Friday, March 29, 2024

बीएसएल प्रबंधन के खिलाफ बोकारो के विस्थापितों ने फिर शुरू किया मेन गेट पर अनिश्चितकालीन धरना

झारखंड के बोकारो में स्थित बोकारो इस्पात संयंत्र (बीएसएल) के मेन गेट पर विस्थापितों ने 20 अक्टूबर से पुन: अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है। उक्त धरना कार्यक्रम के जरिये विस्थापित अप्रेंटिस संघ के बैनर तले बेरोजगार विस्थापितों ने बीएसएल के प्रशासनिक भवन के समक्ष प्लांट के मेन गेट को जाने व आने वाली सड़क को पूरी तरह से जाम कर दिया है। इसके पूर्व सैकड़ों की संख्या में विस्थापित अप्रेंटिस युवक सेक्टर चार स्थित मज़दूर मैदान में जमा हुए। जहाँ से जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए सभी प्रशासनिक भवन पहुँचे। जहाँ इन्हें रोकने के क्रम में होमगार्ड व सीआईएसएफ के जवानों के साथ नोक झोंक व धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद मेन गेट के सड़क पर सभी विस्थापित अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए और प्रबंधन के विरूद्ध नारेबाजी करने लगे। धरना कार्यक्रम की अध्यक्षता सुनील कुमार महतो तथा संचालन दुर्गा चरण महतो ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अप्रेंटिस ट्रेनिंग पूरा करने के बाद भी हम विस्थापितों की स्थिति दिनोंदिन बद से बदतर होती जा रही है। हमारी नौबत भूखे मरने की हो गयी है। बोकारो इस्पात प्रबंधन की टाल मटोल नीति के कारण विस्थापित डिप्रेसन के शिकार हो रहे हैं। हम क्या करें, हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है। उम्र सीमा समाप्त हो जाने के बाद अप्रेंटिस प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र हमारे लिए किसी काम का नहीं रहेगा। हम विस्थापित अपने हक व अधिकार की मांग को लेकर जब भी बीएसएल प्रबंधन के विरुद्ध आंदोलन करते हैं। जिला प्रशासन सकारात्मक वार्ता करवाने की बात बोल कर आंदोलन को समाप्त करवाने का काम करता है। परंतु वार्ता सकारात्मक होती नहीं है। परिणामस्वरूप अप्रेंटिस प्रशिक्षण पूरा कर चुके विस्थापित युवकों के नियोजन के लिए आवश्यक अधिकतम उम्र सीमा समाप्त होती जा रही है।

वहीं विस्थापित अप्रेंटिस संघ का अनिश्चितकालीन धरना के दूसरे दिन 21 अक्टूबर को भी जारी रहा। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत बीएसएल में नियोजन के लिए होने वाला स्किल टेस्ट पूरी तरह बाधित रहा। प्लांट जाने व आने वाली सड़क के साथ एचआरडी भवन के दोनों गेटों को भी जाम कर विस्थापित धरने पर बैठ गए। आंदोलन को देखते हुए बीएसएल प्रबंधन ने टेस्ट का स्थान एचआरडी भवन से परिवर्तित करते हुए सेक्टर चार स्थित सेल रिफ्रैक्टरी यूनिट में कर दिया। परंतु संघ के सदस्य वहाँ भी पहुँच गए और विरोध करने लगे। इस दौरान विस्थापितों एवं होम गार्ड के जवानों के बीच बहुत देर तक धक्का-मुक्की हुई। प्रबंधन की ओर से हरि मोहन झा ने विस्थापितों को समझाने का काफी प्रयास किया पर विस्थापित वहाँ पर भी धरने में बैठ गए और स्किल टेस्ट को बाधित रखा।

इधर एचआरडी भवन के गेट पर धरना में बैठे अमजद हुसैन ने कहा कि हम विस्थापितों को प्लांट ट्रेनिंग कराकर नियोजन देने की बात कही गयी थी। इसके तहत प्रबंधन ने विस्थापितों से आवेदन लेकर पहले अवार्डी के परपौत्र की छटनी की। छटनी के बाद बचे लगभग 7200 विस्थापितों की लिखित परीक्षा हुई, फिर इनकी सूची बनाकर डीपीएलआर से सत्यापित कराया गया, तथा एक परिवार से एक आदमी, जो उम्र में सबसे बड़ा हो, का चयन हुआ, अर्थात योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि उम्र के आधार पर लगभग 4200 विस्थापितों की सूची प्रबंधन ने तैयार की। इसमें से फिर तीन सूची बनाकर कुल 1500 विस्थापितों को ट्रेनिंग कराने की बात तय हुई। ट्रेनिंग इतना विलंब से शुरू हुआ कि खत्म होते होते नियोजन के लिए आवश्यक अधिकतम उम्र सीमा खत्म हो गई है। यानी स्किल्ड तो कर दिया परंतु कहीं नियोजन लेने लायक नहीं छोड़ा है।

अमजद काफी आक्रोश में कहते हैं कि वार्ता में प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ लेता है। ऊपर से प्लांट ट्रेनिंग कराने से पूर्व तीसरी सूची के विस्थापितों से कहा जा रहा है कि एफिडेविट करके देना होगा कि ट्रेनिंग पूरा होने के बाद भी बीएसएल में नौकरी के लिए आंदोलन या नारेबाजी नहीं कर सकेंगे। वे कहते हैं कि प्रबंधन जो तानाशाही रवैया अपनाते हुए असंवैधानिक कृत्य करने का प्रयास कर रहा है, हम इसी का विरोध कर रहे हैं। सब कुछ न्योछावर कर एशिया का सबसे बड़ा प्लांट खड़ा करने वाले विस्थापित भूखे मरे और दूसरे राज्य के लोग यहाँ आकर नौकरी करें, ये तो घोर नाइंसाफी है। पहले यहाँ के लोगों का नियोजन होगा, उसके बाद किसी और का।
21 अक्टूबर के धरना कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रमोद कुमार महतो ने की तथा संचालन कैसर इमाम ने किया। धरना कार्यक्रम में अरविंद कुमार, दुर्गा महतो, सोमनाथ मुखर्जी, मुबारक अंसारी, विकास प्रमाणिक, शाहबाज, विनोद सोरेन, किशोर, सुनील मोदी, सुंदर लाल, सद्दाम हुसैन, मुकेश, सुनील, प्रमोद, सुभाष, सचिन सोरेन, सुनील सिंह, गुलाम जिलानी, पानबाबू, अनिल, शिव प्रसाद सोरेन, राज रंजन, अमोध, चाणक्य, सुरेंद्र, राज कुमार, वरुण, जानकी, अंकित, कंचन, रूपेश, राजेन्द्र, महताब, उमेश, दीपक समेत सैकड़ो बेरोजगार विस्थापित अप्रेंटिस मौजूद थे।

संघ की मुख्य मांगे हैं —

  1. प्लांट ट्रेनिंग पूरा कर चुके सभी विस्थापित अप्रेंटिस को बीएसएल में अविलंब सीधे बहाल किया जाये।
  2. सभी विस्थापित अप्रेंटिस का प्लांट ट्रेनिंग के बाद बीएसएल में नियोजन सुनिश्चित किया जाए।
  3. सभी तरह के बहालियों में विस्थापितों के लिए अधिकतम उम्र सीमा को पूर्व की भांति 45 वर्ष किया जाए।
  4. तीसरी सूची तथा बाकी अन्य विस्थापितों का ट्रेनिंग अविलंब प्रारंभ करवाया जाए।
  5. तीसरी सूची के प्रशिक्षुओं से जो एफिडेविट मांगा जा रहा है वह असंवैधानिक है, इसे फौरन रद्द किया जाय।

कल 22 अक्टूबर को भी विस्थापित अप्रेंटिस संघ द्वारा प्लांट के मेन गेट को पूरी तरह से जाम कर दिया था। वहीं बीएसएल में नियोजन के लिए होने वाला स्किल टेस्ट के लिए आए अभ्यर्थियों को भी काफी परेशानी हुई, क्योंकि आन्दोलनकारी विस्थापितों ने उन्हें स्कील टेस्ट केन्द्र या यूं कहें इन्टरव्यू केन्द्र में जाने से रोक दिया।
बता दें कि बीएसएल आईटीआई किए हुए गैर- विस्थापितों के लिए नियोजन निकाला था, जिसमें झारखंड के बाहर के अभ्यर्थियों ने भी भाग लिया और उन्हीं का 21 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक इन्टरव्यू आयोजित था, जिसे विस्थापितों ने रोक दिया। इतना कुछ होने के बाद भी बीएसएल प्रबंधन द्वारा इनके आन्दोलन के आज तीसरे दिन भी कोई पहल नहीं की गई।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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