Friday, March 29, 2024

जांच रिपोर्टः आजमगढ़ में पुलिस ने महिलाओं-बच्चों पर भी की बर्बरता

लखनऊ। आज़मगढ़ के बिलरियागंज के मौलाना जौहर अली पार्क में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में महिलाओं के शांतिपूर्ण धरने पर 4-5 फरवरी की रात को हुई पुलिस हिंसा का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरुद्ध गठित यूपी कोर्डिनेशन कमेटी की पहल पर  एमिकस क्यूरी रमेश कुमार के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट अधिवक्ताओं की टीम  और लखनऊ से यूपी कोर्डिनेशन कमेटी के संयोजक मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय की अगुवाई में गए जांच दल ने बिलरियागंज का नौ फरवरी को दौरा किया। पीड़ितों के बयान दर्ज किए और घटना की जांच की। जांच टीम गंभीर तौर पर घायल वृद्धा सरवरी बेगम का हाल चाल जानने उस निजी अस्पताल भी गई जहां उनका उपचार चल रहा है।

जांच रिपोर्ट जारी करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और जाने माने गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय ने कहा कि बिलरियागंज में निहत्थी महिलाओं और बच्चों के अहिंसक धरने पर पुलिस हिंसा योगी सरकार की  कायरतापूर्ण कार्रवाई है। निर्दोष महिलाओं और मासूम बच्चों पर रबर की गोलियां चलाना, आंसू गैस के गोले चलाना, बर्बर लाठीचार्ज करना लोकतंत्र की हत्या तो है ही यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर भी बड़ा हमला है।

सत्य और अहिंसा के रास्ते से चले स्वतंत्रता आंदोलन को सम्मान देने वाला भारत का आम जनमानस ऐसी बर्बरतापूर्ण पुलिस कार्रवाई को कभी मंजूर नहीं कर सकता। उन्होंने पुलिस की इस कहानी को मनगढ़ंत बताया कि महिलाओं ने पत्थर चलाए इसलिए पुलिस कार्रवाई की गई। जो महिलाएं अपने छोटे छोटे मासूम बच्चों के साथ शांतिपूर्वक धरना कर रही हों वे रात के तीन बजे पत्थर चला रही थीं, इस पर यकीन नहीं किया जा सकता।

एमिकस क्यूरी रमेश कुमार, हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे केके राय के साथ नौ फरवरी को बिलरियागंज पहुंचे और गिरफ्तार मौलाना ताहिर मदनी के आवास पर पीड़ितों से मिले। बड़ी संख्या में महिलाएं, नौजवानों समेत पीड़ित अपने बयान दर्ज कराने पहुंचे। श्री रमेश कुमार ने कहा कि वे पुलिस हिंसा के मामले की रिपोर्ट तैयार कर 17 फरवरी को सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट में पेश करेंगे।

ज्ञात हो कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में उत्तर प्रदेश में 19-20 दिसंबर और उसके बाद हुए जनता के विरोध प्रदर्शनों पर पुलिस हिंसा पर सुनवाई कर रही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ द्वारा हाईकोर्ट के अधिवक्ता रमेश कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होनी है।

जांच टीम में शामिल यूपी कोर्डिनेशन कमेटी के सदस्य अजीत सिंह यादव और अलीमुल्लाह खान ने कहा कि योगी राज में उत्तर प्रदेश को खुली जेल में तब्दील कर दिया गया है। नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी और शांतिपूर्ण विरोध के अधिकारों को खत्म कर उत्तर प्रदेश में अघोषित आपातकाल लगा दिया गया है।

जांच टीम में शामिल यूपी कोर्डिनेशन कमेटी के सदस्य साबिर ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करना न तो गैरकानूनी है और न ही असंवैधानिक है। अन्य प्रदेशों में बड़े-बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें लाखों लोग शामिल हो रहे हैं। केवल उत्तर प्रदेश और भाजपा शासित प्रदेशों में ही नागरिकों को विरोध करने से पुलिस के बल पर रोका जा रहा है।  इससे साबित हो गया है कि भाजपा और योगी सरकार जनता के विरोध से डर गई है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने जांच दल को बताया कि  आज़मगढ़ के बिलरियागंज कस्बे के मौलाना जौहर अली पार्क में चार फरवरी 2020 को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में महिलाओं ने  शांतिपूर्ण धरना शुरू किया था। इसमें मासूम बच्चे और वृद्ध महिलाएं भी शामिल थीं।

4-5 जनवरी को आधी रात के बाद करीब तीन बजे शांतिपूर्वक धरना कर रहीं महिलाओं पर पुलिस प्रशासन ने बर्बरतापूर्वक दमन किया। पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां दागी गईं। इसमें कई महिलाएं घायल हुईं और एक वृद्धा अभी भी अस्पताल में गंभीर अवस्था में भरती है। उसके बाद निर्दोष लोगों की  गिरफ्तारी की गई, जिसमें नाबालिग छात्रों से लेकर 65 साल तक के मरीज़ शामिल हैं।

कई छात्र नेताओं को भगोड़ा घोषित कर इनाम घोषित कर दिया गया है। धरना पूर्ण रूप से शांतिपूर्वक था और पार्क में हाथों में तिरंगा लिए बच्चे और महिलाएं बैठी हुई थीं, न कोई सड़क जाम, न हिंसा न कोई उत्तेजक नारेबाज़ी। प्रदर्शन पूर्ण रूप से इलाकाई महिलाओं का था जिसमें हिन्दू-मुस्लिम सभी शामिल थे और जिसका न किसी संगठन न किसी दल से लेना देना था।   

प्रशासन स्वयं और क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्तियों के जरिए दिन में धरने को खत्म कराने की कोशिश करता रहा। परन्तु महिलाएं शांतिपूर्वक प्रदर्शन जारी रखने को अड़ी रहीं। यह कह कर कि क्षेत्र के लोग दिसंबर से बिलरियागंज में धरना प्रदर्शन की अनुमति मांग रहे हैं, परन्तु प्रशासन टाल मटोल कर रहा है। हम यहां से नहीं हटेंगे जब तक हमें धरना की लिखित परमीशन नहीं मिलती।

पांच फरवरी को तीन बजे रात में पुलिस द्वारा महिलाओं पर बर्बर पुलिस दमन किया गया। इसके बाद धरना स्थल पर अफरातफरी और चीख-पुकार हुई। इसे सुन कुछ मर्द आस-पास से पहुंचे। उन पर भी बल प्रयोग किया गया और उन्हें भी गिरफतार कर लिया गया। इस बल प्रयोग में अनेक महिलाएं, बच्चे और पुरुष घायल हो गए और वहां भगदड़ मच गई।

19 लोगों को गिरफतार कर लिया गया, जिसमें कक्षा 10 और 12 में पढ़ने वाले नाबालिग छात्र समेत, बी-टेक कर रहे छात्र और मजदूरी करने वाले युवा तथा 65 साल तक के बुज़ुर्ग मरीज़ भी शामिल  हैं। इसमें से कुछ ऐसे भी हैं जो नमाज पढ़ने निकले थे और उन्हें भी उठा लिया गया। गिरफतार किए गए लोगों में राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना ताहिर मदनी भी थे, जो कि बिलरियागंज के निवासी भी हैं।  उन्हें जिला प्रशासन ने स्वंय ही अपनी मदद के लिए धरनारत महिलाओं को समझाने के लिए बुलाया था। इसके तमाम सबूत हैं और मौलाना ने सुबह से शाम तक कई बार धरना स्थल पर जाकर महिलाओं का समझाया भी था।

रात एक बजे के आस-पास भी जिला के आला अफसरों के साथ उन्होंने महिलाओं को समझाया था, जिसकी खबरें, तस्वीर और वीडियो तमाम अखबार, न्यूज़ पोर्टल और सोशल मीडिया पर भी मौजूद है। रात एक बजे के बाद जब मौलाना ताहिर मदनी के मनाने के बाद भी महिलाएं नही मानीं तो प्रशासन ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया और इसके बाद बल प्रयोग कर मैदान खाली करवा लिया। इस दौरान पुलिस ने बर्बरता की तमाम हदें पार कर दीं।

देशद्रोह और धार्मिक उन्माद जैसी 18 गंभीर धाराओं में 19 बेगुनाहों को बिना किसी पुख्ता तथ्य और सुबूत के जेल भेज देना पूर्ण रूप से असंवैधानिक, अनैतिक और अमानवीय है। जनपद के दो युवा छात्र नेता नूरुल हुदा और मिर्जा शाने आलम पर इस प्रकरण के संबंध में इनाम की घोषणा की गई है, जबकि दोनों का इस घटना से कोई लेना देना या मौजूदगी नहीं थी।

जांच दल प्रदेश सरकार से मांग करता है कि तत्काल फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं और इन निर्दोषों की रिहाई का मार्ग प्रशस्त किया जाए। जारी दमन को  तत्काल रोका जाए। महिलाओं के शांतिपूर्ण धरने पर बर्बर पुलिस दमन के दोषी अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। जांच दल ने बताया कि यूपी कोर्डिनेशन कमेटी उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), एनआरसी और एनपीआर के विरोध में चल रहे जन आंदोलनों को हर संभव सहयोग देगा और प्रदेश में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए आंदोलन की योजना तैयार कर जनता को एकजुट करेगा।

अजीत यादव

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