यूपी की योगी सरकार ने पुलिस को किस कदर अराजक और सांप्रदायिक बना दिया है, इस बारे में दो वीडियो सामने आए हैं। पहला वीडियो मेरठ का है तो दूसरा कानपुर का। यह वीडियो डीजीपी के उस बयान की पोल भी खोलते हैं, जिसमें उन्होंने यूपी पुलिस को उपद्रवियों के सामने निरीह बताने की कोशिश की थी। दरअसल कानपुर में पुलिस का गोली चलाने का वीडियो सामने आया है।
पहला वीडियो मेरठ का है। यहां उत्तर प्रदेश पुलिस के एसपी सिटी का एक वीडियो क्लिप इंटरनेट पर वायरल हो गया है। इसमें पुलिस अधिकारी नए नागरिकता कानून के विरोधियों को पाकिस्तान जाने को कहता दिख रहा है। बता दें कि मेरठ में 20 दिसंबर को नागरिकता कानून के विरोध में बड़ी हिंसा हुई थी। इसमें चार लोगों की जान चली गई थी।
वीडियो क्लिप में मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह साफ कहते दिख रहे हैं, ‘कहां जाओगे, इस गली को ठीक कर दूंगा।’ इसके बाद वो तीन लोगों की तरफ मुड़ते हैं और कहते हैं, ‘ये जो काली और पीली पट्टी बांधे हुए हैं… इनसे कह दो पाकिस्तान चले जाओ… खाओगे यहां का, गाओगे कहीं और का…. ये गली मुझे याद हो गई है…. और जब मुझे याद हो जाता है तो मैं नानी तक पहुंच जाता हूं।’
यह वीडियो एक गली का है। इसमें अखिलेश नारायण सिंह कुछ दूसरे पुलिसकर्मियों के साथ खड़े हैं। वो आगे कहते हैं, ‘अगर कुछ हो गया तो तुम लोग कीमत चुकाओगे…. एक-एक आदमी को जेल में बंद करूंगा।’
इस बारे में एसपी अखिलेश नारायण सिंह ने सफाई दी है। उनका कहना है कि, “हमें देखकर कुछ लड़कों ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए और भागने लगे। मैंने उन्हें कहा कि अगर पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाओगे और भारत से इतनी नफ़रत करते हो कि पत्थर मारोगे तो पाकिस्तान चले जाओ। हम उनकी पहचान कर रहे हैं।”
इस बीच इस वीडियो को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस वीडियो में दिख रहे अधिकारी की आलोचना की है। विपक्ष ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को भी आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने वीडियो के आधार पर भाजपा पर ‘संस्थानों को सांप्रदायिक बना देने’ का आरोप लगाया है। उन्होंने वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है, “भारत का संविधान किसी भी नागरिक के साथ इस भाषा के प्रयोग की इजाज़त नहीं देता। और जब आप अहम पद पर बैठे अधिकारी हैं तब तो ज़िम्मेदारी और बढ़ जाती है।” प्रियंका ने इसके बाद लिखा है कि भाजपा ने संस्थाओं में इस क़दर साम्प्रदायिक ज़हर घोला है कि आज अफ़सरों को संविधान की कसम की कोई क़द्र ही नहीं है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी ट्विट करके इस पर आपत्ति की है। उन्होंने लिखा है, “मेरठ के एसपी को मुसलमानों को पाकिस्तान जाने के लिए कहता देख हैरान हूं। मुसलमानों ने पाकिस्तान को ख़ारिज करके भारत में रहना चुना था, क्योंकि उन्हें भारतीय संविधान और महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, अबुल कलाम आज़ाद के नेतृत्व पर भरोसा था।”
उधर, कानपुर से भी एक वीडियो सामने आया है। वीडियो को देखने के बाद पुलिस सवालों के घेरे में है। पुलिस प्रदर्शनकारियों को हिंदुस्तान में न रहने देने की खुलेआम धमकी दे रहे हैं। यह वीडियो कानपुर के बाबू पुरवा इलाके का बताया जा है। इसमें पुलिसकर्मी प्रदर्शनकर्मियों के लिए भद्दी भाषा और गालियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वीडियो में पुलिसकर्मी लगातार फ़ायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़ रहे हैं। दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी भी पुलिस की तरफ पत्थर फेंक रही है।
दोनों ही जगहों पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान के यह वीडियो हैं। एनआरसी गरीब-मजदूर, आदिवासी, घुमंतू, अल्पसंख्यकों और दलितों को भारत की नागरिकता से बाहर करे देगा। दोनों ही वीडियो में पुलिस की धमकी की भाषा यहीं बात बयां कर रही है। इससे समझा जा सकता है कि एनआरसी को जिस प्रशासन के जरिए लागू किया जाना है उसके अफसरों की सोच और चरित्र क्या है?