बीजेपी की जीत और केजरीवाल की हार के मायने

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यूपी की मिल्कीपुर सीट पर सपा और दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने आप को परास्त कर दिया। दिल्ली में इस जीत के साथ ही उसने केजरीवाल की राजनीति को भी जमींदोज कर दिया। ऐसा क्यों हुआ यह तो विश्लेषण का विषय हो सकता है। कई तरह के विश्लेषण हो सकते हैं।

जानकार कुछ कमियां आप की निकाल सकते हैं जबकि बीजेपी की तारीफ की जा सकती है। कोई यह भी कह सकता है कि आखिर बीजेपी में ऐसा क्या है या फिर उसने क्या कर दिया है कि दिल्ली की पढ़ी लिखी जनता ने उसे 27 साल बाद फिर से ताज पहना दिया है? इसके भी अपने तर्क-वितर्क हो सकते हैं और आने वाले दिनों में इस पर खूब बहस भी हो सकती है। 

लेकिन इस चुनाव के बाद अब बहस इस बात को लेकर भी शुरू हो गई है कि राजनीति का सच आखिर कौन बखान कर रहा है? क्या वह गोदी मीडिया ही सच बोल रहा है या फिर डिजिटल मीडिया वाले सच कह रहे हैं? गोदी मीडिया की अपनी कहानी हो सकती है लेकिन एक बात तो साफ़ हो गई है कि डिजिटल मीडिया की राजनीतिक पकड़ भी उतनी मजबूत नहीं हुई है जो सच को सामने ला सके। 

केवल पसंद और नापसंद के आधार पर कोई भी मीडिया राजनीति का सच नहीं कह सकता। डिजिटल मीडिया कई मायनों में गोदी मीडिया को भले ही चुनौती देता दिख रहा हो लेकिन एक बात तो पता है कि उसकी स्पॉट रिपोर्टिंग और जनता के बीच पहुंच आज भी कमजोर है।

डिजिटल मीडिया आज जनता के बड़े हिस्से के साथ पहुंच ज़रूर रही है लेकिन आंकड़ों की बाजीगरी करने या फिर जनता का मूड भांपने में वह असफल है। यही वजह है कि कल तक जो मीडिया के लोग यह कहते फिर रहे थे कि आप की सरकार ही बनेगी क्योंकि उसने दिल्ली वालों को बहुत कुछ मुफ्त दिया है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 

तो क्या मुफ्त देने वाली पार्टी को जनता अब नकार रही है? या क्या आप पर लगे घोटाले के दाग ने आप को कहीं का नहीं छोड़ा? ऐसे और भी कई सवाल उठ सकते हैं। लेकिन उन सवालों से होगा भी क्या? बड़ी बात तो यह भी है कि जो लोग यह मानकर चल रहे थे कि कांग्रेस आप का खेल बिगाड़ सकती है क्या ऐसा हुआ भी?

अभी वोट के दलगत आंकड़े सामने नहीं आये हैं। इस चुनाव में कांग्रेस साफ़ हो गई है लेकिन वोट के आंकड़े से ही पता चल सकता है कि आप की हार के पीछे का सच क्या है? कांग्रेस ने उसे कितना डेंट किया है? वह खुद तो साफ़ हो ही गई है क्या उसने आप को भी साफ़ कर दिया है। लेकिन यह सब वोट प्रतिशत देखने के बाद ही पता चल सकेगा। 

इस चुनाव का असर अगले बिहार चुनाव पर क्या पड़ेगा यह भी देखने की ज़रूरत होगी। क्या बिहार में बीजेपी अब जदयू का नखरा झेल पाएगी? क्या नीतीश कुमार बिहार चुनाव में कोई बड़ा निर्णय ले सकेंगे? क्या बीजेपी के सामने बिहार एनडीए का कोई भी दल अब सीट के लिए मुंह खोल पायेगा? और बड़ी बात तो यह है कि कांग्रेस के साथ ही इंडिया का क्या होगा? बिहार में कांग्रेस कोई बड़ा निर्णय ले पाएगी? और क्या राजद अब कांग्रेस को कोई भाव दे पाएगी?

हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद ही कांग्रेस की कमजोरी सामने आ गयी थी। इंडिया की मुश्किलें बढ़ गई थीं। ऐसे में अब लगता है कि बिहार में जो होगा उसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती।

बीजेपी के वोटरों का मनोबल जितना बढ़ा हुआ है ऐसे में अब इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं हो सकता है कि देश और बिहार की समस्या चाहे जो भी हो, मोदी की नीति और राजनीति भले ही गलत हो लेकिन एक बात तो साफ़ हो गया है कि मौजूदा दौर में बीजेपी की चुनावी राजनीति के सामने कोई टिकता नजर नहीं आ रहा है। 

ऐसे में बिहार चुनाव में जदयू को ही साइड करके चुनाव लड़े तो इसमें कोई परेशानी की बात नहीं हो सकती। अब बिहार में बीजेपी बड़े स्तर पर खुद की सरकार बनाने की तैयारी करेगी।

हालांकि अभी वह जदयू और बाकी गठजोड़ वाली पार्टियों के साथ कोई मनमुटाव तो नहीं करेगी लेकिन एक बात तय है कि बीजेपी चाहेगी कि बिहार में भी उसका मुख्यमंत्री बने। नीतीश कुमार यह सब जानते हैं। उनके सामने चुनौती यही है कि जदयू ज्यादा सीटों पर लड़े और बीजेपी से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल हो। लेकिन क्या यह सब संभव होगा ?

कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है। फिर इंडिया गठबंधन के सामने भी चुनौती अब बड़ी होती दिख रही है। कांग्रेस इस बात पर गुमान कर सकती है कि हरियाणा और गुजरात के साथ ही पंजाब में हार का बदला उसने दिल्ली से ले लिया लेकिन कांग्रेस ने कितना डेंट किया है यह भी देखने की बात हो सकती है।

अगर आंकड़ों में कांग्रेस कोई चमत्कार नहीं दिखा पाती है तो उसकी आगे की राह मुश्किल भरी हो सकती है। पार्टी में फिर से टूट भी हो सकती है और कई नेता पार्टी से बहार निकल भी सकते हैं। 

आगे की राजनीति और भी विचित्र होने वाली है। दिल्ली की जीत से बीजेपी बहुत कुछ कर सकती है। उनके इरादे अब बुलंद हो गए हैं। केंद्र भी उसकी और दिल्ली सरकार भी उसकी। मोदी की तो जयजयकार है। लगे हाथ यूपी की मिल्कीपुर भी बीजेपी के हाथ चली गई है।

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में हार का बदला ले लिया है लेकिन बीजेपी की यह जीत सपा के लिए भी काम मुसीबत वाला नहीं है। अखिलेश यादव आगे क्या कुछ प्लानिंग करते हैं यह देखने की बात हो सकती है लेकिन एक बात तो तय है कि दिल्ली और मिल्कीपुर को जीत कर बीजेपी और मोदी-शाह की चुनावी राजनीति सब पर भारी है।

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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