चमोली आपदाः एनटीपीसी ने नहीं किए थे सुरक्षा इंतजाम, एफआईआर दर्ज कराने के लिए भाकपा माले आई आगे

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भाकपा माले ने कहा है कि चमोली में आई आपदा मामले में एनटीपीसी ने मजदूरों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए थे। न कोई सायन की व्यवस्था थी, न मजदूरों के लिए रस्से तक लगाए गए थे, ताकि आपदा आने पर वह अपना बचाव कर सकते। पार्टी ने एनटीपीसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए चमोली की जोशीमठ कोतवाली में तहरीर दी है।

भाकपा-माले की राज्य कमेटी सदस्य अतुल सती ने दी गई तहरीर में कहा है कि 7 फरवरी 2021 को जोशीमठ में ऋषिगंगा में भारी जल प्रलय आई, जिसकी वजह से रैणी में ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना बह गई और मजदूर और स्थानीय निवासी इसका शिकार बने। इस भयानक जलराशि को रैणी से तपोवन में एनटीपीसी द्वारा बनाई जा रही तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना के बैराज तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगे। आपातकालीन स्थितियों में यह समयावधि इतनी है कि खतरे की चेतावनी दी जा सके और लोगों की प्राण रक्षा की जा सके।

तहरीर में कहा गया है कि यह बेहद अफसोसनाक बात है कि तपोवन में परियोजना निर्माता कंपनी एनटीपीसी द्वारा ऐसे खतरों से निपटने के कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। यहां तक कि खतरे की सूचना देने के लिए कोई सायरन या हूटर तक नहीं लगाया गया था। बैराज साइट पर सीढ़ियां या रस्से नहीं थे, जिनका प्रयोग करके लोग प्राण बचा सकते। सुरंग के अंदर भी आपातकालीन स्थितियों के लिए सुरक्षा इंतजाम और ऑक्सीजन सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस तरह के बंदोबस्त किए गए होते तो मजदूरों और अन्य कार्मिकों के प्राण बचाए जा सकते थे और भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार की बड़ी धनराशि और संसाधन खोज अभियान पर खर्च नहीं होते।

पुलिस को दी गई तहरीर में भाकपा माले ने कहा है कि उत्तराखंड 2013 की आपदा की भीषण त्रासदी झेल चुका है, जिसमें जोशीमठ क्षेत्र में विष्णुप्रयाग परियोजना का बैराज पूरी तरह नष्ट हो गया था। तपोवन में ही एनटीपीसी का काफ़र डैम दो बार अतीत में बह चुका है। इसके बावजूद एनटीपीसी द्वारा किसी तरह के सुरक्षा इंतजाम न करना और किसी तरह के पूर्व चेतावनी तंत्र (early warning system) की व्यवस्था न करना, गंभीर आपराधिक लापरवाही है, जिसकी कीमत श्रमिकों और अन्य कार्मिकों को अपने प्राण दे कर चुकानी पड़ी है।

पूर्व में गठित घटनाओं के अनुभव से यह जानते हुए भी कि सुरक्षा इंतजाम न करना परियोजना निर्माण में लगे मजदूरों और अन्य लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है, उसके बावजूद कोई सुरक्षा इंतजाम न करना (जिसके कारण कई लोगों की जान गई), गंभीर अपराध है।  2013 की आपदा के बाद माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने भी पूर्व चेतावनी तंत्र समेत सुरक्षा के बंदोबस्त करने का निर्देश दिया था, परंतु माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का भी खुला उल्लंघन किया गया।

उक्त तमाम बातों को देखते हुए तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना की निर्माता कंपनी एनटीपीसी के विरुद्ध मजदूरों की जान लेने के अपराध के लिए सुसंगत धाराओं (304 आईपीसी) में मुकदमा दर्ज करके सजा दिलवाने की मांग पत्र में की गई है।  

भाकपा-माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने बताया कि यह शिकायत पत्र, रजिस्टर्ड डाक से थाना जोशीमठ को भेज दिया गया है। थाना प्रभारी आपदा प्रभावित क्षेत्र तपोवन गए हुए थे और उनकी अनुपस्थिति में थाने में मौजूद उपनिरीक्षक ने शिकायत लेने में असमर्थता जाहिर की थी।

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