लखनऊ। केंद्र और राज्य सरकार का झूठा राष्ट्रवाद उस समय बेनकाब हो गया जब अमर शहीद मंगल पांडे की 191वीं वर्षगांठ पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने की इजाजत देने की बजाय पुलिस ने उसके अगुवा अमरेश मिश्र को उनके घर में नजरबंद कर दिया। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रदेश भर से लोग पहुंचे थे। लेकिन उनका जगह-जगह पुलिसिया उत्पीड़न किया गया।
आयोजकों द्वारा जारी एक बयान में बताया गया है कि दोपहर कड़ी धूप में हजारों लोगों को पुलिस ने कार्यक्रम स्थल पर जाने से रोक दिया। आयोजक अमरेश का कहना है कि इस कार्यक्रम की अनुमति के लिए उन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, लखनऊ शहर की मेयर, प्रशासन सभी को चिट्ठी लिख कर अनुमति मांगी थी। लेकिन सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इसके पश्चात उन्होंने 18 जुलाई को एसपी लखनऊ सर्वेश मिश्र से मिलकर कार्यक्रम को शांतिपूर्ण तरह से सम्पन्न करने की अपील की। जिसके लिए एसपी ने अनुमति प्रदान कर दी थी।
उसके बाद 19 जुलाई को मंगल पांडे की प्रतिमा को अमरेश मिश्र के घर पर ही रखकर उसका अनावरण किए जाने का प्लान रखा गया। इसकी खबर लगते ही 12 बजे रात से ही सरकार ने भारी पुलिस बल को उनके घर पर तैनात कर दिया। सुबह 11 बजे से जब लोग मूर्ति स्थापना एवं जन्मदिवस के लिए अमरेश के घर पर जुटने लगे तो पुलिस ने लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटना शुरू कर दिया। पूरी भीड़ को खदेड़ दिया गया।
किसान क्रांति दल के महामंत्री राम जी तिवारी के साथ कार्यक्रम स्थल पर अभद्रता की गई और उनकी पुलिसकर्मियों के साथ तीखी झड़प भी हुई। आखिर में बताया जा रहा है कि थक हार कर अमरेश ने सोसायटी के कैम्पस में अपने साथियों के साथ मंगल पांडे की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने योगी सरकार के तानाशाही रवैया के विरुद्ध नाराजगी जाहिर की। लोगों ने कहा कि राष्ट्रवादी सरकार से हमें बहुत उम्मीद थी, मंगल पांडे की प्रतिमा स्थापना की अभिलाषा मन में लिए आये हुए लोग निराश होकर वापस घर लौट गये। प्रदेश भर से आये लोगों ने मंगल पांडे की प्रतिमा के सामने ही संकल्प लिया कि यह लड़ाई अब जमीन पर लड़ी जाएगी। मंगल पांडे की भव्य प्रतिमा लखनऊ विधानसभा के सामने लगाई जाएगी।
मंगल पांडे सेना के लखनऊ प्रभारी देवांशु त्रिपाठी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार का तथाकथित राष्ट्रवाद आज बेनकाब हो गया। मंगल पांडे की प्रतिमा से डर गई योगी सरकार।
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