अनूपपुर। एक छोटा सा प्रतिनिधि मंडल कुछ मुद्दों को लेकर ज्ञापन देने दूर मैकल और सरई की पहाडियों और अमरकंटक से चलकर अनूपपुर कलेक्टर कार्यालय में आता है मगर उनका कागज़ लेने, उनसे बात करने की बजाय कलेक्टर बिफर कर उनसे न केवल तू-तड़ाक की अभद्र भाषा में बात करते हैं, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां आने” की जैसा प्रलाप करते हैं बल्कि उन्हें धारा 151 में गिरफ्तार करवा कर जेल भेज देने की धमकी भी देते हैं और पुलिस को बुलवाकर उन्हें पकड़वा भी देते हैं।
गणतंत्र दिवस के सप्ताह में गुरूवार 30 जनवरी को यह व्यवहार अनूपपुर के कलेक्टर ने आदिवासी एकता महासभा तथा अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति के प्रतिनिधि मंडल के साथ किया। इसकी अगुआई सीपीएम के युवा नेता रमेश सिंह परस्ते कर रहे थे ।
रमेश सिंह एक गंभीर और परिपक्व नेता है और राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पुष्पराजगढ़ इकाई के सचिव हैं तथा विधानसभा चुनाव में इसकी तरफ से प्रत्याशी भी रह चुके हैं ।
उनके साथ गया प्रतिनिधि मंडल जो समस्याएं लेकर गया था उनमें तीन नदियों के स्रोत वाले पुष्पराजगढ़ में पीने और सिंचाई के पानी के भीषण संकट, मनरेगा और पंचायतों में जबरदस्त भ्रष्टाचार, विद्यालयों की बाऊन्ड्री वाल बनवाने, रेत माफिया की लूट, आदिवासियों की पीढ़ियों पुरानी भूमि पर वन विभाग द्वारा जबरिया पौधारोपण, उनकी तथा राजस्व की भूमि की दलालों द्वारा अवैध बिक्री आदि के मुद्दे थे।
सीपीएम के वरिष्ठ नेता, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बादल सरोज ने कलेक्टर के इस बर्ताव की सख्त भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि अनूपपुर के कलेक्टर भूल गए हैं कि वे एक जिले के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी हैं और उनकी नियुक्ति तथा पदस्थापना की ही इस काम के लिए गई है कि वे अपने जिले के नागरिकों की समस्याओं को सुने और उनका विधिसम्मत समाधान करें, भारत के संविधान में दिए गए प्रावधानों के उल्लंघन पर रोक लगाएं।
आदिवासी बहुल जिले में यह जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। अपने पद की गरिमा और उसके अनुकूल संयत, संतुलित आचरण करने के बजाय वे एक सनकी और चिड़चिडे़ राजा की तरह ऐसा बर्ताव कर रहे हैं, जैसे वे एक बादशाह हों और जिले के लोग उनकी रियाया, प्रजा और मातहत गुलाम और जनता के पैसे से बना जिलाधीश कार्यालय उनका दीवान-ए-खास हो।
बादल सरोज ने अनूपपुर कलेक्टर को याद दिलाया है कि उनका ओहदा, हैसियत, तामझाम उसी जनता की वजह से, उसी के द्वारा और उसी के लिए है इसलिए बेहतर होगा कि अपने इस बर्ताब के लिए खेद व्यक्त करना चाहिए और जिनके साथ यह असभ्यता दिखाई है उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए।
यदि उन्होंने जल्दी ही ऐसा नहीं किया, अपने आचरण को नहीं सुधरा, आदिवासियों तथा गरीब जनता का अपमान और तिरस्कार जारी रखा तो पूरे जिले में आन्दोलनों की एक श्रृंखला शुरू की जायेगी।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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