Saturday, April 20, 2024

पीएम केयर्स फंड से खरीदे गए वेंटिलेटर ट्रायल में फेल

नई दिल्ली। पीएम केयर्स फंडेड और देशी कंपनियों से खरीदे गए वेंटिलेटर स्वास्थ्य मंत्रालय की टेक्निकल कमेटी के क्लीनिकल मूल्यांकन में नाकाम हो गए हैं। यह बात एक आरटीआई के जरिये सामने आयी है।

कंपनी ज्योति सीएनसी आटोमेशन और आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (एएमटीजेड)- को पहले उसी समय 22.50 करोड़ रुपये एडवांस पेमेंट के तौर पर हासिल हो चुके हैं जब पीएम केयर्स की ओर से आवंटन किया गया था।

हालांकि मंत्रालय की ओर से आए आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि जुलाई में उन्हें लिस्ट से हटा दिया गया। आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने यह आरटीआई डाली थी।

ज्योति सीएनसी एक गुजरात आधारित फर्म है जिसके वेंटिलेटरों के कोविड मरीजों के लिए अपर्याप्त होने के चलते अहमदाबाद सिविल अस्पताल में जमकर आलोचना हुई थी। 

जबकि एएमटीजेड को आंध्र प्रदेश की सरकार चलाती है। हालांकि क्लीनिकल मूल्यांकन के बाद इसके वेंटिलेटरों को सप्लायर लिस्ट में शामिल करने की संस्तुति नहीं दी गयी थी। स्वास्थ्य मंत्रालय के 20 जुलाई के जवाब में बताया गया है कि एएमटीजेड के आर्डर का 4 अगस्त को स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की एक प्रेस ब्रीफिंग में जिक्र किया गया था।

क्लीनिकल मूल्यांकन के बाद पीएम केयर्स के आदेश में ‘मेड इन इंडिया’ निर्मित वेंटिलेटरों की खरीद की सूची में कटौती कर दी गयी। जो पहले 58850 यूनिट थी उसे घटाकर 40000 कर दिया गया। इसमें कीमतों का दायरा 1.60 लाख से 8.6 लाख प्रति यूनिट था। अस्पतालों में कम से कम 18000 वेंटिलेटरों की सप्लाई हो गयी थी।

भूषण के मुताबिक 3 अगस्त को पूरे देश के पैमाने पर केवल .27 एक्टिव कोविड-19 मामले वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। इसके साथ ही उनका कहना था कि किसी भी समय 1 फीसदी से ज्यादा मामले वेंटिलेटर सपोर्ट पर नहीं रहे। इसका मतलब है कि महामारी की शुरुआत से ही कुल मिलाकर 30000 कोविड-19 मरीज हैं जिन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है।

जैसा कि पहले बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया था वेंटिलेटरों की घरेलू मांग उतनी नहीं रही। इस बात को देखते हुए केंद्र सरकार ने वेंटिलेटरों के निर्यात पर लगी पाबंदी को 1 अगस्त से हटा लिया। जिससे घरेलू निर्माता अपने उत्पाद को वैश्विक बाजार में बेंच सकें।

एक साल पहले परिस्थिति बिल्कुल अलग थी। 2019 में भारत में वेंटिलेटरों की वार्षिक सप्लाई केवल 8500 यूनिट थी जिसमें 75 फीसदी बाजार आयातित सामानों का था।

महामारी ने वेंटिलेटरों की मांग में वैश्विक स्तर पर उछाल ला दिया। जिसमें ढेर सारे उत्पादक देशों ने निर्यात पर पाबंदी लगा दी और आयातित वेंटिलेटरों की कीमत 10 से 20 लाख रुपये तक बढ़ गयी। उसके बाद केंद्र ने घेरलू जरूरतों के लिहाज से जो अनुमान लगाया उसमें 60 हजार यूनिट की मांग सामने आयी। इस लिहाज से उसने घरेलू निर्माताओं को इस काम में लगने का प्रस्ताव दिया।

इस तरह से पीएम केयर्स फंड ने 13 मई को पहले आवंटन की घोषणा की जिसमें 50000 ‘मेड इन इंडिया वेंटिलेटरों की खरीद के लिए 2000 करोड़ दिए गए।

भारद्वाज के आरटीआई आवेदन के जवाब में एक और दिलचस्प बात बतायी गयी। जिसके मुताबिक एक पत्र के जरिये कहा गया था कि “मैं आप से इस बात को सुनिश्चित करने का निवेदन करता हूं कि इन 50000 वेंटिलेटरों के निर्माताओं को सूचित कर दिया जाए कि वेंटिलेटरों की एक अलग पहचान होनी चाहिए जिससे यह दिखाया जा सके कि सप्लाई पीएम केयर्स फंड से समर्थित है। इससे आगे इन सभी वेंटिलेटरों में जीपीएस डिवाइस होना चाहिए जिससे उनके आपरेशन और प्लेसमेंट को ट्रैक किया जा सके।”

20 मई को सुश्री सुडान ने डिवाइस में पीएम ‘केयर्स लोगो’ औऱ ‘जीपीएस चिप्स’ के लगे होने का भरोसा दिलाया। इसके साथ ही यह भी बताया कि मंत्रालय ने 2332 करोड़ रुपये की कीमत पर 58850 वेंटिलेटरों की खरीद का आर्डर दे दिया है। इसमें 30000 रक्षा क्षेत्र की निर्माता कंपनी भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड की यूनिट शामिल थीं। जिनकी कुल कीमत 1513.90 करोड़ रुपये थी और एडवांस में उन्हें 205.50 करोड़ रुपये दे दिए गए।

सुडान का पत्र यह भी बताता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की पीएसयू हिंदुस्तान लाइफकेयर लिमिटेड (एचएलएल) को बाकी वेंटिलेटरों की खरीद की जिम्मेदारी सौंप दी गयी। 27 मार्च को यह पहले ही 10 हजार वेंटिलेटरों का 166 करोड़ रुपये में खरीद का एक आदेश 20 करोड़ रुपये के एडवांस पेमेंट पर दे दिया गया था।

दूसरी कंपनियां जिन्होंने 20 मई को खरीद का आदेश हासिल किया था उनमें एलाइड मेडिकल (350 यूनिट 30 करोड़ में कोई एडवांस नहीं), एएमटीजेड बुनियादी और उच्च वेंटिलेटर के लिए (13500 यूनिट, 500 करोड़ रुपये, 14.5 करोड़ एडवांस) और ज्योति सीएनसी आटोेमेशन (5000 यूनिट, 121 करोड़ रुपये, 8 करोड़ एडवांस)।

मंत्रालय ने 20 जुलाई की आरटीआई के जवाब में खरीद आदेश की सूची में उपरोक्त नामों और उससे जुड़े विवरण को दिया। लेकिन इसके साथ ही उसमें आगे कहा गया था कि “सफलतापूर्वक क्लीनिकल मूल्यांकन के बाद डीजीएसएस के तहत गठित टेक्निकल कमेटी ने नीचे दिए गए वेंटिलेटर को विभिन्न राज्यों में लगाने की संस्तुति करती है।” और इस कड़ी में जारी सूची में एएमटीजेड और ज्योति सीएनसी का नाम नहीं था।

अहमदाबाद सिविल अस्पताल के सुपरिटेंडेंट ने 15 मई को राज्य सरकार की मेडिकल सेवाओं को पत्र लिखकर कहा कि ज्योति सीएनसी द्वारा बनाए जा रहे धमन-1 वेंटिलेटर अपेक्षित नतीजे लाने योग्य नहीं हैं। ऐसा वहां के एनेस्थीसिया विभाग के हेड ने बताया। उन्होंने राज्य को तत्काल उच्च क्षमता वाले वेंटिलेटरों को मुहैया कराने की मांग की। इस मामले में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने जांच की मांग की थी। दरअसल एएमटीजेड को उच्च क्षमता वाले वेंटिलेटर बनाने का कोई अनुभव ही नहीं है। 

(‘द हिंदू’ से कुछ इनपुट लिए गए हैं।)

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