पश्चिमी राजस्थान से शुरू हुआ टिड्डी आक्रमण किसानों की फसलों को चौपट करते हुए हरियाणा और पंजाब तक पहुंच चुका है। टिड्डी दल ने लाखों किसानों की अरबों रुपये की फसलें चौपट कर दी हैं और करती ही जा रही हैं। देश की सत्ता और मीडिया हिन्दू-मुस्लिम पाकिस्तान के बूते चुनाव में जीतने-जिताने में व्यस्त है।
टिड्डी का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ा और विस्तार होता गया। यह टिड्डी दल बीकानेर से होते हुए हरियाणा तक पहुंच गया। जब रोते-बिलखते किसानों के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया में आने लगे तो नेताओं के बयान को होश आया और उन्होंने बयान देना शुरू किया।
राजस्व मंत्री हरीश चौधरी से लेकर सीएम अशोक गहलोत तक बाड़मेर-जैसलमेर का दौरा करके किसानों की जेबें तलाशते हुए हंसी अट्टहास करके निकल लिए। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी खुद बाड़मेर से सांसद हैं, इसलिए उन्होंने भी राजनीतिक रस्म अदा की। राजस्थान की राजनीति में तीसरे विकल्प के रूप में भूमिका तलाश रहे हनुमान बेनीवाल ने भी टिड्डी नियंत्रण को लेकर बरती जा रही कोताही को लेकर जरूर देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में जोरदार तरीक़े से उठाया है, जो काबिले तारीफ है।
विडंबना देखिए, असल में जमीन पर आज भी किसान उसी बदतर हालात में बिलख रहे हैं। बीकानेर के एक किसान ने एक पत्रकार को टिड्डी द्वारा हुए नुकसान को अपने खेत में ले जाकर दिखा दिया तो कृषि अधिकारी ने किसान के ऊपर राजकार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज करवा दिया।
मीडिया विजिल और न्यूज़ लांड्री न्यूज़ वेबसाइट पर खबरें छपीं, मगर न राज्य सरकार का सिस्टम सक्रिय हुआ और न केंद्र सरकार का। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि की मार के बाद टिड्डी की यह मार किसानों को बर्बाद करती जा रही है। मगर सत्ता-सियासत के लिए किसान कोई मुद्दा नहीं हैं।जब चुनाव आएंगे तो खालिस किसान नेता और किसान मसीहा तैयार हो जाएंगे और किसानों को एकत्रित करके किसी बड़ी दुकान पर बेच आएंगे।
“थके हारे का श्याम हमारा” वाला सिस्टम जरूर सक्रिय हुआ है। यह सिस्टम इतना बेशर्म और नीच प्रवृति का है कि मुर्दों को भी नोच-नोचकर खा जाता है। मुर्दों को जलाने के बाद भी श्राद्ध के नाम पर उनकी पीढ़ियों को नोचता रहता है। इसके लिए हारा, कमजोर मनोदशा के स्तर पर पहुंचा इंसान ही सटीक शिकार होता है, इसलिए टिड्डी को नियंत्रित करने का पाखंडियों ने मंत्र भी पेश कर दिया है।
टिड्डी को बांधने, बैठाने और उड़ाने का सारा प्रबंध है यहां। जवानों के ट्रेनर की तरह है एकदम। राज्य सरकार के अधिकारियों ने भी कह दिया है कि चुपचाप मंत्रोच्चार करवाओ पंडितों से। ज्यादा चूं-चपड़ किया, नुकसान-नुकसान चिल्लाए, पत्रकारों को खेत दिखाए तो मुकदमे में अंदर कर देंगे।तो सुनो किसानों! न गहलोत सरकार के पास तुम्हें देने को कोई राहत का प्लान है और न केंद्र सरकार के पास है। हजारों सालों से तुम्हे लूट रहा सिस्टम जरूर तुम्हारे बीच पिटारा लेकर खड़ा है। तुम्हारी मर्जी, रोते रहो…. बिलखते रहो…. मंत्रोचार करवाते रहो….. तुम्हारा है कौन जो तुम्हारी बात करेगा।
देश का बजट बना। बनाने वालों के नाम और इनका बैकग्राउंड आंखे खोल कर पढ़ लीजिए। नहीं पढ़ पा रहे हों तो चश्मा लगा लीजिएं। अनपढ़ हों तो बच्चे से पढ़वा लीजिए। आगे के लिए पाली जा रही गलतफहमियां भी दूर हो जाएंगी। हे अन्नदाता! बार-बार लिखने की परेशानियों से हमें भी मुक्त कर दीजिए। लिख-लिख कर अंगूठा सुन्न पड़ गया है।
मदन कोथुनियां