राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के सम्मान में मिर्जापुर में निकाली गई जनचेतना यात्रा

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मिर्जापुर। देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के छानबे विधानसभा क्षेत्र में एक वृहद जनचेतना यात्रा निकाली गई। 7 किमी लंबी इस यात्रा में कई गांवों से हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया।

खास बात यह कि जनचेतना यात्रा में दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोगों के साथ-साथ हाशिए पर खड़े समाज के लोगों की काफी तादाद देखने को मिली। यह यात्रा भी उस क्षेत्र में निकाली गई जहां के लोग आज भी कई बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज बने हुए हैं।

सम्राट अशोक क्लब की मिर्जापुर शाखा द्वारा राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के सम्मान में लालगंज तहसील क्षेत्र के पतार कला चौराहे से जनचेतना यात्रा रैली निकाली गई, जो लगभग 7 किलोमीटर की यात्रा तय करते हुए पुनः पतार कला चौराहे पर आकर समाप्त हुई।

जनचेतना यात्रा के बारे में भूपनारायण मौर्य बताते हैं कि “इस यात्रा के जरिए हाशिए पर खड़े समाज के लोगों को जागरूक किया जा रहा है, जो अपने देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों से अनभिज्ञ बने हुए हैं।”

गांव की गलियों से लेकर खेत-खलिहानों तक दिखा उत्साह

जनचेतना यात्रा गांव की गलियों से लेकर खेत खलिहानों तक लोगों के लिए कौतूहल और आकर्षण का केंद्र रही। जनचेतना यात्रा में शामिल लोग हाथों में तिरंगा लेकर चल रहे थे। इसी प्रकार अशोक स्तंभ, संविधान, गंगा नदी, राष्ट्रीय पक्षी से लेकर अन्य राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों को यात्रा में शामिल किया गया था।

जन चेतना यात्रा को देखने के लिए गांवों के कोने-कोने से लोग उमड़ पड़े। यात्रा मार्ग के बीच में पड़ने वाले घरों की छत से महिलाएं पुष्प वर्षा कर स्वागत कर रही थीं तो पुरुषों ने जगह-जगह यात्रा का स्वागत करते हुए अशोक स्तंभ पर माल्यार्पण किया।

इस दौरान लोगों को बताया गया कि सम्राट अशोक के शासन काल में बने चार सिंहो के रूप में दिखने वाला यह स्तंभ आखिर कैसे देश का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह बन गया।

आजादी के बाद वाराणसी के सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ को ही देश का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह चुना गया था। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया और इसी दिन अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह के रूप में भी स्वीकार किया गया।

जन चेतना यात्रा की अध्यक्षता कर रहे राजेन्द्र प्रसाद मौर्य ने बताया गया कि इस यात्रा के माध्यम से अपने देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि लोग अपने देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के बारे में जानें, समझें और इनके महत्व को भी जानें।

राष्ट्रीय प्रतीकों की लगाई गई प्रदर्शनी

देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों में राष्ट्रीय गीत राष्ट्रगान, राष्ट्रीय कैलेण्डर, राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ, राष्ट्रीय फल आम, राष्ट्रीय नदी गंगा, राष्ट्रीय पशु शेर व बाघ, राष्ट्रीय वृक्ष बरगद, राष्ट्रीय सब्जी कद्दू, राष्ट्रीय मुद्रा भारतीय रुपया, राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय फूल कमल, राष्ट्रीय सांप कोबरा, राष्ट्रीय विरासत पशु हाथी, राष्ट्रीय जलीय पशु डांल्फिन मछली सहित भारत रत्न के प्रतीकों को यात्रा में प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया गया था।

इस यात्रा के दौरान समाजवादी पार्टी की महिला सभा की राष्ट्रीय महासचिव कीर्ति कोल ने कहा “देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह सिर्फ प्रतीक चिन्ह नहीं बल्कि हमारी अमूल्य धरोहर होते हैं। जिन्हें सहेज कर रखना हमारा कर्तव्य बनता है। उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ियां इन राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों को भूलने ना पाएं, इसके लिए जरूरी हैं कि इनके बार में लोगों को जानकारी दी जाए।

जन चेतना यात्रा में अशोक सम्राट क्लब के कार्यकर्ताओं के अलावा लालगंज के ब्लॉक प्रमुख जयंत कुमार सरोज, रामनिहोर मौर्य, साधु राम गौड़, डॉ अरुण कुमार मौर्य, फौजदार मौर्य, सूरज मौर्य, अवधेश कुमार मौर्य, कृष्ण कुमार सिंह, सुरेंद्र कुमार सिंह पटेल शामिल थे।

(मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)

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