भारत में चुनाव परिणामों के विश्लेषण में धर्म-जाति का समीकरण इस कदर हावी हो जाता है कि लगने लगता है कि बेरोजगारी और गरीबी जैसे बुनियादी मुद्दों से वोटरों का कोई मतलब ही नहीं रह गया है। जबकि अक्सर सच इसके उलट होता है। कर्नाटक चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बना। लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के अनुसार कर्नाटक के मतदाताओं के लिए वोट देने का निर्णय लेते समय बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा था।
लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे में 30 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि वोट देने के समय उनके लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। इसका मतलब है कि करीब एक तिहाई मतदाताओं के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा रही। बेरोजगारी के बाद दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा गरीबी रही है। 21 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि उनके लिए गरीबी सबसे बड़ा मुद्दा है। महंगाई 6 प्रतिशत मतदाताओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा थी। इस तरह करीब 60 प्रतिशत मतदाताओं के लिए आर्थिक सवाल सबसे बड़े मुद्दे थे।
गरीबी के सवाल पर कांग्रेस को सर्वाधिक 48 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया। उनको यह उम्मीद है कि कांग्रेस उनकी गरीबी दूर करेगी। जबकि 47 प्रतिशत मतदाताओं ने बेरोजगारी के सवाल पर कांग्रेस को वोट दिया, उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस उनकी बेरोजगारी को दूर करेगी। जबकि भाजपा को सिर्फ 33 प्रतिशत मतदाताओं ने इस आधार पर वोट दिया कि वह गरीबी दूर करेगी। 30 प्रतिशत मतदाताओं ने भाजपा को इस आधार वोट दिया कि वह बेरोजगारी दूर करेगी।
महंगाई कर्नाटक चुनाव के दौरान सिर्फ 6 प्रतिशत लोगों के लिए मुख्य मुद्दा रही। कांग्रेस को वोट देने वाले वोटरों में 60 प्रतिशत को यह उम्मीद है कि कांग्रेस मंहगाई कम करेगी। जबकि भाजपा को वोट देने वाले वोटरों के सिर्फ 28 प्रतिशत को उम्मीद है कि वह गरीबी दूर करेगी।
2018 के विधान सभा चुनावों में बेरोजगारी का मुद्दा बड़ा मुद्दा नहीं था। सिर्फ 3 प्रतिशत मतदाताओं ने इसे मुख्य मुद्दा माना था। जबकि इस बार 30 प्रतिशत मतदाताओं ने इसे मुख्य मुद्दा माना। इस बात का प्रमाण है कि कर्नाटक में बेराजोगारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। 26 प्रतिशत लोगों ने माना कि रोजगार मिलने की संभावना सिकुड़ गई है।
चुनावों के दौरान विकास का सवाल 15 प्रतिशत मतदाताओं के लिए चुनाव का मुख्य मुद्दा था। विकास के सवाल पर 48 प्रतिशत मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया, जबकि विकास के सवाल पर 29 प्रतिशत मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट दिया। कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार को चुनाव के दौरान एक मुख्य मुद्दा बनाया था। इसके बावजूद भी सिर्फ 4 प्रतिशत मतदाओं के लिए यह मुख्य मुद्दा था।
वोट का पैर्टन बता रहा है कि जिनके लिए बेरोजगारी, गरीबी और मंहगाई मुख्य मुद्दा था, उन्होंने कांग्रेस को अपनी पहली पसंद बनाया। कर्नाटक के एक बड़े हिस्से में बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी भाजपा की हार का एक बड़ा कारण बनी।
(जनचौक)