Saturday, June 3, 2023

बाघ का खौफ बरकरार, दो मई तक बंद रहेंगे स्कूल

देहरादून। उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में बाघों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के दर्जनों गांव में पिछले एक पखवाड़े से मचा बाघों का आतंक अभी भी चरम पर है। हालांकि बुधवार को इस इलाके से एक बाघ पकड़ा गया है। लेकिन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे इस इलाके में बाघों की संख्या अधिक होने के कारण ग्रामीणों को इनसे निजात नहीं मिल पा रही है। जिसके चलते बाघ प्रभावित गांवों में स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद रखे जाने की मियाद दो मई तक बढ़ा दी गई है।

मालूम हो कि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में अप्रैल माह के पहले पखवाड़े से बाघ का खौफ बना हुआ है। बाघ ने 13 और 15 अप्रैल को लगातार तीन ही दिन में दो ग्रामीणों पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया था। जिसके चलते बाघ के खौफ के चलते राज्य के इतिहास में पहली बार कर्फ्यू की जरूरत आ पड़ी। दो दर्जन गांवों में लगे नाइट कर्फ्यू के कारण खूंखार बाघ के डर से शाम होते ही घर के दरवाजे बंद होने लगे। छोटे बच्चों की सुरक्षा के लिए इन इलाकों के सभी स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्रों को भी बंद करने के आदेश दिए गए। इसके साथ ही क्षेत्र में धारा 144 भी लागू कर दी गई थी। बाघ को पकड़ने के लिए प्रभावित क्षेत्र में पिंजरा लगाने के अलावा उसे बेहोश करने के लिए भी वन विभाग की टीम तैनात कर दी गई थी। बाघ के आतंक की वजह से ग्रामीणों को दिन के समय भी अकेले आवाजाही न करने की हिदायत दी गई थी।

uttarakhand
उत्तराखंड के गांवों में पसरा बाघों का खौफ

एक बाघ को किया कैद

इलाके में जिलाधिकारी सहित वन विभाग की टीमों ने बाघ पकड़ने के लिए ग्राउंड जीरो पर ही डेरा डाल दिया था। लेकिन यह सारी कवायद बाघ की चालाकियों के सामने सफलता की परवान नहीं चढ़ पा रही थी। लेकिन बुधवार को रिखणीखाल के डल्ला गांव (लड्वासैंण) में वृद्ध को मौत के घाट उतारने वाले हमलावर बाघों में से एक को वन विभाग की टीम ने ट्रैकुलाइज करने में सफलता प्राप्त कर ली। ट्रैकुलाइज करने के बाद वन विभाग की टीम इस बाघ को पिंजरे में डालकर पहले अपने साथ मैदावन रेंज कार्यालय ले गई, जिसके बाद रातों रात इस बाघ को कार्बेट टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया गया।

वन विभाग से शिकायत

ग्राम पंचायत जुई के प्रधान राजपाल सिंह के अनुसार गाडियूंपुल में बाघ दिखने पर वनकर्मियों की टीम ने इस बाघ को जुई पापड़ी गांव में उनके घर से करीब 100 मीटर दूर झाड़ियों में टैंकुलाइज किया था। लैंसडाउन विधानसभा के रिखणीखाल और नैनीडांडा तहसील के गांवों में कई मवेशियों को अपना निवाला बनाने के बाद इंसानी जाने लेने वाले बाघों के बारे में ग्रामीणों का कहना था कि इलाके में कई बाघों की आवाजाही बनी हुई है। लेकिन विभाग बाघों को मारने की बजाए उन्हें पकड़ने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। ग्राम प्रधान राजपाल का कहना है कि बाघ का मूवमेंट लगातार गांव में हो रहा है। लेकिन वनकर्मी उनकी बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। विभाग को शायद अभी भी किसी बड़े हादसे का इंतजार है।

बाघ के डर से भागते मवेशी

दो मई तक बढ़ी स्कूल बंदी की मियाद

इधर बाघ की लगातार बढ़ती सक्रियता के चलते ग्रामीणों की सुरक्षा के लिहाज से जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने प्रभावित क्षेत्रों के स्कूलों में 4 दिन के अवकाश की घोषणा कर दी है। आदेश के जारी होने के बाद 2 मई तक स्कूल बंद रहेंगे। जिलाधिकारी ने तहसील रिखणीखाल के ग्राम डल्ला पट्टी,पैनो, मेलधार, क्वीराली, तोल्यू, गाड़ियू, जूही, द्वारी, कांडा कोटडी क्षेत्र अंतर्गत आने वाले समस्त विद्यालय आंगनवाड़ी केंद्रों में दिनांक दो मई तक 4 दिनों का अवकाश घोषित किया है। बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो इसके लिए इस अवधि में बाघ प्रभावित ग्रामों में स्थित समस्त विद्यालयों में कक्षाएं ऑनलाइन के माध्यम से संचालित की जाएंगी।

बच्चे को भेजा रिश्तेदारी में

एक तरफ प्रशासन जहां बाघ प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144, नाइट कर्फ्यू, स्कूल बंदी जैसे टोटकों को आजमा रहा है तो दूसरी ओर अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित लोगों ने इन गांवों से पलायन शुरू कर दिया है। कई परिवार अपने बच्चों के साथ कोटद्वार, देहरादून, ऋषिकेश, रामनगर जैसे सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर गए हैं। जो परिवार मजबूरी के चलते बाहर नहीं जा पा रहे हैं। उन्होंने अपने बच्चों को अपनी रिश्तेदारियों में भेज दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि दहशत के साए में जी रहे उनके बच्चों के व्यवहार में घरों में कैद होने के कारण परिवर्तन आ रहा है। खेलकूद के अभाव में वह चिड़चिड़ेपन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में बाघ का आतंक न थमने तक सुरक्षा के लिहाज से उनके बच्चे रिश्तेदारी में ही रह लेंगे।

(देहरादून से सलीम मलिक की रिपोर्ट।)

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