लखनऊ/आजमगढ़। पुलिस मुठभेड़ उत्तर प्रदेश सरकार के गले की फांस बनती जा रही है। मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से एनकाउंटर के मामलों में जवाब तलब किया है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद से ही जगह-जगह एनकाउंटर की खबरें आने लगी थी। मुख्यमंत्री योगी सरकार ने पुलिस को एनकाउंटर करने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री कई सभाओं और आला अधिकारियों की बैठक में यह कह चुके हैं कि अपराधी या तो प्रदेश की सीमा छोड़ कर चले जाएं या एनकाउंटर के लिए तैयार रहें। पुलिस अपराधियों का एनकाउंटर कर दें। इसके बाद प्रदेश में एनकाउंटर का सिलसिला शुरू हो गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को एनकाउंटर पर जवाब तलब किया है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा जवाब-तलब किए जाने बाद डीजीपी ओपी सिंह मुठभेड़ों की रणनीति में कोई बदलाव नहीं करने की बात कह रहे हैं। सच तो ये है कि अगर डीजीपी योगी सरकार में मुठभेड़ों में मारे गए लोगों की जाति को सार्वजनिक कर दें तो सब रणनीति सामने आ जाएगी।
एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने कहा कि-
मुठभेड़ में मारे गए 59 मामलों में 25 की न्यायिक जांच पूरी हो गयी है और 23 मामलों में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाई है, जिसमें से 16 को कोर्ट स्वीकार भी कर चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट के जवाब तलब किए जाने के पहले ही प्रदेश सरकार एनकाउंटरों का कागजी खानापूर्ति कर रही है।
राज्य मानवाधिकार आयोग आजमगढ़ के जय हिंद यादव, राम जी पासी, मुकेश राजभर और इटावा के आदेश यादव की फर्जी मुठभेड़ की जांच कर रहा है। पर जिनके मामलों की जांच हो रही है उन्हें ही इसके बारे में कुछ नहीं मालूम। सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने आरोप लगाया है कि फर्जी मुठभेड़, रासुका और भारत बंद के नाम पर यूपी में दलितों,पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। मुठभेड़ में मारे गए युवाओं के परिजनों, पुलिसकर्मियों और 100 नंबर के फोन रिकार्ड की ही जांच की जाए तो मुठभेड़ की असली कहानी सामने आ जाएगी। एसएसपी को अधिकांश मुठभेड़ों की सूचना परिजनों ने ही फोन पर दी थी।
रिहाई मंच के कार्यकर्ता राजीव यादव ने आजमगढ़ के फर्जी मुठभेड़ों मे मारे गए छह लोगों के केसों की स्थिति रिपोर्ट जारी करते हुए जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाया है। पुलिस की फाइनल रिपोर्टों पर सवाल करते हुए उन्होंने कहा-
‘‘जो पुलिस एफआईआर की कापी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं दे रही है वो फाइनल रिपोर्ट में क्या रिपोर्ट लगाएगी यह तो योगी जी को ही मालूम होगा जिन्होंने ‘ठोक देने’ वाले बयान देकर पुलिस का मनोबल बढ़ाया और अपराधी के नाम पर दलित, पिछड़ों और मुसलमानों की हत्याएं की गईं।’’
आजमगढ़ में मारे गए युवाओं के परिजनों से मिलने पर पता चला कि उन्हें अब तक एफआईआर और पोस्टमार्टम की कॉपी तक नहीं मिली है। मानवाधिकार आयोग की जांच के संबन्ध में पूछे जाने पर मुकेश राजभर के भाई सर्वेश राजभर बताते हैं कि उन्हें किसी भी जांच की कोई सूचना नहीं मिली और न ही उन्होंने कोई बयान ही दर्ज करवाया है।
जांच के संबन्ध में ठीक यही बात जय हिंद यादव के पिता शिवपूजन यादव बताते हैं कि उनका कोई बयान नहीं दर्ज किया गया है। न तो उन्हें अब तक एफआईआर की कापी ही दी गई है और न ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट। वे बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने काफी प्रयास किया पर उन्हें अब तक नहीं मिल सका।
वहीं फर्जी मुठभेड़ में मारे गए मोहन पासी के पिता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है जिसके चलते उनकी मां गांव में नहीं रहती हैं। छन्नू सोनकर के भाई झब्बू सोनकर ने एसडीएम सदर आजमगढ़ की अनुपस्थिति में उनके निर्देशानुसार उनके कार्यालय में लिखित बयान दिया। राम जी पासी के भाई दिनेश सरोज का कहना है कि मजिस्ट्रेट के सामने उन्होंने अपना बयान दर्ज करवाया है। राज्य मानवाधिकार आयोग से सूचनार्थ पत्र प्राप्त हुआ पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई या जांच के बारे में उन्हें नहीं मालूम।
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