Friday, April 19, 2024

पुलिस दमन और संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन पर जनसुनवाई, प्रशासन ने पालिका हाल का आवंटन अचानक किया रद्द

बदायूं। इलाहाबाद उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश की पीठ द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी रमेश कुमार ने पुलिस प्रताड़ना और संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के मामलों पर लोगों की व्यथा सुनी। पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पहुंचकर सैकड़ों पीड़ितों ने  पुलिस प्रताणना के बयान दर्ज कराए।

एक फरवरी को बदायूं के नगर पालिका  सामुदायिक भवन में यह जन सुनवाई होनी थी। इसके लिए संविधान रक्षक सभा के उपाध्यक्ष अजीत सिंह यादव के पत्र पर नगर मजिस्ट्रेट ने नगर पालिका हाल का आवंटन किया था और तीन हजार रुपये की रसीद भी काटी थी। उच्च न्यायलय द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी रमेश कुमार ने पीड़ितों से मिलने के बाबत जिलाधिकारी को ई-मेल द्वारा जानकारी दी थी।

अचानक जन सुनवाई के लिए आवंटित हाल का आवंटन रद्द करने और कई पीड़ितों को कोतवाली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने की संविधान रक्षक सभा के उपाध्यक्ष अजीत सिंह यादव ने निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या बताया। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन जनता से डर गया है और वह पीड़ितों के साक्ष्यों को उच्च न्यायालय तक जाने में बाधा उत्पन्न कर न्याय का गला घोंटना चाहता है।

उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी रमेश कुमार ने कहा कि वे जिलाधिकारी समेत प्रशासन द्वारा पीड़ितों के बयान दर्ज करने में बाधा पैदा करने और उत्पीड़न और संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन के मामलों को सुनवाई कर रही माननीय मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष पेश करेंगे कर 17 फरवरी को अगली सुनवाई में दिशा-निर्देश देने का अनुरोध करेंगे।

बता दें कि माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूरे उत्तर प्रदेश में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में 19 और 20 दिसंबर एवं उसके बाद हुए नागरिक विरोध प्रदर्शनों में हुई पुलिस हिंसा पर मुंबई के अजय कुमार द्वारा भेजे ई-मेल पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका संख्या 8/2020 लाज किया और हाई कोर्ट के अधिवक्ता रमेश कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया।

मीडिया रिपोर्टों से जानकारी प्राप्त करने के बाद अजीत सिंह यादव ने विगत 30 जनवरी को ई-मेल द्वारा श्री रमेश कुमार से बदायूं आकर पीड़ितों के बयान लेकर हाई कोर्ट तक पहुंचाने का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी और एनपीआर के विरोध में बदायूं में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए मुझे खुद जेल में डाल दिया गया और मेरे जैसे तमाम लोकतंत्र पसंद अमनपसंद  देश प्रेमी लोगों की पुलिस प्रताणना की गई।

जो संसाधनों के अभाव में खुद हाइकोर्ट नहीं जा सकते। उन्होंने रमेश कुमार से बदायूं आकर पीड़ितों की मदद का अनुरोध किया था। इस अनुरोध को स्वीकार कर रमेश कुमार आज बदायूं पहुंचे थे और इस बाबत उन्होंने जिलाधिकारी को भी ई-मेल द्वारा सूचित कर दिया था।

आज के कार्यक्रम में संविधान रक्षक सभा के विधिक सलाहकार एडवोकेट अनवर आलम, संजीव भारतीय, वीरेंद्र जाटव, सलीम मियां, उबैद अहमद, मुस्लिम अंसारी, शीबा काजमी, डॉ. संजीदा आलम, शबाना वसीम, मौलाना अमीनुद्दीन, सतीश कुमार, आरती सिंह, शेर अफगन समेत सैकड़ों महिलाएं और पुरुष मौजूद रहे।

अजित यादव

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।

ग्राउंड रिपोर्ट: बढ़ने लगी है सरकारी योजनाओं तक वंचित समुदाय की पहुंच

राजस्थान के लोयरा गांव में शिक्षा के प्रसार से सामाजिक, शैक्षिक जागरूकता बढ़ी है। अधिक नागरिक अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण आर्थिक कमजोरी के बावजूद हुई है, कुछ परिवार अभी भी सहायता से वंचित हैं।

Related Articles

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।

ग्राउंड रिपोर्ट: बढ़ने लगी है सरकारी योजनाओं तक वंचित समुदाय की पहुंच

राजस्थान के लोयरा गांव में शिक्षा के प्रसार से सामाजिक, शैक्षिक जागरूकता बढ़ी है। अधिक नागरिक अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण आर्थिक कमजोरी के बावजूद हुई है, कुछ परिवार अभी भी सहायता से वंचित हैं।