वैक्सीन लोगों की जिंदगी बचाने का औजार बनने की जगह पीएम मोदी के निजी प्रचार का साधन बन गयी: प्रियंका गांधी

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि भारत अब तक दुनिया में वैक्सीन उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा देश था लेकिन पीएम मोदी ने उसे याचक की कतार में खड़ा कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की वैक्सीन लोगों की जिंदगियों को बचाने का औजार बनने की जगह पीएम मोदी के निजी प्रचार का साधन बन गयी। प्रियंका गांधी ने ये बातें आज से शुरू किए गए अपने ‘जिम्मेदार कौन’? श्रृंखला की पहली किश्त में कही है।

उन्होंने बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा कि पिछले साल 15 अगस्त को मोदी जी ने लाल किले से भाषण में कहा उनकी सरकार ने वैक्सिनेशन का पूरा प्लान तैयार कर लिया है। भारत के वैक्सीन उत्पादन और वैक्सीन कार्यक्रमों की विशालता के इतिहास को देखते हुए ये विश्वास करना आसान था कि मोदी सरकार इस काम को तो बेहतर ढंग से करेगी। 

आखिर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1948 में चेन्नई में वैक्सीन यूनिट व 1952 में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे को स्थापित कर भारत के वैक्सीन कार्यक्रम को एक उड़ान दी थी। हमने सफलतापूर्वक चेचक, पोलियो आदि बीमारियों को शिकस्त दी। आगे चलकर भारत दुनिया में वैक्सीन का निर्यात करने लगा और आज दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक है। इन उपलब्धियों को जानकर देश निश्चिंत था कि भारतवासियों को वैक्सीन की समस्या नहीं आएगी।

मगर कड़वी सच्चाई यह है कि महामारी की शुरुआत से ही, भारत में वैक्सीन आम लोगों की जिंदगी बचाने के औज़ार के बजाय प्रधानमंत्री के निजी प्रचार का साधन बन गई।

प्रियंका गांधी ने कहा कि आज दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक भारत अन्य देशों से वैक्सीन के दान पर निर्भर हो गया है और वैक्सिनेशन के मामले में दुनिया के कमजोर देशों की कतार में शामिल हो गया है। ऐसा क्यों हुआ?

जिम्मेदार कौन?

उन्होंने सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज भारत की 130 करोड़ की आबादी के मात्र 11% हिस्से को वैक्सीन की पहली डोज़ और मात्र 3% हिस्से को फुल वैक्सिनेशन नसीब हुआ है। 

जिम्मेदार कौन?

मोदीजी के टीका उत्सव की घोषणा के बाद पिछले एक महीने में वैक्सिनेशन में 83% की गिरावट आ गई। 

जिम्मेदार कौन? 

उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने देश को वैक्सीन की कमी के दलदल में धकेल दिया है। वैक्सीन पर अब बस मोदी जी की फोटो ही है बाकी सारी जिम्मेदारी राज्यों के ऊपर डाल दी गई है। आज राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को वैक्सीन की कमी होने की सूचना भेज रहे हैं। 

अंत में उन्होंने तथ्यों के साथ कुछ सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि वैक्सीन कमी के पीछे सरकार की फेल वैक्सीन पॉलिसी दिखाई पड़ती है। आइए, इस फेल वैक्सीन पॉलिसी की कुछ बानगी देखें-

• विश्व के बड़े-बड़े देशों ने पिछले साल ही उनकी जनसंख्या से कई गुना वैक्सीन आर्डर कर लिए थे। मगर मोदी सरकार ने पहला आर्डर जनवरी 2021 में दिया वह भी मात्र 1 करोड़ 60 लाख वैक्सीन का जबकि हमारी आबादी 130 करोड़ है।

• इस साल जनवरी-मार्च के बीच में मोदी सरकार ने 6.5 करोड़ वैक्सीन विदेश भेज दी। कई देशों को मुफ़्त में भेंट भी की। जबकि इस दौरान भारत में मात्र 3.5 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन लगी।

• सरकार ने 1 मई से 18-44 आयु वर्ग की लगभग 60 करोड़ जनसंख्या को वैक्सीन देने के दरवाजे खोले लेकिन मात्र 28 करोड़ वैक्सीन के आर्डर दिए जिससे केवल 14 करोड़ जनसंख्या को वैक्सीन लगाना संभव है। 

अब, देश की जनता मोदी जी से कुछ प्रश्न पूछ रही है।

 मोदीजी के बयान के अनुसार उनकी सरकार पिछले साल ही वैक्सिनेशन के पूरे प्लान के साथ तैयार थी, तब जनवरी 2021 में मात्र 1 करोड़ 60 लाख वैक्सीनों का आर्डर क्यों दिया गया?

 मोदी जी की सरकार ने भारत के लोगों को कम वैक्सीन लगाकर, ज्यादा वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी?

 दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक भारत, आज दूसरे देशों से वैक्सीन मांगने की स्थिति में क्यों आ गया और वहीं ये निर्लज्ज सरकार इसे भी उपलब्धि की तरह प्रस्तुत करने की कोशिश क्यों कर रही है?

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author