Saturday, April 1, 2023

रियल्टी चेक: 52 दिन में ही योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट फुलवरिया फोरलेन की धंसी सड़क, कटघरे में मोदी का बनारस मॉडल?

पीके मौर्या
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वाराणसी (यूपी)। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में चंद हफ़्तों पहले भोपाल-जबलपुर हाईवे पर कलियासोत नदी पर बने पुल की सड़क धंस गई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि एमपी में भ्रष्टाचार और चरम लापरवाही का नतीजा है कि ताजा-ताजा बना हाईवे पानी में बह गया। इस घटना के महीने भर भी नहीं गुजरे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में वरुणा नदी पर बने फुलवरिया फोरलेन की सड़क धंस गई। 

वाराणसी में सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट फुलवरिया फोर लेन में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। जिस बनारस मॉडल की बीजेपी और सत्तारूढ़ दल देशभर में प्रचार करते नहीं थकते हैं। वह काशी का मॉडल अपने घर में लापरवाही की भेंट चढ़ कटघरे में खड़ा हो गया है। सीएम योगी की निगरानी में बनने वाले फुलवरिया फोर लेन के एप्रोच रोड का यह हश्र होगा। इस बात को लखनऊ में बैठ पीडब्ल्यूडी के मंत्री जितिन प्रसाद ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा। बहरहाल, सड़क के धंसने की वजह से आवागमन रोक दिया गया है।

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लापरवाही छुपाने के लिए मलबे को रात में ही खोदकर हाइवे के साइड में डाल दिया गया है।

पीएम मोदी के उद्घाटन के महज 52 दिन में ही फुलवरिया फोर लेन स्थित वरुणा नदी पर बने पुल का एप्रोच (रैंप) धंस गया है। इस पुल का लोकार्पण 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। साथ ही सीएम योगी जब भी बनारस आते थे फुलवरिया फोर लेन के निर्माण और प्रगति रिपोर्ट आदि की जानकारी ज़रूर से लेते थे। बड़ा सवाल यह है कि जब यूपी को डबल इंजन की सरकार चला रही है, और इंडिया की हॉट लोकसभा सीट व बनारस मॉडल में विकास कार्यों में जमकर हो रही लापरवाही से जनता के करोड़ों रुपए पानी में चले गए। ऐसे में मुख्यालय और शहरी चकाचौंध से दूर जनपदों में विकास कार्यों की स्थिति क्या होगी ? अंदाजा लगाना कोई कठिन कार्य नहीं है ! 

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दरक रहा रोड बैंक।

फुलवरिया फोर लेन की सड़क के धंसने के बाद राज्य सेतु निगम के अभियंताओं को यह दिख नहीं रहा है कि रोड कई जगहों से टूट रहा है। बारिश होते ही पुल की मिट्टी जगह-जगह धंसने से सड़क पर कई दरारें पड़ गई हैं। पुल के किनारे मिट्टी बहने से सुरक्षा के लिए लगाए गए रेलिंग की गिट्टी तक दिखने लगी है। इसे जल्द नहीं रोका गया तो पुल को खतरा हो सकता है, और पुल के पास रोड का आधा से ज्यादा हिस्सा ढह सकता है। इन दिनों गंगा में बाढ़ आई हुई है और वरुणा नदी में पलट प्रवाह चल रहा है। फुलवरिया फोरलेन के वरुणा पुल के आसपास बाढ़ का पानी भरा हुआ है। बाढ़ का पानी पुल और सड़क के किनारों से टकरा रहा है। 

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जब-तब ढह सकता है फुलवरिया फोरलेन की सड़क का किनारा।

बनारस शहर को जाम से मुक्त कराने के लिए फुलवरिया फोरलेन सरकार की प्राथमिकता में है। यूं कहें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है फुलवरिया फोरलेन। मुख्यमंत्री जब भी बनारस दौरे पर आते हैं तो फुलवरिया फोरलेन की प्रगति पर चर्चा ज़रूर करते हैं। लेकिन, राज्य सेतु निगम के अफसरों को मुख्यमंत्री का तनिक भी डर नहीं है। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने दौरा करने के साथ सेतु निगम को गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा था। लेकिन, अफसर अपना कारनामा दिखाने में पीछे नहीं हटे, नतीजा देशभर में सरकार की किरकिरी करवा बैठे। जानकारी मिली है कि 14 करोड़ की लागत से पुल रोड का निर्माण किया गया था। 

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फुलवरिया फोरलेन पुल के नीचे लगा वरूणा नदी के बाढ़ का पानी।

फुलवरिया फोरलेन में रेलवे ओवर ब्रिज फ्लाईओवर पुल का काम सेतु निगम कर रहा है, वहीं सड़क बनाने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है। वरुणा नदी में पुल के लिए करीब 34 करोड़ का बजट था। इसमें से 20 करोड़ जमीन मुआवजा के लिए था। सेतु निगम के पूर्व उप परियोजना प्रबंधक सूरज गर्ग के कार्यकाल में फुलवरिया फोरलेन में खूब मनमानी की गई थी। नियमों को दरकिनार कर काम कराए गए। उच्च अधिकारी परियोजना में लगे अभियंता को चेतावनी पत्र जारी करते हुए गुणवत्ता के साथ काम करने को करते रहे, लेकिन उप परियोजना प्रबंधक की पहुंच के आगे उनकी एक न चली। लिहाजा, भेजी गई रिपोर्ट मुख्यालय पहुंचने के साथ दबा दी जाती थी।

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फुलवरिया फोरलेन के पास में रहने वाले युवक।

फुलवरिया फोरलेन के पास इमिलिया घाट निवासी अमित ने ‘जनचौक’ को बताया कि सेतु निगम को पुलों और सड़कों को बनाने में महारत हासिल है। इनके पास इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञों की फौज है। फिर भी इस तरह की लापरवाही कई सवाल खड़े कर रही है। पुल के एप्रोच रोड के निर्माण में धांधली की गई है। अधिकारी रुपए खा गए हैं। रोड के किनारे बोल्डर और एसीसी नहीं की गई है। यदि पत्थर लगाए होते तो सड़क नहीं धंसती। ‘ पिंटू कहते हैं कि बनाने वाली संस्था रोड और पुल को नियमों की अनदेखी कर बनाया है। इंजीनियरों ने रोड बनाने के दौरान बारिश और बाढ़ का ध्यान नहीं रखा है। इससे यह घटना घाटी है। जब तक सड़क के किनारे पत्थर और बोल्डर नहीं चुना जाएगा, तब तक सड़क नहीं टिकेगी। इसी साल या अगले वर्ष निश्चित ही ढह जाएगी।’

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अजय राजभर ने भी कार्यदायी संस्था की लापरवाही बताते हैं और कहते हैं कि एप्रोच रोड नीचे से देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि मिट्टी का टीला बनाया गया है। सड़क ऊंची है, रोड को कोई सपोर्ट नहीं दिया गया है। इसके अलावा फुलवरिया फोरलेन कई स्थानों पर दबा हुआ है। चुनाव के चलते जल्दबाजी में लापरवाही से काम को अंजाम दिया गया है। दिनेश कहते हैं कि इस सड़क पर भारी वाहनों के चलने पर वह कई जगहों से फट जाएगी। बहुत लापरवाही की गई है। सरकार ध्यान दे। अफसरों को यह भी पता होगा कि हर साल की तरह इस बार भी बारिश आएगी और वरुणा में बाढ़ भी। ऐसे में मिट्टी का बहाव हो सकता है जिसका असर उनकी परियोजना पर पड़ेगा।’ 

बहरहाल, रोड के टूटने पर दक्षिणी हिस्से पर डिवाइडर के सहारे पेड़ की डाल लगाकर आवागमन को रोक दिया गया है। मौके पर पिकेट पर तैनात दो पुलिसकर्मी पेट्रोलिंग कर रहे हैं। इसके बाद उत्तरी छोर को भी पुल पर लकड़ी का पटरा रख दिया गया, ताकि सड़क की हालत से अनजान कोई राहगीर हादसे का शिकार न हो जाए।

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फुलवरिया फोरलेन की सड़क धंसने के बाद पेड़ की डाल रखकर बंद किया गया आवागमन।

फुलवरिया-लहरतारा फोरलेन के लिए वरुणा नदी पर बने पुल का एप्रोच रोड धंसने पर लोक निर्माण मंत्री ने सख्त रुख अख्तियार किया है। मंत्री जितिन प्रसाद के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी के असिस्टेंट इंजीनियर ज्ञानेंद्र वर्मा और जूनियर इंजीनियर राजेश कुमार को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही, निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर उठे गंभीर सवाल की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी गई है। वहीं, कार्रवाई के बाद एप्रोच रोड की मरम्मत का काम शुरू करा दिया गया है। 

सेतु निगम के प्रबंध निदेशक संजीव भारद्वाज ने बताया कि मुख्य परियोजना प्रबंधक दीपक गोविल से जांच कराई गई। प्रथम दृष्ट्या यह सामने आया कि मिट्‌टी की कटाई मानक के अनुसार ना होने से एप्रोच रोड पर दरार आई और सिक्योरिटी के लिए लगाई गई रेलिंग क्षतिग्रस्त हो गई। इसके लिए निर्माण कार्य कराने वाले असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर दोषी हैं, जिन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। विस्तृत जांच के लिए कानपुर के संयुक्त प्रबंध निदेशक राकेश सिंह, लखनऊ के महाप्रबंधक रविदत्त और आजमगढ़ के मुख्य परियोजना प्रबंधक संतराज की तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित अन्य लोगों पर भी गाज गिर सकती है।

(वाराणसी से पीके मौर्य की रिपोर्ट।)

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