उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मुस्लिम विरोध के एजेंडे पर खुले तौर पर सामने आ गई है। पहले सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों में 16 मुसलमानों को जान गंवानी पड़ी। उसके बाद आंदोलनकारियों की धरपकड़ के बहाने बड़े पैमाने पर मुसलमानों के घरों में पुलिस ने तोड़फोड़ की। यहां तक कि महिलाओं को भी मारा गया। उसके बाद सरकार ने एक तरफा कार्रवाई करते हुए मुजफ्फरनगर में मुस्लिम प्रदर्शनकारियों की 67 दुकानें सील कर दी हैं। अब सरकार ने 130 लोगों को नोटिस भेजा है। इसमें भी ज्यादातर मुसलमान हैं। यह सारी कार्रवाई योगी के बदला लेने के बयान के बाद शुरू हुई है।
नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर पूरे देश में ही प्रदर्शन जारी हैं। यूपी के तमाम शहरों में भी प्रदर्शन हुए थे। इनमें सभी धर्म-संप्रदाय के लोग शामिल हुए थे। इसके बावजूद ‘योगी का बदला’ सिर्फ मुसलमानों से लिया जा रहा है। बता दें कि हिंसक प्रदर्शनों के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आया था कि सभी प्रदर्शनकारियों से बदला लिया जाएगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को सख्ती से प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए खुली छूट दे दी है। पुलिस ने भी खुले हाथ से प्रदर्शनकारियों का दमन किया है। उसने न सिर्फ प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई बल्कि बुरी तरह से लोगों को पीटा भी। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह कहते हैं कि पुलिस ने कहीं भी गोली नहीं चलाई है। अलबत्ता ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें पुलिस खुलेआम गोली चला रही है। अब तक गोली लगने से 16 लोगों की मौत की बात सामने आई है।
अब हिंसा भड़काने के आरोप में पूरे यूपी में 130 लोगों को नोटिस भेजा गया है। इनसे क्षतिपूर्ति के तौर पर करीब 50 लाख रुपये की वसूली की जाएगी। नोटिस में यह भी कहा गया है कि ऐसा नहीं करने पर प्रशासन उनकी संपत्ति जब्त कर लेगा।
रामपुर में 28 लोगों को नोटिस भेजा गया है। संभल में 26, बिजनौर में 43 और गोरखपुर में 33 लोगों को नोटिस दिया गया है। हिंसा के दौरान रामपुर में करीब 14.8 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने का प्रशासन ने दावा किया है। संभल में 15 लाख और बिजनौर में 19.7 लाख के नुकसान का दावा है। वहीं, गोरखपुर में अभी अधिकारी नुकसान का आंकलन कर रहे हैं।
पुलिस ने नुकसान का जो हिसाब लगाया है, उसमें पुलिस के टूटे हेल्मेट और डंडों का पैसा भी जोड़ दिया गया है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था कि इस तरह से किसी उपद्रव को शांत करने के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की गई हो। खुद योगी की हिंदू युवा वाहिनी ने इस तरह के दर्जनों आंदोलन किए हैं और उनके तकरीबन हर आंदोलन हिंसक ही रहे हैं। योगी उन पर भी ऐसी ही कार्रवाई की अनुशंसा करेंगे!
योगी की पुलिस ने खुलेआम मुसलमानों से बदला लिया है। तमाम इलाकों में लोगों के वाहनों को पुलिस ने तोड़ दिया। तमाम मुसलमानों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की गई। यह सब कुछ सीसीटीवी में कैद न होने पाए, इसिलए कैमरों को भी पुलिस ने तोड़ दिया है। ऐसी कुछ फुटेज सामने भी आई हैं, जिनमें पुलिस वाले तोड़फोड़ करते हुए साफ नजर आ रहे हैं।
अहम सवाल यह है कि पुलिस के इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा? क्या योगी सरकार ऐसे गुंडे पुलिस वालों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेगी, जो खुलेआम तोड़फोड़ कर रहे थे। या यह सब कुछ एक मुख्यमंत्री के बदले की तुष्टि के लिए किया गया है।
शासन-प्रशासन और मीडिया ने भी सारा फोकस तोड़फोड़ पर केंद्रित कर दिया है। उन घरों के बारे में कोई बात नहीं हो रही है, जिनके लोगों ने अपनी जान गंवाई है। एक सभ्य समाज में इंसानी जान से कीमती कुछ भी नहीं है, लेकिन यहां बात एक इनसान की नहीं ऐसे सामानों की हो रही है, जिनकी भौतिक दुनिया में कोई कीमत नहीं है, लेकिन सारा फोकस उन बेजान वस्तुओं पर ही है। मारे गए लोगों में से ज्यादातर बेहद गरीब घरों के हैं।
कई परिवार के लोगों ने कहा है कि उनका बेटा आंदोलन में शामिल नहीं था और वह उधर से गुजर रहा था और पुलिस की गोली का शिकार हो गया। इसके बावजूद उन गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं है। चर्चा बस सिर्फ नुकसान और उसकी भरपाई को लेकर है। सवाल आखिर एक मुख्यमंत्री के बदला लेने की आकांक्षा की तुष्टि का है!