Thursday, April 25, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट-2:योगी सरकार ने गुल की बनारसी बुनकरों की ‘बत्ती’,भूख मिटाने के लिए बेच रहे पॉवरलूम

“शौहर की मौत के बाद हमारी आर्थिक हालत खराब हो रही थी। हथकरघा पर बुनाई से 10 सदस्यों के परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था। बच्चों के कहने पर मैंने मीटिंग (माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूह) से लोन लिया। 50 हजार रुपये में एक पुरानी पॉवरलूम मशीन लगाई। मैं और परिवार के बच्चे इस पर बुनाई करते थे। मीटिंग का पैसा एक साल में ही मैंने चुका दिया। करीब छह महीने बाद मैंने मीटिंग से दोबारा लोन लेकर दूसरी पुरानी पॉवरलूम मशीन लगाई। मैंने सोचा था कुछ आमदनी बढ़ जाएगी लेकिन महंगाई की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। मुश्किल से घर का खर्च चल पा रहा था। समय से बिजली का बिल भी नहीं जमा कर पा रही थी। अचानक सरकार ने बिजली के फ्लैट रेट को खत्म कर दिया और यूनिट की दर से हजारों रुपये का बिजली का बिल बकाया हो गया। मार्च में लॉक-डाउन भी हो गया। ताना-बाना भी मिलना बंद हो गया। मूर्री भी बंद हो गई। आमदनी का दूसरा जरिया नहीं था। घर की आर्थिक हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गई। घर का खर्च चलाने के लिए अगस्त में एक पॉवरलूम मशीन केवल 25 हजार रुपये में बेचनी पड़ी। लॉक-डाउन हटने के बाद कुछ काम मिलना शुरू ही हुआ था कि बिजली विभाग के अधिकारियों ने बिजली काट दी। एक महीने से ज्यादा हो गए लेकिन अभी बिजली का कनेक्शन नहीं जुड़ा है। काम-काज ठप है। समझ नहीं आ रहा है कि घर का खर्च कैसे चलाएं और बिजली का हजारों रुपये का बिल कैसे भरें?”

शफीयून निशा, बुनकर, अमरपुर बटलोहिया

यह कहना है 55 वर्षीय महिला बुनकर शफीयून निशा का। वह सरैया पुलिस चौकी क्षेत्र के अमरपुर बटलोहिया में हड्डी गोदाम के पास आधा बिस्वा में बने एक मंजिला मकान में रहती हैं। सकरी गलियों के बीच मौजूद इस मकान में भी दो हिस्से हैं। एक उनका और दूसरा उनके देवर मुश्ताक अली का। दोनों लोगों का परिवार पहली मंजिल पर रहता है। भू-तल वाले हिस्से में दोनों लोगों की तीन पॉवरलूम मशीनें और एक हैंडलूम है। शफीयून बताती हैं, “हैंडलूम वाली जगह पर एक और पॉवरलूम मशीन थी। अगस्त में जब वह बिक गई तो मेरे बेटे अंसार अली ने वहां हैंडलूम लगा ली और अब उस पर वह दुपट्टे की बुनाई करता है। अब मेरे पास केवल एक ही पॉवरलूम मशीन बची है।”

शफीयून निशा के मकान में भू-तल पर लगा हैंडलूम

अन्य दो पॉवरलूम मशीनों की तरफ इशारा करते हुए वह कहती हैं, “ये दोनों मशीनें मेरे देवर (मुस्ताक अली) की हैं। वह और उनका परिवार उन पर बुनाई करता है। जब से बिजली कनेक्शन कटा है, तब से उनका भी काम बंद है।” वह बताती हैं, “पॉवरलूम मशीनों के लगने से पहले उनके पास तीन हैंडलूम थे। परिवार के लोग इन पर ही साड़ियों की बुनाई करते थे।”

पॉवरलूम मशीन

दस साल पहले शफीयून निशा के शौहर मुबारक अली का इंतकाल हो चुका है। 10 सदस्यीय परिवार के खर्च की जिम्मेदारी वह अकेले ही उठा रही हैं। उनके सात बच्चे हैं। इनमें तीन बेटियां हैं। उनकी दो बेटियों शकीला बीबी (35) और रशीदी बीबी (25) का निकाह हो चुका है और वे ससुराल में ही रहती हैं। उनकी तीसरी बेटी गजाला बीबी (20) का अभी निकाह नहीं हुआ है। वह उनके साथ ही रहती है और बुनाई में उनकी मदद करती है। उनके दो बेटों निजामुद्दीन (30) और मोहम्मद मोसिम (23) का निकाह हो चुका है। दोनों पॉवरलूम मशीनों में ताना जोड़ने का काम करते हैं। आमदनी के बाबत पूछने पर मोसिम बताते हैं, “एक पॉवरलूम मशीन की तानी जोड़ने पर 200 से 250 रुपये तक मिलते हैं। इस समय महीने में मुश्किल से 10 से 12 तानी ही मिल पाती है। अब आप ही बताइए कि कोई व्यक्ति दो से तीन हजार रुपये में महीने भर का खर्च कैसे चलाएगा?” मोसिम आगे कहते हैं, “लॉक-डाउन से पहले एक महीने में 20-25 तानी मिल जाती थी तो चार से पांच हजार रुपये महीने में कमा लेते थे। घर का खर्च चलाने में कुछ मदद भी कर देते थे। अब तो अपना ही खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है।” मोसिम पर अपनी पत्नी नजमा बीबी (20) के खर्च की भी जिम्मेदारी है। शफीयून निशा के सबसे बड़े लड़के निजामुद्दीन पर भी अपनी पत्नी अफसाना बीबी (25) और दो साल के बेटे मोहम्मद जैन की खर्चों की जिम्मेदारी है।

शफीयून के दो अन्य बेटे अंसार अली (22) और अनवर अली (18) भी हैं। अंसार अली हैंडलूम पर दोपट्टे की बुनाई करते हैं। वह बताते हैं, “पॉवरलूम बिक जाने पर मैंने हैंडलूम लगा लिया। पहले वाले गृहस्त ने ताना-बाना देना बंद कर दिया जिससे बनारसी साड़ी की बुनाई का काम ठप हो गया। अब दूसरे गृहस्त ने दुपट्टे की बुनाई के लिए ताना-बाना दिया है तो उसकी बुनाई कर रहे हैं लेकिन यह भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है। इससे कोई निश्चित आमदनी नहीं हो पा रही है।” अट्ठारह वर्षीय अनवर मदरसा में चौथी कक्षा का छात्र है। शफीयून के अन्य बेटे और बेटियां विद्यालय नहीं गए हैं। केवल अनवर ही पढ़ाई कर रहा है।

अगर सरकारी दस्तावेजों में शफीयून निशा और उनके परिवार की पहचान की बात करें तो वह और उनका परिवार पॉवरलूम बुनकर श्रेणी में आता है। भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग निदेशालय, दोनों की ओर से वर्ष 2018 में उनका बुनकर परिचय पत्र बनाया गया है। हालांकि अभी वह उनका नवीनीकरण नहीं करा पाई हैं। वह पॉवरलूम मशीन धारक भी हैं लेकिन हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग निदेशालय ने उनका परिचय-पत्र जॉब वर्क श्रेणी में जारी किया है जो बहुत ही कम बुनकरों का बना है। 

बुनकर के रूप में शफीयून निशा का परिचय-पत्र

आशापुर स्थित पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के नगरीय विद्युत वितरण खण्ड कार्यालय ने शफीयून निशा का बुनकर उपभोक्ताओं का बिल कार्ड (पासबुक) जारी किया है। उन्हें इस आधार पर राज्य सरकार की “हथकरघा बुनकरों को विद्युत दर में छूट की प्रतिपूर्ति” योजना के तहत बिजली बिल में छूट भी मिलती है। इसके बावजूद वह पिछले साल से बिजली का बिल जमा नहीं कर पाई हैं। उन्होंने पिछला बिल 19 अक्तूबर, 2019 को अक्तूबर तक का जमा किया था। उसके बाद से उन्होंने कोई बिजली बिल जमा नहीं किया है। अगर उनके बिल कार्ड पर विद्युत विभाग द्वारा दर्ज बकाए बिल की बात करें तो गत 31 जुलाई तक कुल 2156 रुपये का बिल उन्हें अभी जमा करना है।

बुनकर शफीयून निशा के बिल कार्ड की प्रति।

शफीयून निशा का यह बकाया उस समय से है जब विद्युत दर 286 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 308 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया था। साथ ही विभाग द्वारा 302 रुपये का सरचार्ज भी जोड़ा था। इसी सरचार्ज और बढ़े दर को लेकर बुनकर समाज फ्लैट दर पर 31 जुलाई तक के बिजली बिल को जमा करने को लेकर आपत्ति दर्ज करा रहा है और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली का विरोध कर रहा है। बनारस में विद्युत विभाग के कुछ खण्ड कार्यालयों में बढ़ी हुई धनराशि के साथ 302 रुपये का सरचार्ज भी वसूला जा रहा है जबकि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एम. देवराज ने गत 18 अक्तूबर को विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के मध्यांचल, पूर्वांचल, पश्चिमांचल और दक्षिणांचल परिक्षेत्र के प्रबंध निदेशकों को पत्र लिखकर किसी भी प्रकार का सरचार्ज लेने से साफ मना किया है।

बुनकरों द्वारा किए गए बिजली बिल के भुगतान की प्रतियां

प्रबंध निदेशक एम. देवराज ने पत्र में लिखा है, “दिनांक 4.12.2019 को जारी शासनादेश के कारण यदि पॉवरलूम उपभोक्ताओं द्वारा माह जनवरी, 2020 से जुलाई, 2020 तक की अवधि का विद्युत बिल जमा नहीं किया गया है तो इस अवधि के विद्युत बकाये पर लगने वाला सरचार्ज पॉवरलूम उपभोक्ताओं से न लिया जाए। इस अवधि के सरचार्ज की मांग पृथक से हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग, उ. प्र. शासन से की जा रही है।”

उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एम. देवराज की ओर से जारी पत्र की प्रति।

उक्त आदेश के बावजूद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के कुछ खण्ड कार्यालयों द्वारा बुनकरों से बकाए बिल पर सरचार्ज वसूला जा रहा है। बुनकर साझा संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश के संयोजक मंडल के सदस्य फजलुर्रहमान कहते हैं, ” बिजली के फ्लैट रेट और सरचार्ज को लेकर बुनकर समुदाय के प्रतिनिधियों का मंत्रिमंडल बार-बार सरकार के नुमाइंदों और अधिकारियों से वार्ता कर रहा है लेकिन उसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल रहा है। पिछले दिनों बुनकरों के मूर्री बंद हड़ताल की वजह से सरकार ने जुलाई महीने तक फ्लैट रेट पर बिना सरचार्ज के ही बिजली का बकाया बिल लेने का निर्देश विद्युत विभाग को दिया है। इस बारे में सूचना भी जारी हो चुकी है लेकिन विद्युत विभाग के कुछ अधिकारी मनमानी बुनकरों से सरचार्ज वसूल रहे हैं। यहां तक कि लोगों का विद्युत कनेक्शन भी काट दे रहे हैं। इससे बुनकरों की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं।”

फजिलुर्रहमान, बुनकर नेता

बता दें कि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एम. देवराज निर्देश दे चुके हैं कि गत अगस्त से पूर्व फ्लैट रेट के अतिरिक्त शेष राशि के बकाए की वसूली अभी बुनकरों से न की जाए तथा इस आधार पर विद्युत कनेक्शन काटने की कार्रवाई न की जाए। उन्होंने पत्र में लिखा है, “बुनकरों के बिलों में शासनादेश दिनांक 4.12.2019 लागू होने के पूर्व हथकरघा विभाग से प्राप्ति हेतु अवशेष प्रतिपूर्ति राशि पृथक से बकाए के रूप में प्रदर्शित हो रही है। अतः दिनांक 1.08.2020 के पूर्व फ्लैट रेट के अतिरिक्त शेष राशि के बकाए की वसूली अभी बुनकरों से न की जाए तथा इस बकाए के आधार पर विद्युत विच्छेदन की कार्यवाही न की जाए। इस बकाए की प्राप्ति हेतु हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग, उ.प्र. शासन से पृथक विचार-विमर्श किया जा रहा है।”

विद्युत कनेक्शन के काटे जाने से परेशान शफीयून निशा के देवर मुस्ताक अली बताते हैं, “बिजली का कनेक्शन भाभी के नाम पर है। उनका ही बुनकर कार्ड बना है। मेरा बुनकर कार्ड नहीं बना है। हम लोग साथ ही रहते हैं। मेरी भी दोनों पॉवरलूम मशीनें इसी बिजली कनेक्शन से चलती हैं। पिछले एक साल के दौरान दो बार बिजली कनेक्शन काटा जा चुका है। उस समय हम लोगों ने कुछ पैसा जमा किया तो कनेक्शन जुड़ गया लेकिन एक महीने पहले फिर बिजली का कनेक्शन काट दिया गया। तभी से मेरी भी दोनों पॉवरलूम मशीनें बंद हैं। अब हम लोगों के पास आमदनी का कोई जरिया भी नहीं बचा है। सरकार से कुछ मदद दिलाने में हमारा सहयोग कीजिए।”

मुश्ताक अली।

वह बताते हैं, “करीब 12 साल पहले मेरी पत्नी सलमा बीबी गिर गई थीं। उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई थी। तभी से घर की आर्थिक हालत खराब चल रही है। किसी तरह से घर चल भी रहा था लेकिन लॉक-डाउन और प्रति यूनिट बिजली की दर ने उसे भी मुश्किल बना दिया है। अगर सरकार पहले की तरह फ्लैट रेट लागू रखती है तो उधार वगैरह लेकर जल्द ही बिजली का बिल हम लोग चुका देंगे।”

मुस्ताक के दो बेटे और दो बेटियां हैं। उनका बड़ा बेटा शकील 25 साल का है। उसने मदरसे में तीन तक की पढ़ाई की है। उसके बाद उनको दो बेटियां सोनिया बीबी (14) और फ़रदाना बीबी (13) हैं। फरदाना मदरसा में चौथी की छात्रा है। परिवार का सबसे छोटा सदस्य आठ साल का वारिश अली है जो मदरसे में तीसरी कक्षा में पढ़ता है। अगर मुस्ताक अली और उनकी भाभी शफीयून निशा के सामूहिक बुनकर परिवार को मिले सरकारी योजनाओं के लाभ की बात करें तो इनके लिए वे खोखला ही साबित हो रही हैं।

सलाम बीबी।

परिवार में केवल शफीयून निशा का ही बुनकर कार्ड बना है और उसी के आधार पर उन्हें विद्युत बिल में छूट मिलती है। अन्य गरीब परिवारों की तरह उन्हें विधवा पेंशन मिलता है। सबसे चौंकाने वाली बात है कि परिवार के सभी बालिग सदस्य विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वोट नहीं दे पाते हैं। मुस्ताक अली बताते हैं कि वोटर लिस्ट में उन लोगों का नाम ही नहीं रहता है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उनका और उनके परिवार के सदस्यों का नाम वोटर लिस्ट में नहीं था। इसलिए वे वोट नहीं दे पाए।

योजनाओं की सूची

विद्युत कनेक्शन के काटे जाने के मामले में जलालीपुरा निवासी साठ वर्षीय कमरुद्दीन का दर्द भी शफीयून निशा और मुस्ताक अली की तरह ही है। वह कहते हैं, “मेरा मार्च से बिजली का बिल बाकी है। विभाग अब फ्लैट रेट की जगह प्रति यूनिट की दर से बिजली का बिल जमा करने को कह रहा है। सरदार लोग सरकार से बात कर रहे हैं। करीब 15 दिन पहले बिजली विभाग के लोग आए और मेरा बिजली का कनेक्शन काट दिए। अब काम ठप पड़ गया है। कमाई ही नहीं होगी तो हम बिजली का बिल कहां से भरेंगे?”

कमरुद्दीन, बुनकर, जलालीपुरा

दीनदयालपुर निवासी सत्तर वर्षीय बुनकर मोहम्मद हारुन का बिजली कनेक्शन भी करीब दस दिन पहले काट दिया गया था। वह बताते हैं, “लॉक-डाउन से लेकर अब तक दो बार मेरा बिजली कनेक्शन काटा जा चुका है। अभी 10 दिन पहले ही बिजली विभाग के कर्मचारियों ने मेरा बिजली का कनेक्शन काट दिया था। जब मैंने 12500 रुपये बिजली का बकाया जमा किया तो उन्होंने बिजली का कनेक्शन जोड़ा।”

मोहम्मद हारुन

लॉकडाउन के बाद मोहम्मद हारुन भी अपनी एक पॉवरलूम मशीन बेच चुके हैं। उन्होंने बताया, “चार साल पहले घर की औरतों के जेवर बेचकर 60-60 हजार रुपये में दो पुरानी पॉवरलूम मशीनें लगाई थीं। एक साल पहले कर्ज लेकर लड़की की शादी की थी। सोचा था कि धीरे-धीरे कर्ज चुका दूंगा लेकिन बिजली के बिल का भुगतान प्रति यूनिट की दर से लागू हो गया। अचानक लॉक-डाउन हो गया। कामकाज ठप हो गया। कर्ज भी बढ़ता चला गया। सरकार की ओर से लॉकडाउन के नियमों में कुछ छूट मिली तो काम मिलना शुरू हुआ। फिर मूर्री बंद हड़ताल हो गई। कर्ज देने वाले गद्दीदार अपना पैसा मांगने लगे। बीते 10 नवंबर को 35 हजार रुपये में मैंने अपनी एक पॉवरलूम मशीन बेच दी। फिर भी मैं अपना पूरा कर्ज नहीं चुका पाया। बच्चे अब बाहर जाकर मजदूरी करते हैं और मैं अपनी एक पॉवरलूम मशीन पर बुनाई करता हूं।”  

मोहम्मद हारुन, कमरुद्दीन, शफीयून निशा, मुस्ताक अली जैसे बनारसी बुनकरों की संख्या हजारों में है जो बुनकरी के पेशे से अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं लेकिन सरकार की योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा फ्लैट रेट खत्म कर प्रति यूनिट की दर से विद्युत बिल वसूलने के आदेश से बुनकर समुदाय के संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बुनकर साझा मंच, उत्तर प्रदेश ने बीते 17 नवंबर को ही प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर पहले की तरह फ्लैट रेट पर बुनकरों को विद्युत आपूर्ति करने की मांग की। साथ ही उसने बुनकरों का बिजली कनेक्शन नहीं काटने, बुनकरों का उत्पीड़न बंद किए जाने, स्मार्ट मीटर की उच्च स्तरीय जांच कराने और किसान विरोधी बिल को वापस लिए जाने की मांग भी की।

बुनकर साझा मंच के बैनर तले वाराणसी के शास्त्री घाट पर प्रदर्शन करते बुनकर

प्रदर्शन में शामिल बुनकरों का कहना था कि अभी तक पावरलूम बुनकर फ्लैट रेट पर आधा हार्सपावर लूम पर 71.50 रुपये व एक हार्सपावर लूम पर 143 रुपये प्रतिमाह भुगतान कर रहा है। नया शासनादेश लागू होने पर रीडिंग में लगभग आधा हार्सपावर पर 1,500 रुपये से 2,000 रुपये और एक हार्सपावर पर 3,500 रुपये से 4000 रुपये प्रति माह बिल आएगा। इससे आर्थिक मंदी के इस दौर में बुनकरों पर भार बढ़ जाएगा जिसे बुनकर भुगतान नहीं कर पाएगा। आर्थिक बोझ और बिजली विभाग का बकाया बुनकरों पर बढ़ता जाएगा और यह कुटीर उद्योग बर्बाद हो जाएगा। 

वहीं, उसी दिन लखनऊ में सरकार और बुनकर समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता भी हुई। वार्ता में शामिल सरदार मकबूल हसन ने बताया, ” वार्ता में शामिल सरकार के प्रतिनिधियों ने हमें फ्लैट रेट पर ही विद्युत बिल लेने का आश्वासन दिया है और मूर्री बंद कर हड़ताल पर नहीं जाने का अनुरोध किया है।” पूर्व के फ्लैट रेट को लागू किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि फ्लैट रेट की दर पहले जैसे नहीं रहेगी। वे उसे कुछ और बढ़ाकर लागू करेंगे। ऐसी बातें हुई हैं।

दूसरी ओर बुनकर समुदाय के प्रतिनिधियों ने लखनऊ में अपने मुद्दों को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से मुलाकात भी की। इसके बावजूद अभी तक सरकार की ओर से फ्लैट रेट पर बुनकरों को विद्युत आपूर्ति किए जाने से संबंधित कोई आदेश जारी नहीं हुआ है।

(शिव दास प्रजापति स्वतंत्र पत्रकार हैं और आजकल वाराणसी में रहते हैं।)

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