकर मुसलमानों के हौसलों को तोड़ दिया है। लाचारी और बेचारगी उनके चेहरों पर बिल्कुल साफ देखी जा सकती थी। नुकसान से ज्यादा उनको खुद के और अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। वापस लौटने के सवाल पर सबका एक ही उत्तर था दहशत है। लौटने का दिल नहीं कर रहा है।

मोहम्मद आमीन ने कहा कि “लौटें भी तो कैसे कोई सुरक्षा नहीं, पुलिस का कोई सहारा नहीं’।

(वीना के साथ महेंद्र मिश्र की रिपोर्ट।)

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