Thursday, April 25, 2024

प्रो. डेजी नारायण लोकतंत्र की लड़ाई में सामूहिक ऊर्जा की स्रोत हैं: दीपंकर भट्टाचार्य

पटना। आइसा, इनौस, एआईपीएफ व ऐपवा की ओर से गुरुवार को माले विधायक दल कार्यालय में प्रो. डेजी नारायण की याद में एक श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें कई राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पटना का नागरिक समाज जुटा।
माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रो. डेजी नारायण की मौत की खबर अचानक मिली। साथियों को सुनकर महसूस हो रहा है कि लोकतांत्रिक आंदोलन व पूरे देश के लिए यह एक बड़ा नुकसान है। वे जितना छोड़कर गई हैं, वह हमारे लिए सामूहिक ऊर्जा का स्रोत है। हमारी चाहत है कि आने वाले दिनों में डेजी नारायण, स्टेन स्वामी जैसे हजारों लोग पैदा हों। हम सब इसके लिए कोशिश करेंगे। जब तक डेजी नारायण जैसे लोगों का संघर्ष रहेगा, देश में फासीवाद सफल नहीं होगा। उन्होंने डेजी नारायण को लोकतंत्र के लिए चल रहे समूचे आंदेालन व पार्टी की ओर से श्रद्धांजलि दी।

प्रख्यात चिकित्सक डॉ. सत्यजीत सिंह ने कहा कि डेजी नारायण महिला व लोकतांत्रिक आंदोलन की एक बड़ी स्तम्भ थीं। फादर स्टेन स्वामी की श्रद्धांजलि सभा में उनसे अंतिम मुलाकात हुई। उनकी कमी महिला व लोकतांत्रिक आंदोलन में बहुत खलेगा। हमें उम्मीद है कि छात्र-युवा व महिला साथी उनके आंदोलनों को आगे बढ़ाते रहेंगे

इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. भारती एस कुमार ने इस मौके पर कहा कि डेजी नारायण लीक से हटकर रहने वाली महिला थीं। उन्होंने घर व समाज से लड़कर शादी की। डेजी में राजनीतिक-सामाजिक प्रतिबद्धता के प्रति विकास धीरे-धीरे हुआ। एमए क्लास में आने के बाद उनके जीवन का खास व्यक्तित्व उभरकर सामने आया। वे एक ऐसी शख्सियत थीं, जिनके जाने से एक बड़ा शून्य हो गया है। चाहे महिलाओं का सवाल हो या बच्चों का सवाल हो, वे हमेशा सामने आती थीं और कई संगठनों से जुड़ी रहीं। उनका जो धर्मनिपरेक्ष व उदार दृष्टिकोण था, वह हमेशा हमें प्रेरणा देगा। प्रो. संतोष कुमार ने भी उनके साथ अपनी जुड़ी यादें श्रद्धांजलि सभा में रखीं।
केडी यादव ने अपनी यादों को साझा करते हुए कहा कि पीयूसीएल में दो साल के लिए डेजी नारायण ने उन्हें मेंबर बनाया था। उन्हें हम सबको अभी छोड़कर नहीं जाना चाहिए था। नागरिक व महिला आंदोलन के लिए उनका जाना एक बड़ा नुकसान है। जनवादी आंदोलन व नागरिक स्वतंत्रता की उनकी लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

ऐपवा की मीना तिवारी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि डेजी नारायण हमारे सामने उदाहरण हैं कि लीक से हटकर चलकर ही महिलाएं अपनी आजादी हासिल कर सकती हैं। महिलाओं ने जो कुछ हासिल किया है उसे डेजी नारायण जैसी लाखों महिलाओं ने मिलकर ही हासिल किया है।
आइसा नेता दिव्यम ने कहा कि डेजी नारायण समाज व देश को गलत दिशा में ले जाने वाली ताकतों के खिलाफ मुखर आवाज थीं, और हमारे बीच हमेशा उपलब्ध रहती थीं। ऐसे भयावह दौर में प्रोफेसर डेजी नारायण का जाना बड़ा नुकसान है। हम उनके विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव ने कहा कि डेजी नारायण की कमी महिला आंदेालन में लंबे समय तक महसूस होगा। कोरस की समता राय ने डेजी नारायण को याद करते हुए कहा कि वे हमारे कार्यक्रमों में जरूर पहुंचती थीं।
प्रोफेसर गणेश प्रसाद सिंह, अभय पांडेय, रंजीव, प्रो. अशोक कुमार, श्री अशोक कुमार आदि ने भी प्रो. डेजी नारायण को अपनी श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर आइसा, इनौस, एआईपीएफ व ऐपवा सहित नागरिक समाज के कई लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एआईपीएफ के कमलेश शर्मा ने किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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