Saturday, April 20, 2024

झारखंडः हैंडपंप में पानी नहीं और गांव खुले में शौच मुक्त घोषित!

झारखंड में भाजपा सरकार के कार्यकाल में ऐसे कई कार्य हुए हैं, जो कागज पर तो खुशनुमा दिखते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत काफी दुखद है। कई जिले खुले में शौच मुक्त घोषित हैं, लेकिन उस जिले के कई गांवों में एक भी शौचालय नहीं है। पंचायत कैशलेस घोषित है, लेकिन सभी जगह कैश से ही काम हो रहे हैं। कागज में खुशनुमा दिखने वाले जिलों के उपायुक्तों (डीसी) को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से इनाम भी मिल चुके हैं और उनकी किस्मत भी बदल गई है, लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी काफी दुखदायी ही है।

दुमका जिला के गोपीकांदर प्रखंड के कुशचिरा पंचायत के अन्तर्गत ‘गुम्मापहाड़ी’ गांव के ग्रामीणों ने बैठक कर प्रेस रिलीज जारी कर अपने गांव की हकीकत बताई है, जो सरकारी योजनाओं की औपचारिकता ही दर्शाती है। इस गांव में पीने के पानी का घोर संकट है। इस गांव में पहाड़िया, संताल और घटवार जाति के ग्रामीण रहते हैं। इस गांव में लगभग 200 परिवार हैं, जिसकी जनसंख्या लगभग एक हजार दो सौ है। गांव में कुल चार टोला हैं, सभी टोला करीब आधा से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।

पहाड़िया टोला में करीब 115 घर हैं। यहां पीने के पानी के लिए चार चापाकल और एक कल्याण विभाग द्वारा सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम लगा हैं। इसमें रामलाल गृह, जगेश्वर देहरी, सुखदेव देहरी के घर के सामने का चापाकल करीब एक वर्ष से और ज्ञानदेव देहरी के घर के सामने का चापाकल करीब तीन वर्ष से ख़राब है। सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम ठीक काम कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम से पहाड़िया टोला को प्रयाप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है और ठंड के मौसम में सूर्य का प्रकाश ठीक से नहीं मिलने के कारण बहुत कम पानी निकलता है। सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम से पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं होने और सभी चापाकल ख़राब होने के कारण हम ग्रामीण झरना/डोभा का प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं।

ग्रामीणों ने कहा कि इस टोला में एक और सोलर टंकी, नई बोरिंग कर लगाई गई थी, लेकिन ब्लॉक वाले पुन: यह कहकर सोलर टंकी को उठा ले गए कि यह दूसरे गांव का है, जो गलती से इस टोला में लगा दिया गया था। पहाड़िया टोला के ही करीब 18 घर आधा किलोमीटर के दूरी में हैं। यहां कोई भी चापाकल नहीं है। यहां के ग्रामीण सिंचाई कुआं से अपनी प्यास बुझाते हैं। इन ग्रामीणों की मांग है कि यहां दो नये डीप बोरिंग कर चापाकल लगाए जाएं।

घटवार (रॉय) टोला में करीब 21 घर हैं। यहां उप्र विद्यालय को मिला कर कुल तीन चापाकल हैं, जिसमें से सुनील कुमार मरांडी के घर के सामने का चापाकल करीब एक वर्ष से ख़राब है, उप्र विद्यालय का चापाकल बहुत देर चलाने के बाद गंदा और कम पानी देता है और मरांग हेंब्रम के घर के सामने का चापाकल चार-पांच बाल्टी पानी देता है। उसके बाद चलाने से गंदा पानी निकलता है।

संताल टोला में करीब 50 घर हैं। इस टोला में आंगनबाड़ी लेकर कुल तीन चापाकल हैं, जिसमें आंगनबाड़ी का चापाकल करीब एक वर्ष से, सोनोती मरांडी के घर के सामने का चापाकल करीब तीन वर्ष से ख़राब है और सुशील मुर्मू के घर के सामने का चापाकल करीब एक वर्ष से कम पानी देता है। संताल टोला में एक वर्ष पूर्व आंगनबाड़ी और मेकाइल के घर के सामने नई बोरिंग की गई थी, लेकिन अब तक उसमें हैंडल/हेड नहीं लगाया गया है।

बेड़ा टोला में चापाकल ठीक है। ग्रामीणों का कहना है कि पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं होने के कारण सरकार द्वारा बनाए गए शौचालय का उपयोग भी नहीं कर पा रहे हैं और गंदा और प्रदूषित पानी पीने से अक्सर बीमार होने का डर बना रहता है। ग्रामीणों द्वारा ख़राब चापाकल की मरम्मत के लिए जल सहिया एलबिना देवी के माध्यम से मुखिया और प्रखंड विकास पदाधिकारी, गोपीकांदर को लिखित आवेदन दिए कई महीने हो गए हैं, लेकिन अब तक चापाकल की मरम्मत नहीं की गई है। पूछने पर कहा जाता है कि चापाकल मरम्मत के लिय फंड नहीं आया है।

ग्रामीणों ने उपायुक्त, दुमका से मांग की है कि गांव के सभी चापाकल की जल्द मरम्मत करवाई जाए ताकि उप्र विद्यालय के बच्चों के साथ ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए दिक्कत न हो और सभी टोला में सोलर टंकी लगाई जाए। पहाड़िया टोला के ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम, जो इस टोला में अधिष्ठापित है, उसे बिजली से चलाने की व्यवस्था की जाए। इस मौके पर रामला गृह, लक्ष्मी देवी, विणा देवी, एलबिना देवी, लखी देहरिन, बसंती गृहण, भवानंद देहरी, सिला देवी, भीम कुमार देहरी, राम मुर्मू, परमेश्वर टुडू, पाउल टुडू, होपनी हेम्ब्रोम, उषा मुर्मू, मकलू हेम्ब्रम, सुनील कुमार मरांडी, विनीता देवी, जागेश्वर देहरी, रंजन देहरी, रामनाथ गृह, अनीता देवी, सुमित्रा देवी, हेमंती देवी आदि मौजूद थे।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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