Friday, March 29, 2024

पवार के सामने जिंदा हो गयी 41 साल पुरानी तस्वीर!

नई दिल्ली। एनसीपी मुखिया शरद पवार के जीवन में घटनाओं का एक चक्र पूरा हो गया। पवार आज वहीं आकर खड़े हो गए हैं जहां से उन्होंने 1978 में राजनीतिक कैरियर के अपने नये दौर की शुरुआत की थी। तब उनके सामने खुद उनके गुरु बसंत दादा पाटिल थे जो उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। और सूबे में उनकी सरकार को बने महज एक महीने हुए थे। पवार ने उनसे बगावत कर विपक्ष यानि तब की जनता पार्टी समेत कुछ दूसरे दलों के साथ हाथ मिलाकर सरकार का गठन कर लिया था। नाम दिया था प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट। उस समय पवार की उम्र महज 38 साल थी। हालांकि यह सरकार महज दो साल ही चल सकी थी।

आज तकरीबन 41 साल बाद ठीक वही स्थिति उनके सामने खड़ी हो गयी है। जब खुद उनका भतीजा ही बगावत कर उनके विरोधी दल से जा मिला है। और उससे निपटने के लिए उन्होंने अपने पूरे जीवन की राजनीतिक पूंजी दांव पर लगा दी है।

समय बढ़ने के साथ ही देश की आर्थिक राजधानी में घटनाओं का सिलसिला तेज होता जा रहा है। अजित पवार के मान मनौव्वल की तमाम कोशिशें बेकार गयी हैं। उन्होंने खुलकर आज कह दिया कि बीजेपी के साथ गठित उनकी सरकार स्थिर होगी और वह अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। अपने ट्विटर हैंडल का बायो उन्होंने बदल दिया है। और उसमें खुद को डिप्टी सीएम के तौर पर पेश किया है। लेकिन इसके साथ ही उसकी एक पोस्ट में उन्होंने यह भी कहा है कि वह अभी भी एनसीपी में हैं और हमेशा एनसीपी में बने रहेंगे। और शरद पवार ही उनके नेता हैं।

अजित पवार का ट्वीट आने के कुछ समय बाद ही शरद पवार ने भी एक बेहद महत्वपूर्ण ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। एनसीपी ने एकमत से शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। और अजित पवार का बयान बिल्कुल झूठा है जो न केवल भ्रम पैदा करता है बल्कि झूठी धारणा पैदा करने के लिए दिया गया है।

इसके साथ ही पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले ने ट्वीट कर एक फोटो जारी किया है जिसमें उनके साथ शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे, उनके चचेरे भाई और एनसीपी विधायक रोहित पवार खड़े हैं। इसी तरह की एक अन्य फोटो में इन तीनों के साथ शिवसेना नेता संजय राऊत भी खड़े हैं।

इसके पहले एनसीपी विधायकों की मुंबई स्थिति रेनेसा होटल में बैठक हुई। जिसमें शरद पवार के साथ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी शरीक हुए। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में तकरीबन पांच एनसीपी विधायकों ने बताया कि अजित पवार ने एनसीपी छोड़कर सरकार को समर्थन देने पर उन्हें मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था। इस बैठक में तकरीबन 50 विधायक मौजूद थे। बताया जा रहा है कि पवार ने यह बैठक विधायकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए बुलायी थी। गौरतलब है कि शनिवार से ही तरह-तरह की अफवाहें उड़ायी जा रही हैं जिससे विधायकों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ रहा है। कहा जा रहा था कि अजित पवार के साथ एनसीपी के तकरीबन 11 विधायक हैं। जबकि सच्चाई उसके बिल्कुल विपरीत है। इस बैठक में शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे, एकनाथ खड़से और संजय राऊत भी मौजूद थे।

विधायकों के साथ बैठक करने के बाद शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने अलग से एक कमरे में बैठक की।

एनसीपी की बैठक के बाद बीजेपी के विधायकों की भी उसके दफ्तर में बैठक हुई जिसको मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने संबोधित किया। इसमें उन्होंने गठबंधन तोड़ने के लिए शिवसेना की जमकर खिंचाई की। बैठक के बाद बीजेपी विधायक आशीष शेलर ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि पार्टी ने फ्लोर टेस्ट के मसले पर विचार किया और उसको जीतने के लिए रणनीति बनायी।

कांग्रेस के विधायकों को जेडब्ल्यू मैरियट होटल में रखा गया है। इसके साथ ही शिव सेना ने भी अपने सभी 55 विधायकों को एक होटल में शिफ्ट कर दिया है।

इस बीच कांग्रेस के नेता अशोक चाह्वाण ने कहा है कि असेंबली के सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए। और अब तक की यही परंपरा भी रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के जरिये बीजेपी और ज्यादा समय हासिल करने की कोशिश कर रही है। जिससे वह विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सके।  

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