कैंडल मार्च और सभाएं कर देश भर के किसानों ने दी पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि

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किसान आंदोलन के 81 वें दिन यानि आज 14 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में किसान पुलवामा शहीदों के लिए कैंडल मार्च निकाल रहे हैं। वहीं दिल्ली बॉर्डर को घेरकर बैठे सिंघु, टिकरी, गाजीपुर, कुंडली, शाहजहांपुर आदि तमाम बॉर्डर पर भी आंदोलनकारी किसानों ने पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। साथ ही किसानों ने हाथों में मोमबत्ती लेकर कैंडल मार्च, मशाल जुलूस भी निकाला।

वहीं भाकियू (अराजनैतिक) प्रवक्ता राकेश टिकैत ने पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है, “पुलवामा हमले” में शहीद हुए मां भारती के लाल सभी वीर सपूतों की पुण्यतिथि पर उन्हें समस्त किसान परिवार की ओर से श्रद्धांजलि,कोटि-कोटि नमनl “

उधर, एसकेएम यानी संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा के कृषि मंत्री के बयान को अमानवीय बताते हुए इसकी निंदा की और चेतावनी दी कि लोग उनके इस अहंकार के लिए एक उचित सबक सिखाएंगे।

मोर्चे ने बताया कि आज करनाल के इंद्री में आयोजित किसान महापंचायत में, भारत के शहीद जवानों और वर्तमान आंदोलन में शहीद किसानों के बलिदान को सम्मानपूर्वक याद किया गया। एसकेएम ने कहा कि भाजपा-आरएसएस के छद्म राष्ट्रवाद के विपरीत, इस देश के किसान वास्तव में देश की संप्रभुता, एकता और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए समर्पित हैं।

SKM ने इस तथ्य की निंदा की कि सरकार संसद में बिना शर्म के स्वीकार कर रही है कि उनके पास उन किसानों का कोई डेटा नहीं है जिन्होंने चल रहे आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी थी। मोर्चा ने इन शहीद किसानों की जानकारी के बारे में एक ब्लॉग साइट चला रहा है। अगर सरकार को परवाह है तो वहां डेटा आसानी से उपलब्ध है। एसकेएम ने कहा, “यह वही कठोरता है जिससे अब तक लोगों की जान चली गई है।”

हरियाणा के करनाल जिले के इंद्री में एक विशाल महापंचायत में, एसकेएम नेताओं ने चेतावनी दी कि भाजपा के दिन पूरे हो चुके हैं क्योंकि अधिक से अधिक किसान जागृत हो रहे हैं।

सरकार के विभाजनकारी प्रयासों के बावजूद अलग-अलग राज्यों और धर्मों के किसानों ने एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया। प्रत्येक महापंचायत के साथ यह एकता मजबूत हो रही है। “ग्रामीण भारत और कृषि हमारे लिए मुख्य एजेंडा है।” एसकेएम नेताओं ने आज कहा।

शहीद किसानों और पुलवामा के शहीद जवानों को याद करते हुए आज शाम 7 से 8 बजे के बीच पूरे देश के गांवों और कस्बों में मशाल जूलूस और कैंडल मार्च का आयोजन किया जा रहा है।

आने वाले दिनों में अधिक से अधिक किसानों के धरना स्थलों में शामिल होने और आंदोलन को औपचारिक रूप से मजबूत बनाने की उम्मीद है। यह केवल समय की बात है कि सरकार को हमारी सभी मांगें माननी ही पड़ेगी।

संयुक्त किसान मोर्चा के आवाहन पर पुलवामा के शहीद सैनिकों और किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने पूरे प्रदेश में कैंडल जुलूस एवं शोक सभाएं आयोजित की। ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा बुलंद करते हुए इन कार्यक्रमों में आरएसएस और भाजपा के छद्म राष्ट्रवाद का भंडाफोड़ किया गया। एक टीवी चैनल के सम्पादक के वाट्सअप चैट लीक होने के बाद अब ये साफ हो गया है कि भाजपा ने पुलवामा हमले और बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक का इस्तेमाल अपने चुनावी राजनीतिक हितों को साधने के लिए किया था। इन श्रद्धांजलि सभाओं के बारे में आईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डॉ. बृज बिहारी ने प्रेस को जानकारी दी।      

कार्यकर्ताओं ने कहा कि तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के किसानों के जारी आंदोलन को दिन प्रतिदिन मिल रहे भारी समर्थन ने प्रधानमंत्री को गहरे अलगाव में डाल दिया है। संसद के दोनों सदनों में दिया गया उनका वक्तव्य इसी बौखलाहट का प्रदर्शन है। इस किसान आंदोलन ने देश को दिखा दिया है कि कथित महामानव प्रधानमंत्री पूंजी की ताकत के सामने बौने हैं। इसी बौखलाहट का नतीजा है कि उनकी सरकार किसानों की बाड़बंदी करने और किसानों के पक्ष में खड़े नागरिकों व बुद्धिजीवियों के विरूद्ध दुष्प्रचार करने और दमन ढाने में लगी हुई है। यहां तक कि किसानों व आमजन की आवाज उठा रहे न्यूज क्लिक जैसे वेब चैनलों के दफ्तरों पर ईडी के छापे डाले जा रहे हैं और देश के प्रतिष्ठित पत्रकारों के विरूद्ध देशद्रोह के मुकदमे कायम किए गए हैं।

दरअसल किसानों के आंदोलन ने कारपोरेट के लाभ के लिए देश को तबाह करने वाले रास्ते के बरअक्स देश की तरक्की के लिए जरूरी खेती किसानी के विकास के रास्ते के सवाल को सामने ला दिया है। बड़े कारपोरेट घरानों और वित्तीय सम्राटों के सामने नतमस्तक प्रधानमंत्री देश में हर उठ रही आवाज को कुचलना चाहते हैं लेकिन किसानों के जारी आंदोलन ने उनके देश पर तानाशाही थोपने के मंसूबे को ध्वस्त कर दिया है।

स्वतंत्र टिप्पणीकार दयानंद की पोस्ट 

इस बीच, 21 साल की एक्टिविस्ट दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार कर लिया गया है। दिशा रवि FFF यानी फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर नाम की संस्था की फाउंडर सदस्य हैं। ये संस्था कई देशों में पर्यावरण और क्लाइमेट से संबंधित मसलों पर काम करती है। कोलिशन फ़ॉर एनवायरमेंटल जस्टिस इन इंडिया’ नामक संस्था ने दिशा की गिरफ़्तारी के बाद एक बयान जारी किया है।

इस संस्था ने लिखा है कि ‘केंद्र सरकार युवाओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना बंद करे और देश में पर्यावरण और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर ध्यान दे।’

संस्था ने अपने बयान में लिखा है कि “दिशा रवि की गिरफ़्तारी न्याय-संगत नहीं है। ये कोई छिपी हुई बात नहीं कि दिल्ली पुलिस नियमों का सम्मान नहीं कर रही। लेकिन दिशा की गिरफ़्तारी निंदनीय है और यह संवैधानिक सिद्धांतों की अवमानना है।”

बयान में यह भी कहा गया है कि “भारत सरकार के ऐसे क़दम, लोकतंत्र का गला घोटने के बराबर हैं।”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी दिशा की गिरफ़्तारी की निंदा की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि “यह अनुचित उत्पीड़न है। यह धमकाने की कोशिश है। इस समय में मैं पूरी तरह से दिशा रवि के साथ हूँ।”

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