जगदलपुर। “यदि मोदी सरकार की नज़रों में देश के 130 करोड़ लोगों की नागरिकता संदिग्ध है, तो उनके वोटों से चुनी गई यह सरकार भी अवैध है और इसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है।”
यह विचार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने जगदलपुर में संयुक्त मोर्चा द्वारा आयोजित सीएए-एनआरसी विरोधी रैली को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात ही नहीं है और यदि संघ संचालित भाजपा सरकार अपने बहुमत के दम पर ऐसा कोई कानून बनाती भी है, तो यह असंवैधानिक है और इसे मानने के लिए देश की जनता और राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त मोर्चा के बैनर तले आम जनता के विभिन्न तबकों और समुदायों ने नागरिकता कानून के खिलाफ विशाल रैली निकाली। इसमें आदिवासियों, दलितों, पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम समुदाय के लोगों की भारी हिस्सेदारी रही। इस सभा में माकपा नेता ने कहा कि यह देश गांधी, फुले, अंबेडकर, भगतसिंह, सुभाष, अशफाकउल्ला और उधमसिंह का है, न कि अंग्रेजों की चापलूसी करने वाले संघी गिरोह का। हमारे देश के स्वाधीनता संग्रामियों ने धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद रखी है। इसलिए गोडसे-सावरकर की नफरत की राजनीति नहीं चलेगी और चलने नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी और इस देश के मूल निवासियों से अपनी नागरिकता का प्रमाणपत्र मांगा जाएगा, यह देश की जनता को स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस देश की 80 करोड़ जनता के पास न तो अपना और न ही अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र है। नागरिकता कानून के अनुसार ऐसे गैर-मुस्लिम लोगों का दर्जा शरणार्थी का होगा, जबकि मुस्लिमों को घुसपैठिया करार दिया जाएगा।
यह देश की जनता को सांप्रदायिक आधार पर बांटने और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की तैयारी है। लेकिन देश की आम जनता की एकता ने संघी गिरोह के मंसूबों को विफल कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब यह लड़ाई संविधान के मूल धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बचाने की लड़ाई में बदल गई है।
आम सभा में केरल विधानसभा में नागरिकता कानून को न मानने और नागरिकता और जनसंख्या रजिस्टर बनाने की प्रक्रिया पर रोक लगाने का प्रस्ताव पास करने के लिए केरल सरकार को बधाई दी गई और ऐसा ही प्रस्ताव छत्तीसगढ़ सरकार से भी पारित करने की मांग की गई।
इस संदर्भ में माकपा नेता ने स्पष्ट किया कि जनगणना और जनसंख्या रजिस्टर बनाना दोनों अलग चीज है, लेकिन मोदी सरकार ने किसी नागरिक के माता-पिता के जन्म स्थान और आधार कार्ड की जानकारी जोड़कर दोनों प्रक्रिया को मिला दिया है। एनपीआर प्रथम चरण है एनआरसी का और एनपीआर में दी गई जानकारी का ही एनआरसी में सत्यापन किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार इस असलियत को छुपा रही है।
(रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)