Sunday, April 2, 2023

बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक के खिलाफ माले का राज्यव्यापी प्रतिवाद

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

पटना: ‘बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021’ (Bihar Special Armed Police Bill 2021) विधेयक के खिलाफ भाकपा-माले के राज्यव्यापी प्रतिवाद के तहत राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में विरोध दिवस का आयोजन किया गया और विधेयक की प्रतियां जलाई गई। पटना के विरोध मार्च में काले पुलिस विधेयक की वापसी के साथ-साथ फुटपाथ दुकानदारों के पंजीकरण व उनके लिए अविलंब पक्का मकान की व्यवस्था करने की भी मांगें उठाई गई। अरवल, सुपौल, बक्सर, जहानाबाद, भोजपुर, सिवान, बेगूसराय आदि जिलों में भी प्रखंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए गए और नए पुलिस विधेयक को वापस लेने की मांग की गई। पटना ग्रामीण के फुलवारी, फतुहा, पालीगंज, नौबतपुर आदि प्रखंड मुख्यालयों पर मार्च आयोजित हुआ।

राजधानी पटना में जीपीओ गोलबंर से सैकड़ों माले कार्यकर्ताओं ने मार्च किया और स्टेशन गोलबंर से पुनः गोलचक्कर होते हुए जीपीओ गोलंबर पर ही सभा आयोजित की। इस मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, तरारी से माले विधायक सुदामा प्रसाद, फुलवारीशरीफ से विधायक गोपाल रविदास, वरिष्ठ माले नेता केडी यादव, माले की केंद्रीय कमिटी की सदस्य व ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, पटना नगर के सचिव अभ्युदय, ऐपवा की पटना नगर की सचिव अनीता सिन्हा, पार्टी नेता जितेन्द्र कुमार, मुर्तजा अली आदि नेताओं ने किया।

मार्च के दौरान माले कार्यकर्ता बिहार को यूपी बनाना बंद करो, बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 वापस लो, काला कानून नहीं चलेगा, पुलिस राज मुर्दाबाद, सोशल मीडिया को प्रतिबंधित करने की साजिश नहीं चलेगी, तानाशाही मुर्दाबाद, फुटपाथ दुकानदारों को उजाड़ना बंद करो, फुटपाथ दुकानदारों का निबंधन कराओ व उनके लिए पक्का मकान की व्यवस्था करो, स्मार्ट सिटी के नाम पर गरीब विरोधी कार्रवाइयों पर रोक लगाओ आदि नारे लगा रहे थे।

जीपीओ गोलबंर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि विगत 19 मार्च को विपक्ष के भारी हंगामे के कारण सरकार इस नए पुलिस विधेयक को पेश नहीं कर पाई और अब हम 23 मार्च को भी इसे पेश नहीं होने देंगे। महागठबंधन की सभी पार्टियां बिहार में पुलिस राज स्थापित करने के इन प्रयासों के खिलाफ एकजुट है। कहा कि इस विधेयक के जरिए गठित होने वाले पुलिस बल को कोर्ट के आदेश के बिना ही कहीं भी छापेमारी करने और महज संदेह के आधार पर गिरफ्तारी करने का अधिकार मिल जाएगा। यह मानवाधिकारों व लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। यह संवैधानिक न्याय प्रणाली का खुलेआम उल्लंघन है और संवैधानिक लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था को पुलिस राज में बदलने की फासीवादी साजिश है। इसी तरह का कानून उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित कुछ अन्य राज्यों में लाया गया है। पड़ोस का उत्तर प्रदेश इसी कानून की आड़ में आज पुलिस एनकाउंटर राज में बदल गया है।

विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि बिहार में भी भाजपा-जदयू की सरकार विरोध की आवाज को दबाने के लिए हर रोज नया आदेश जारी कर रही है। सबसे पहले सोशल मीडिया पर विरोध को दबाने का आदेश जारी किया गया और फिर आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी व ठेका से वंचित करने का फरमान जारी किया गया और अब ‘बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक’ लाया जा रहा है।

गोपाल रविदास ने कहा कि भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों व कदमों से पैदा हो रहे विक्षोभ को दबाने की यह फासीवादी साजिश है। इसके खिलाफ पूरा विपक्ष संगठित है। पटना के विरोध मार्च में इन नेताओं के अलावा आइसा-इनौस-ऐपवा के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

अरवल में आज के मार्च का नेतृत्व विधायक महानंद सिंह और जहानाबाद में विधायक रामबली सिंह यादव ने किया।

भाकपा-माले, बिहार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

आईपी कॉलेज फॉर वीमेन: “जय श्री राम” के नारे के साथ हमला

28 मार्च को मंगलवार के दिन आईपी कॉलेज फॉर वीमेन (इंद्रप्रस्थ कॉलेज) में हुए वार्षिक फेस्टिवल श्रुति फेस्ट के...

सम्बंधित ख़बरें