Thursday, March 28, 2024

“आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना” ने ली एक मरीज की जान

विशद कुमार

रांची। झारखंड के बोकारो जिले के बेरमो कोयलांचल निवासी अशोक चौहान की 14 अक्टूबर को रांची के रिम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई। इलाज के दौरान मौत होना कोई खबर नहीं है, बल्कि खबर यह है कि अशोक की मौत चिकित्सकों की लापरवाही और मृतक की पत्नी लालपरी देवी द्वारा रिम्स के प्रबंधन के भ्रष्ट आचरण के खिलाफ उठाए गए कदम के चलते हुई है। लालपरी दलाल और डॉक्टरों की मिलीभगत का पर्दाफाश कर रही थीं और उसका खामियाजा उनके पति को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

मृतक अशोक चौहान अति पिछड़ी जाति से आते थे तथा छत से गिरने के बाद उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गयी थी। चूंकि वो ”आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना” के लाभार्थी थे। और उनके पास गोल्डेन कार्ड भी था। उनका गोल्डेन कार्ड 29 सितंबर का बना हुआ था। आपको बता दें कि इस योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा होने के बावजूद मरीज की पत्नी लालपरी देवी को 50,000 रुपए जमा करने को कहा गया था। दरअसल अशोक चौहान की पत्नी को डॉ. सीबी सहाय ने एक व्यक्ति का मोबाइल नंबर देकर उससे बात करने को कहा था, बात करने पर उस व्यक्ति ने लालपरी देवी से 50,000 रुपए मांगे थे।

जब मीडिया के माध्यम से मामला सामने आया। तब स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे को इसकी जानकारी हुई। आनन—फानन में निधि खरे ने रिम्स के प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव से इस संबंध में लिखित जवाब मांगा तो उसके जवाब श्रीवास्तव ने कहा कि, “मैंने इस संबंध में मरीज के परिजन और डॉक्टर, दोनों से बात की है।

मरीज के पास गोल्डेन कार्ड 29 सितंबर का बना हुआ है। डॉक्टर ने मरीज के परिजन को ऑपरेशन में यूज होने वाले इंप्लांट लाने के लिए सप्लायर का नंबर दिया था, जो कि गलत है। आयुष्मान भारत के तहत डिमांड करने पर रिम्स ही इंप्लांट मुहैया करायेगा। यह अधूरी जानकारी की वजह से हुआ है। आयुष्मान मित्र ने जानकारी सही से नहीं दी थी। मैंने डॉक्टर को हिदायत देते हुए नियम का पालन करने को कहा है। साथ ही इसकी जानकारी मरीज के परिजन को भी दे दी गयी है।”

वहीं डॉ सीबी सहाय ने कहा, “मैंने मरीज के परिजन को इंप्लांट लाने के लिए सप्लायर का नंबर दिया था। मैंने किसी भी दलाल का नंबर नहीं दिया। मरीज के परिजन शायद मेरी बात को अच्छे से समझ नहीं पाये थे। बाद में दलाल का हौआ बन गया। इसको लेकर निदेशक से भी मेरी बात हो गयी है।”

मगर बात यहीं तक नहीं रह पाई। रिम्स की ही एक नर्स ने उनके पास आकर कहा था कि तुमने डॉ. साहब को बदनाम किया है, डॉ साहब तुमसे बहुत नाराज हैं। इसके बाद से ही लालपरी देवी और अशौक चौहान दोनों डरे सहमे थे।

अब ललापरी देवी रोते हुए कहती हैं कि डाक्टर ने जान—बूझकर मेरे पति का इलाज ठीक से नहीं किया और मेरे पति की जान ले ली।

बता दें कि बेरमो के अशोक चौहान की छज्जा से गिरने के कारण उनकी गर्दन में गंभीर चोट लगी थी, जिसके बाद उनका पूरा शरीर शिथिल पड़ गया था। परिजन इलाज कराने के लिए उन्हें रांची रिम्स ले आये। अशोक चौहान को रिम्स में डॉ. सीबी सहाय के वार्ड में भर्ती किया गया। अशोक और उनका परिवार बेहद गरीब है। किसी तरह से गुजारा चलता है। 23 सितंबर को सरकार द्वारा (आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) की शुरुआत की गयी। योजना के अंगर्गत गरीबों का नि:शुल्क उपचार करने की बात कही गयी। मरीज की पत्नी लालपरी देवी ने बताया कि उन्होंने इस योजना के तहत अपना गोल्डेन कार्ड भी बनवा रखा है, इसके बावजूद उनसे पैसा मांगा गया था। लालपरी देवी ने बताया कि इससे पहले ब्लड उपलब्ध कराने के लिए भी एक व्यक्ति ने चार हजार रुपये की मांग की थी।

मालूम हो कि 5 अक्टूबर को अशोक की स्पाईनल सर्जरी हुई थी। ऑपरेशन के सात दिन बाद ही अशोक की मौत हो गयी। इसके बाद से लालपरी देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। वह बार-बार एक ही बात दोहराए जा रही हैं कि डॉक्टरों ने ही उनसे उनका पति छीन लिया। पैसा दे देते तो इलाज ठीक से हो जाता। वहीं इस रिम्स प्रबधंन कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

बता दें रिम्स में दलाल और चिकित्सकों का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है। लालपरी देवी जैसी हिम्मत करके पहले अगर लोग रिम्स में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई होती तो शायद यह भ्रष्टाचार यहां तक नहीं पहुंचा होता।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर को झारखंड की राजधानी रांची के प्रभात तारा मैदान में ”आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना” की लॉन्चिंग की। जैसा कि सरकार का दावा है कि ये दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर योजना है, जिससे करीब 50 करोड़ लोगों को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए पांच लाख रुपए तक की मदद मिलेगी, जो 25 सितंबर से प्रभावी हो जाएगी।

क्या है ”आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना”

इस योजना के तहत सरकार देशभर में डेढ़ लाख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर के तौर पर विकसित करेगी। ये जिला अस्पताल से डिजिटली लिंक होंगे। इन केन्द्रों पर जांच से लेकर इलाज और दवाइयां तक उपलब्ध कराई जाएगी। इसके तहत देश के 10.74 करोड़ परिवारों के सदस्यों को इलाज के लिए सरकार सालभर में 5 लाख रुपए तक का खर्च उठाएगी।

जिसके तहत परिवारों में अगर किसी को कोई बीमारी होती है, किसी जांच की ज़रूरत है, ऑपरेशन की ज़रूरत है, दवाई की ज़रूरत है, अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत है, तो उसे सरकार से 5 लाख रुपए तक की मदद मिलेगी। योजना के मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने से तीन दिन पहले से लेकर 15 दिन बाद तक की दवाई और जांच का खर्च उठाया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति पहले से किसी बीमारी से पीड़ित है, तो उसे भी योजना का फायदा मिलेगा।

योजना के कुल खर्च में से 60% केंद्र सरकार लगाएगी और 40% राज्य सरकारों को खर्च करना होगा।

जनगणना के आंकड़ों के आधार पर अभी 8.03% ग्रामीण और 2.33% शहरी परिवारों को इसमें शामिल किया गया है। परिवारों का चयन जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही किया गया है। गांवों में 7 पैमानों पर लोग चुने गए हैं और शहरों में 11 पैमानों पर लोग चुने गए हैं। इन लोगों में कूड़ा बीनने वाले, भिखारी, घरेलू सहायक, रेहड़ी-पटरी वाले, मोची, फेरीवाले, मज़दूर, प्लंबर, राजमिस्त्री, पेन्टर, वेल्डर, सिक्यॉरिटी गार्ड, कुली और सफाईकर्मी शामिल हैं। जो लोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का फायदा उठा रहे हैं, वो भी इस नई योजना का फायदा उठा सकते हैं।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles