Friday, April 19, 2024

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर आइपीएफ का बयान-‘विपक्षी एकता के नाम पर भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं’

लखनऊ। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसआर दारापुरी ने दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर एक बयान जारी कर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। दारापुरी ने कहा कि विपक्षी एकता के नाम पर उसकी हर कार्रवाई का समर्थन नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार द्वारा एजेंसियों के दुरुपयोग के हम समर्थक नहीं है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने मुझ से कहा है कि ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट ने मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी के मामले में इस तरह की टिप्पणी क्यों की है? इस संदर्भ में स्पष्ट करना है कि हमारी टिप्पणी वाजिब और जरूरी है।

पहली बात यह है कि आइपीएफ प्रतिबद्धता के साथ ईडी, सीबीआई तथा इनकम टैक्स जैसी संस्थाओं के दुरुपयोग के खिलाफ बराबर मुखर रहा है और इस संदर्भ में भी हमारी स्थिति में कोई फर्क नहीं आया है। परंतु दिल्ली सरकार की आबकारी नीति और भ्रष्टाचार के हम बिल्कुल समर्थक नहीं हैं। इस प्रकार की संस्थाओं के दुरुपयोग के खिलाफ हमारा प्रतिवाद जारी रहेगा और इस केस में भी हमारा प्रतिवाद है।

लेकिन जिस ढंग से आम आदमी पार्टी इसका विरोध यह कहते हुए कर रही है कि मोदी केजरीवाल से डरे हुए हैं यह बड़बोलेपन के सिवाय कुछ नहीं है। विपक्षी दलों ने भी इस तरह से इसका विरोध किया है कि मानों अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी भाजपा और आरएसएस की फासीवादी राजनीति के विरुद्ध लड़ रहे हैं। यह कहां तक सच है?

सीएए/एनआरसी आंदोलन के दौर में और बाद में दिल्ली दंगे के दौरान जिस तरह की इस पार्टी ने भूमिका निभाई है, वह सब के सामने स्पष्ट है। इसके बाद इनके मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने 14 अक्तूबर को दीक्षा दिवस के अवसर पर डा. अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं परंपरागत ढंग से ली थी तो केजरीवाल ने देश की जनता को बिना कोई कारण बताए गौतम का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। दलित, बौद्ध और नागरिक समाज किस मन:स्थिति से गुजरा है, इस बात की परवाह दिल्ली सरकार के मुखिया को बिल्कुल नहीं है।

यह नोट करने लायक है कि हमारे देश में फासीवाद की प्रेरक ताकत नई अर्थ नीति और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय पूंजी है, परंतु आम आदमी पार्टी ने इस संबंध में अपनी स्थिति आज तक स्पष्ट नहीं की है।

यह सर्वविदित है कि फोर्ड फाउंडेशन से इस पार्टी के मुखिया का क्या संबंध रहा है। फिर भी हम भाजपा के हर हमले के खिलाफ दृढ़ता से खड़े होते हुए भी जैसे तैसे विपक्षी एकता और उसकी हर कार्रवाई का समर्थन नहीं कर सकते। यह ध्यान देने लायक है कि विपक्षी एकता के नाम पर विपक्ष की सरकारों की हर जन विरोधी कार्रवाई का समर्थन फासीवाद को ही मजबूत करता है। वास्तव में जन मुद्दों और नीतिगत विषयों पर खड़े हो कर ही हम फासीवाद को हरा सकते हैं।

यह भी नोट कर लिया जाना चाहिए कि नई अर्थ नीति से देश में ढेर सारे क्षेत्रीय तानाशाह पैदा हो रहे हैं और वे भाजपा की तरह ही अपनी ही जनता पर रोजगार और शिक्षा का अधिकार मांगने पर बुलडोजर चला रहे हैं। क्षेत्रीय पार्टियों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बगैर खड़े हुए भारत को फासीवाद के चंगुल से बचाया नहीं जा सकता। भाजपा विरोधी दलों की सरकार के साथ संघर्ष और एकता की दिशा ही लोकतान्त्रिक आंदोलन द्वारा अपनाई जानी चाहिए।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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