राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ प्रदेश में सीएम रमन सिंह के निर्वाचन जिले राजनांदगांव में किसानों का “मुख्यमंत्री मुंह तो खोलो, कुछ तो बोलो” के नारे गूंज रहे हैं। किसान मुख्यमंत्री को मुंह खोल कर बोलने की गुजारिश इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनको रबी की फसल चना का उचित दाम नहीं मिल पाया है। जिसके चलते वो चना सत्याग्रह के तहत एक महीने से आमरण अनशन पर बैठे हुए थे। लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा किसानों के आंदोलन की अनदेखी और किसी प्रकार का संवाद नहीं होने के चलते अब किसान हर गांव-मोहल्ले में “मुख्यमंत्री मुंह तो खोलो कुछ तो बोलो” के नारों के साथ जन सभाएं कर रहे हैं।
आप को बता दें कि प्रदेश में गर्मी की फसल धान पर सरकार ने पानी देने से रोक लगा दिया था। जिसके चलते किसानों ने भारी तादाद में चने की खेती की थी लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान अब आक्रोशित होकर आंदोलन कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ चने की फसल को सरकार समर्थित दाल माफिया औने-पौने दाम में खरीद कर किसानों को लूट रहे हैं। किसानों के एक महीने के आमरण अनशन के बावजूद मांगें पूरी करना तो दूर की बात सरकार संवाद के लिए भी तैयार नहीं हुई थी। जिसे किसानों ने लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक करार दिया।
किसान नेता सुदेश टेकाम ने बातचीत में बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार 2012 में स्वादिष्ट चना वितरण योजना के तहत 85 आदिवासी विकासखंडों में सस्ते दर पर चना वितरित करती है, जिसके लिए सालाना 60 हजार टन चना की खरीदी व्यापारियों से किया जाता है । किसान चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार ये खरीदी किसानों से समर्थन मूल्य पर करे, इसके लिए सरकार को न किसी अनुमति की जरूरत है न ही बजट की। आगे सुदेश टेकाम ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की मंशा पार्टी और सरकार से जुड़े प्रभावशाली व्यापारियों को लाभ पहुंचाने की है। और इसीलिए किसानों की अनदेखी की जा रही है। सरकार 7 साल से जिन व्यापारियों से चना खरीद रही है उनके नामों को भी सार्वजनिक करने की मांग की गयी।
एक किसान मदन टेकाम कहते हैं कि इस साल प्रदेश में धान की खेती बर्बाद हो गई है, जिसके घाटे से किसान अभी तक उबर नहीं पाए हैं समुचित सूखा राहत एवं बीमा राशि की अभी तक प्रतीक्षा कर रहे हैं। वहीं किसी तरह व्यवस्था कर रबी में चने की खेती करने वाले किसान ठीक फसल होने के बावजूद बाजार की मंदी एवं सरकारी नीति के चलते घाटे की मार झेलने को मजबूर हैं।
आप को बता दें कि पिछले सीजन में 5500 रुपये से 6000 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाले चने को इस साल बाजार में अधिकतम 3000 रुपए मिल पा रहा है। जबकि समर्थन मूल्य 4400 रुपये प्रति क्विंटल घोषित है। किसानों ने विवश होकर अप्रैल माह में दुर्ग जिले में रमन सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए मुफ्त में चना बांटा था। किसानों के गुस्से को देखते हुए कुछ दिन पूर्व मंत्रिपरिषद की बैठक में 1500 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया गया। लेकिन किसान संगठन इसे छलावा बता रहे हैं।
देशभर में 110 लाख टन से अधिक पैदावार
साल 2017-18 में देश में 110 लाख टन से अधिक चना फसल की पैदावार का अनुमान है। राजस्थान व मध्यप्रदेश देश के 60 फीसदी चने का उत्पादन करते हैं। मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा चना उत्पादक राज्य बन गया है, जहां 54 लाख टन चने के उत्पादन का अनुमान है। चना उत्पादन में दूसरे स्थान पर राजस्थान व तीसरे पर महाराष्ट्र है। छत्तीसगढ़ में इस वर्ष 4.38 लाख टन चना उत्पादन का अनुमान है। जबकि 2016-17 में 4.02 लाख और 2015-16 में 2.17 लाख टन चना उत्पादन हुआ था।
बहरहाल मुख्यमंत्री रमन सिंह के निर्वाचन जिले राजनांदगांव से शुरू हुए चना सत्याग्रह के तहत मुख्यमंत्री मुंह खोलो का अभियान प्रदेश के अन्य जिलों में तेजी से फैल रहा है।