कोरोना वायरस के चौतरफा फैलने के बाद पंजाब पहुंचे 90 हजार एनआरआई बड़े खतरे का सबब बन गए हैं। इनमें से कई में बकायदा लक्षण पाए जा रहे हैं। 90 हजार का आंकड़ा मार्च महीने का है जबकि बीते 50 दिन में 1,70,209 एनआरआई पंजाब आए। सरकार की कड़ी हिदायतों के बावजूद इनमें से अधिकांश ने मेडिकल जांच नहीं करवाई।
पंजाब स्थित इनके मूल आवासों पर नोटिस भेजे गए हैं। बहुतेरे ऐसे अप्रवासी भारतीयों के घरों के बाहर पोस्टर चिपका दिए गए हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते पंजाब में जो पहली मौत हुई थी, नवांशहर के वह (70 वर्षीय) मूल बाशिंदे बुजुर्ग इटली से लौटे थे। अब उनके पोते में भी वायरस के घातक लक्ष्ण पाए गए हैं और वह गहन निगरानी में हैं।
मृतक बुजुर्ग अपने उक्त पोते के साथ कई जगह घूमे थे और उन्होंने लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच श्री आनंदपुर साहिब के होला मोहल्ला के विशाल मेले में भी तीन दिन तक सेवा के साथ शिरकत की थी। यह मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है। पूरे पंजाब में प्रशासन इसीलिए उन लोगों की गहन जांच करवा रहा है, जिन्होंने इस अवधि में होला मोहल्ला के मेले में हाजिरी भरी थी।
गौरतलब है कि 16,000 एनआरआई इसलिए भी सरकार की पहुंच से परे हैं कि जो पते और संपर्क नंबर उन्होंने सरकार को दिए थे, वे या तो बदल चुके हैं या मौजूद नहीं है। इनमें से अकेले जिला जालंधर के 13650 एनआरआई हैं। सरकार सिर्फ 1301 को फिलहाल तक ढूंढ पाई है। जालंधर समेत पंजाब का समूचा दोआबा इलाका एनआरआई बेल्ट के तौर पर जाना जाता है।
पंजाब सरकार गहरी चिंता में है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर इस बात की पुष्टि की है कि इस माह 90,000 एनआरआई पंजाब पहुंचे हैं और इनमें से बहुत से लोगों में कोरोना के स्पष्ट लक्षण हैं।
ऐसे में स्वास्थ्य संबंधी तैयारियों के लिए पंजाब को तत्काल 150 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज चाहिए ताकि राज्य में करोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए विशेष आइसोलेशन, वार्ड, आईसीयू विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा सकें। उन्होंने पत्र में कहा कि विदेश से पंजाब पहुंचे इन लोगों ने शपथ पत्र भरने के बावजूद 14 दिन का क्वारंटाइन का समय पूरा नहीं किया है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि मौके की नजाकत के मुताबिक आईसीयू वार्ड्स की कमी है। पंजाब में लगभग 750 आईसीयू हैं, जहां रूटीन के भी मरीज स्वास्थ्य सेवाएं ले रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने 200 आईसीयू को कोरोना वायरस के लिए आरक्षित रखा है।
स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक और ज्यादा आईसीयू वार्ड स्थापित करने की फौरी दरकार है। हालांकि राज्य में 1000 से ज्यादा आइसोलेशन वार्ड तैयार किए हैं। स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू कहते हैं, “स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग कोविड-19 के विषाणु के संचार की कड़ी को तोड़ने के लिए तत्पर है।
इस भयानक वायरस को और आगे फैलने से रोकने के लिए विभाग ने विभिन्न रोकथाम उपायों की श्रृंखला शुरू की है। अगली कतार में डटे स्वास्थ्य विभाग के जांबाज़ विदेश से लौटने वालों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। इस मुहिम में राज्य की पुलिस, अर्धसैनिक बल और अन्य विभाग भी सक्रिय योगदान दे रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग विदेश से आए हर यात्री की स्क्रीनिंग के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। लोगों के हाथों पर मुहर लगाई जा रही है और घरों के बाहर पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं।
अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते वतन लौटने के लिए पहुंची पाकिस्तान की एक बुजुर्ग महिला को बीएसएफ के जवानों ने वापस लौटा दिया। इसके पहले वह अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुंचीं, जहां कुछ समय बाद पहुंची सहेत विभाग की टीम उन्हें मेडिकल कॉलेज के रिहैब सेंटर ले आई। उन्हें क्वारंटाइन किया गया है।
पाकिस्तान के कराची की खदीजा नामक महिला 28 फरवरी को एक महीने के वीजा पर वाघा-अटारी के रास्ते हिंदुस्तान आई थीं। वह मुंबई में अपने रिश्तेदारों से मिलने के अलावा कुछ धार्मिक स्थलों पर भी गईं। वह वतन लौटने के लिए मुंबई से अटारी-वाघा बॉर्डर पहुंचीं। यहां उन्हें बीएसएफ अधिकारियों ने रोक लिया और बताया कि कोरोना वायरस के चलते पाकिस्तान ने अटारी सीमा के रास्ते किसी भी यात्री पर आने पर रोक लगा दी है।
इस बीच एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) ने अपनी तमाम सराय आइसोलेशन के लिए देने की घोषणा की है।
मंगलवार को पंजाब में कर्फ्यू पूरी सख्ती साथ लागू करवाया गया है। सड़कें एकदम सुनसान हैं और लोग गलियों में भी निकलने से गुरेज कर रहे हैं। तमाम धार्मिक स्थल भी पूरी तौर पर बंद हैं। अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब में भी श्रद्धालु न के बराबर गए। राज्य सरकार ने फिर दोहराया है कि लोग सचेत रहें, सावधानी बरतें।
सरकार अपरिहार्य चीजों की आपूर्ति अपने तौर पर करेगी। उन लोगों पर कानूनी शिकंजा कसा जा रहा है जो जानबूझकर कर्फ्यू की अवहेलना कर रहे हैं और अफवाहें फैला रहे हैं। ऐसे कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी पुलिस ने की है। गांवों तक में सख्त कर्फ्यू का असर देखा जा रहा है।
कोरोना वायरस के चलते पंजाब में ऐसा पहली बार हुआ कि 23 मार्च को व्यापक तौर पर मनाया जाने वाला शहीदी दिवस नहीं मनाया गया। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत दिवस याद को समर्पित पूरे पंजाब में बड़े समागम किए जाते हैं। फिरोजपुर हुसैनीवाला और नवांशहर में मुख्य समागम शहीदों की याद में किए जाते हैं, लेकिन कल ऐसा कुछ नहीं किया गया।
दोनों जगह जिला उपयुक्तों की हाजिरी में महज औपचारिक श्रद्धांजलि दी गई। राज्य सरकार ने अनिश्चित काल के लिए तमाम मेलों और समागमों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
सोमवार की दोपहर बाद और मंगलवार को इन पंक्तियों को लिखे जाने तक पंजाब में प्राकृतिक तौर पर 17 लोगों की मौत हुई। हासिल विशेष जानकारी के मुताबिक इन्हें सिर्फ पांच या सात परिजनों की उपस्थिति में अग्नि के हवाले किया गया। श्मशान घाटों में भी लोगों के जाने पर रोक है।
सोमवार को राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की माता की अंतिम अरदास थी। वहां सिर्फ दस पारिवारिक सदस्य, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सांसद सुखबीर सिंह बादल और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल भी शामिल थे। मनप्रीत सिंह बादल की माता की अस्थियां भी बाहर ले जाकर विसर्जित करने की बजाय घर में उगे पेड़ की जड़ों में दफना दी गईं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और जालंधर में रहते हैं।)