फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट: नवादा दलित बस्ती मामले में दबंगों की पुलिस से है मिलीभगत 

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पटना। नवादा दलित बस्ती के जलाए जाने की घटना सूबे में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। विपक्षी दलों ने इसे जंगल राज करार देते हुए नीतीश सरकार की घेरेबंदी शुरू कर दी है। इस कड़ी में सीपीआई एमएल ने अपने एक पूर्व विधायक को घटनास्थल पर भेजने के साथ ही स्थानीय नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल का दौरा कराया है।

पार्टी की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक घटना की जानकारी मिलते ही माले के पूर्व विधायक कॉ. मनोज मंजिल नवादा रवाना हो गए। और उससे पहले स्थानीय माले नेता का. भोला राम के नेतृत्व में एक जांच दल घटनास्थल पर पहुंचा जिसमें अजीत कुमार मेहता और सुदामा देवी शामिल थीं। माले नेताओं ने सबसे पहले पीड़ितों के भोजन की व्यवस्था करवाई। उन्होंने कल रात से ही कुछ नहीं खाया था। बच्चे-बूढ़े-महिलाएं खुले आसमान के नीचे हैं।

माले जांच दल ने कहा है कि उक्त गांव की 15 एकड़ 59 डिसमिल गैरमजरुआ जमीन पर कुल 80 परिवार (67 घर मुसहर, 12 घर रविदास व एक घर रमानी) बसे हुए हैं। ये लोग उक्त जमीन पर खेती का भी काम करते हैं। स्थानीय ठेकेदार और इलाके की सामंती ताकतों से गठजोड़ रखने वाले नंदू पासवान की लंबे समय से इस जमीन पर निगाह रही है। जमीन पर कब्जा करने के ही उद्देश्य से उक्त गिरोह ने आग्नेयास्त्रों से लैस होकर बीती रात दलित टोले पर हमला किया। बम बाजी की गई, कई राउंड गोलियां चलाई गईं, लोगों से मारपीट की गई और फिर पेट्रोल-डीजल छिड़ककर कई घरों में आग लगा दी गई।

80 में 34 घर पूरी तरह जलकर राख हो गए। 100 मुर्गियां, 26 बकरी सहित कई पशु जलकर मर गए। गायों को हमलावर उठाकर ले गए। पैसों की भी लूट की गई। भय व डर का माहौल ऐसा था कि 35 वर्षीय अनिल मांझी की हृदयाघात से मौत हो गई।

माले जांच दल ने कहा कि मुफस्सिल थाना की घटनास्थल से दूरी महज 1 किलोमीटर की है। 112 नंबर पर फोन करने पर लगभग 2 घंटे बाद पुलिस पहुंची, तब तक अपराधी अपने कारनामों को अंदाज दे चुके थे। इस कारण इस घटना में पुलिस की संलिप्तता की आशंका दिख रही है।

माले जांच दल ने यह भी पाया कि अनिल मांझी की मौत को स्थानीय प्रशासन रफा-दफा कर देना चाहता था। माले नेताओं ने नंदू पासवान पर धारा 302 लगाने की मांग पुलिस से की है जिसमें वह हीलाहवाली कर रही है।

भाकपा-माले ने बिहार सरकार से कहा है कि वह दबंगों के बढ़े मनोबल पर रोक लगाए। कमजोर लोगों के हक-अधिकार व जीवन की रक्षा में सरकार व प्रशासन द्वारा बरती जा रही लापरवाही का करारा जवाब बिहार की जनता उन्हें आने वाले दिनों में देगी।

घटना पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ददौर स्थित कृष्णा नगर दलित बस्ती पर आग्नेयास्त्रों से लैस नंदू पासवान अपराधी गिरोह द्वारा हमले, आगजनी और पशु संपदा की लूट की भयावह घटना की कड़ी भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि भाजपा-जदयू शासन में दबंगों-ठेकेदारों का मनोबल लगातार बढ़ा हुआ है। गया से लेकर नवादा तक दलित समुदाय खासकर मुसहर लोगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यह विडंबना ही है कि उस इलाके के कद्दावर नेता माने जाने वाले जीतनराम मांझी आज केंद्रीय मंत्री हैं लेकिन दलितों पर हमले की घटनाएं कम होने की बजाए लगातार बढ़ती ही गईं।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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