Thursday, April 25, 2024

लोकतंत्र बचाओ समागम: बहुसंख्यकवाद की राजनीति में दलितों-आदिवासियों का बढ़ा उत्पीड़न

रांची। देश की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को समझने और बदलने के लिए देश भर में बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों में विचार-विमर्श का दौर चल रहा है। इसी कड़ी में झारखंड की राजधानी रांची के बगईचा में दो-दिवसीय ‘लोकतंत्र बचाओ समागम’का आयोजन किया गया, जिसमें झारखंड, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल के सामाजिक कार्यकर्ता व जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन ‘लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान’व ‘झारखंड जनाधिकार महासभा’ने किया था।

समागम के उद्घाटन सत्र में जेएनयू के पूर्व शिक्षक व लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के संयोजक आनंद कुमार, पूर्व विधायक बहादुर उरांव व आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता दयामनी बरला ने अपने विचार रखे।

लोकतंत्र बचाओ समागम में कार्यकर्ता

आनंद कुमार ने कहा कि लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के दो प्रमुख लक्ष्य हैं। पहला, तात्कालिक लक्ष्य है, वर्तमान देश विरोधी, अलोकतांत्रिक भाजपा को आगामी आम चुनाव में सत्ता से बाहर करना। दूसरा, दूरगामी उद्देश्य है, भारतीय संविधान द्वारा स्थापित “आइडिया ऑफ इंडिया” को सरंक्षित कर लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी राष्ट्र को विकसित करना। लोगों को बुनियादी मुद्दों-दवाई, पढ़ाई, कमाई और महंगाई पर संगठित करना होगा।

दयामनी बरला ने कहा कि पूरे देश में भाजपा की जन विरोधी नीतियों से आदिवासी-दलित शोषित हैं। वर्तमान में झारखंड में जन मुद्दों जैसे-1932 खतियान आधारित डोमिसाइल, भाषा आधारित पहचान आदि पर कई समूह व संगठन संघर्षरत हैं। भाजपा को हराने के लिए इन सब समूहों व संगठनों को साथ आना होगा।

बहादुर उरांव ने कहा कि भाजपा ‘फूट डालो, राज करो’ की नीति पर चल रही है। चाहे हिन्दू-मुसलमान हो, सरना-ईसाई आदिवासियों के बीच हो या कुड़मी- आदिवासियों के बीच हो।

कार्यक्रम में कहा गया कि भारत की संवैधानिक अवधारणा को बदल कर हिन्दू राष्ट्र बनाने की पहल हो रही है। मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, लोकतांत्रिक आंदोलनकारियों तथा भाजपा विरोधी दलों पर दमन चल रहा है। सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल विपक्षियों को डराने के लिए किया जा रहा है।

धार्मिक बहुसंख्यकवाद मुस्लिमों, ईसाइयों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं का उत्पीड़न कर रहा है वहीं मेहनतकश वर्ग के अधिकारों पर लगातार हमला हो रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और मनरेगा में कटौती कर मोदी सरकार ने मेहनतकश वर्ग, मज़दूर और किसानों पर सीधा हमला किया है।

मोदी सरकार कुछ चंद कॉर्पोरेट घरानों अडानी-अंबानी के लिए देश के संसाधनों व कंपनियों को एक-एक करके बेच रही है। आदिवासियों के जल, जंगल, ज़मीन, खनिज की लूट और तीव्र हो गयी है।

समागम में यह भी चिंहिंत किया गया कि दलित-पिछड़े व आदिवासियों में भाजपा का समर्थन बढ़ रहा है। गैर-भाजपा दल भी भाजपा-आरएसएस के संविधान-विरोधी हिंदुत्व नीति का विरोध करने की बजाय उसे अपना रहे है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने पर विस्तार से चर्चा हुई। विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र और लोकसभा सीटों का विस्तार से विश्लेषण किया। और माना गया कि भाजपा द्वारा लोगों को जनमुद्दों से भटका कर धार्मिक बहुसंख्यकवाद में फंसाया जा रहा है।

समागम के अंत में लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान व झारखंड जनाधिकार महासभा एवं सभी प्रतिभागियों द्वारा यह आह्वान किया गया कि लोकतंत्र को बचाने के लिए 2024 में भाजपा को हराना जरूरी है। गैर भाजपा दलों से आह्वान किया गया कि वे सुनिश्चित करें कि विपक्ष के वोट का बिखराव न हो एवं उनकी ओर से साझा उम्मीदवार दिया जाए। यह भी आह्वान किया गया कि गैर भाजपा दल जन मुद्दों के पक्ष में एवं धार्मिक बहुसंख्यकवाद का विरोध करते हुए अपना राजनीतिक अभियान चलाएं।

सभी प्रतिभागियों की ओर से दलित, आदिवासी व पिछड़े समुदायों के साथ राजनीतिक दलों से भी अपील की गई कि वे संगठित होकर भाजपा का विरोध करें एवं आतंरिक विभाजन से बचें। और इस लोकतंत्र को बचाने की मुहिम में साथ आएं। समागम का संचालन अफ़ज़ल अनीस, अम्बिका यादव, ज्योति बहन, कुमार चन्द्र मार्डी, कुमुद, किरण, मंथन, प्रवीर पीटर और सिराज दत्ता ने किया।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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