Friday, March 29, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्य के बाहर की एजेंसी करे एडसमेटा कांड की जांच

रायपुर। सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की बाहर की एजेंसी से छत्तीसगढ़ के एडसमेटा कांड की जांच के आदेश दिए है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि आठ लोगों की कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच बाहर की एजेंसी से करानी चाहिए। जस्टिस नागेश्लर राव और केबी शाह की बेंच में यह सुनवाई हुई। कांग्रेस का आरोप रहा है कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी थी। एडसमेटा कांड झीरम घाटी हमले का आठ दिन पहले घटी थी। इसमें तीन बच्चों समेत आठ लोगों की जान गयी थी। याचिकाकर्ता डीपी चौहान ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस नागेश्लर राव और केबी शाह शामिल थे,जिसमें यह आदेश दिया गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करती रही है लेकिन सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल की सरकार ने राज्य के मामलों में सीबीआई को दखल देने पर रोक लगा दी थी। माना जा रहा है कि अब इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया जा सकता है।गौरतलब है कि दक्षिण बस्तर के एडसमेटा गांव के पास वर्ष 2013 में 17-18 मई की रात को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच गोलीबारी में तीन बच्चों और सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के एक जवान समेत आठ ग्रामीणों की जान चली गई थी। 

त्योहार मनाने जुटे आदिवासियों पर हुई थी फायरिंग

दक्षिण बस्तर के एडसमेटा गांव के पास ग्रामीण देवगुडी में बीज त्योहार मनाने के लिए इकठ्ठा हुए थे। ग्रामीणों का कहना है कि इसी दौरान मौके पर पहुंची पुलिस ने निरोधो को दौड़ा-दौड़ा कर मारा। कर्मा पाडू, कर्मा गुड्डू, कर्मा जोगा, कर्मा बदरू, कर्मा शम्भू, कर्मा मासा, पूनम लाकु, पूनम सोलू की मौत हो गई।इसमें तीन बेहद कम उम्र के बच्चे थे। इसके अलावा छोटू, कर्मा छन्नू, पूनम शम्भु और करा मायलु घायल हो गए। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमले से ठीक 8 दिन पहले घटी इस घटना को मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर घटनाओं में गिना जाता हैं।

मृतकों के परिवार को दिया गया मुआवाजा

घटना के बाद राज्य सरकार ने ग्रामीणों के लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद घटना की जांच के लिए न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया था, लेकिन नतीजा सिफर रहा। इस घटना के बाद तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख का मुआवजा देने का भी ऐलान किया था। जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा था कि अगर सरकार मृतकों के परिजनों को मुआवजा दे रही है तो उन्हें माओवादी कैसे माना जा सकता है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles