तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली के आसपास की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में झारखंड के जमशेदपुर समते कई अन्य इलाकों से सैकड़ों लोग दिल्ली पहुंचे हैं। झारखंड के विभिन्न जन संगठनों, सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में किसान आंदोलन एकजुटता मंच बनाया गया है।
किसान आंदोलन एकजुटता मंच झारखंड के दीपक रंजीत ने बताया कि किसान आंदोलन को झारखंड के गांव से लेकर शहर तक पहुंचाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। इस आंदोलन को मजबूत करते हुए जमशेदपुर झारखंड में कई चौक-चौराहों पर किसान पंचायत का आयोजन किया गया और किसानों के आह्वान पर 8 दिसंबर 2020 को जमशेदपुर झारखंड में ऐतिहासिक बंद का आयोजन किया गया था। इसमें तमाम अमन पसंद लोगों की शिरकत रही।
21 जनवरी 2021 को जमशेदपुर में एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया और 26 जनवरी 2021 को आमबगान से लेकर साकची गुरुद्वारा से होते हुए डिमना बालीगुमा तक ऐतिहासिक ट्रैक्टर परेड निकाला गया था। इसमें सैकड़ों ट्रैक्टर, कार और हजारों मोटरसाइकिल शामिल थीं।
झारखंड के तमाम जन संगठनों ने पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की तर्ज पर झारखंड में भी किसान महापंचायत लगाने का फैसला किया है। जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने 5 फरवरी को गाजीपुर बॉर्डर जाकर राकेश टिकैत से मुलाकात की और आंदोलन को समर्थन दिया। साथ में धरती आबा बिरसा मुंडा का मोमेंटो भी दिया गया।
6 फरवरी को मंच के लोगों ने सिंघु बॉर्डर जाकर वहां के प्रदर्शनकारी किसानों से मुलाकात की और आंदोलन को मजबूत करने के संकल्प के साथ आंदलन को समर्थन दिया। सभी संगठनों ने एलान किया है कि जब तक यह काला कानून निरस्त नहीं हो जाता है, तब तक यह आंदोलन हर दिन मजबूती के साथ चलता रहेगा।
दिल्ली गए जन संगठनों के प्रतिनिधियों में बाबू नाग, सुमित राय, दीपक रंजीत, भगवान सिंह, गीता सुंडी, तीर्थ नाथ आकाश, सुनील हेम्ब्रम, मुन्ना बड़ाइक, राजकिशोर महतो, महाबीर मुर्मू, गुरमीत गिल, प्रिंस सिंह, अजित तिर्की आदि लोग शामिल रहे।
(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)
This post was last modified on February 6, 2021 7:59 pm