लखनऊ। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (AIPF) ने उस जनमत के साथ अपने को जोड़ा है जो यह मानता है कि आज की तारीख में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजराइल का जो हमला है वह इजराइल के आत्मरक्षा के लिए कतई नहीं है। दरअसल यह इजराइल के शासकों द्वारा फिलिस्तीनियों के खिलाफ चलाए जाने वाला जनसंहार ही है। संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता इसी में निहित है कि वह बड़े पैमाने पर हो रही नागरिकों की हत्या पर रोक लगाए और वहां पर युद्ध विराम घोषित कराए।
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के महासचिव डॉ परमानन्द प्रसाद पाल ने बयान जारी कर कहा है कि इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच में चल रही लड़ाई को यहूदी बनाम मुसलमान के बीच में हो रही लड़ाई के रूप में पेश करना गलत है। दुनिया में ढेर सारे यहूदी फिलिस्तीनियों के विरुद्ध इजराइल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार की नीति के आलोचक रहे हैं और आज भी उस सरकार की हमलावर नीति की आलोचना करते हैं व पूरे तौर पर युद्ध विराम के पक्षधर हैं।
उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि ढ़ेर सारे मुस्लिम देश अंदर से फिलिस्तीनियों के स्वतंत्र राज्य अधिकार के पक्ष में नहीं रहे हैं। यह अलग बात है कि वहां की जनता फिलिस्तीनियों के साथ खड़ी हुई है। जब भी मौका मिला है तो मिस्र और जार्डन जैसे देशों ने फिलिस्तीनियों की गाजा और वेस्ट बैंक की जमीन पर कब्जा कर लिया है।
डॉ परमानन्द प्रसाद पाल ने कहा कि इस क्षेत्र में स्थाई शांति और न्याय के लिए यह जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के 1948 के प्रस्ताव- दो राज्य के सिद्धांत के अनुरूप फिलिस्तीनियों को एक स्वतंत्र, संप्रभु राष्ट्र के बतौर गठित होने दिया जाए और इसराइल अपने द्वारा बनाई गई अवैध कालोनियों को तुरंत वेस्ट बैंक से हटाए।
उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट भारत सरकार से यह अपेक्षा करता है कि वह फिलिस्तीन राष्ट्र के समर्थन में भारत के पक्ष को जारी रखेगी और वहां शांति स्थापित करने में अपनी भूमिका दर्ज कराएगी।
(ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट द्वारा जारी।)
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