Saturday, April 20, 2024

निरीह किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज के बाद झूठ से गलती छिपाने की फितरत

उन्नाव में निरीह किसानों पर पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज ने अंग्रेज सरकार की पुलिस को भी पीछे छोड़ दिया है। मुआवजे की मांग कर रहे किसानों को पुलिस ने बेरहमी से दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। महिला, बुजुर्गों और विकलागों को भी पुलिस ने नहीं बख्शा। यही नहीं योगी सरकार की पुलिस ने लोगों को पीटकर पुलिस की जय बोलने को भी मजबूर किया। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (UPSIDC) की ट्रांस गंगा सिटी परियोजना के तहत शंकरपुर में किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई थी। किसान उसी जमीन के मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

सरकार ने 2045 किसानों की भूमि ली थी। प्रशासन का कहना है कि 1925 किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है। 134 किसानों का मुआवजा अभी भी बचा है। इन जमीनों को मुआवजा अब तक इसलिए नहीं मिल पाया है क्योंकि इनकी जमीनों के मालिकाना हक को लेकर विवाद था। 2001 में किसानों को इस जमीन के एवज में 1.5 लाख रुपये के हिसाब से मुआवजा दिया गया था। फिर 2007 में लगभग पांच लाख रुपये बढ़ा हुआ मुआवजा दिया गया। 2012 में एक्सग्रेसिया के तौर पर किसानों को तकरीबन सात लाख रुपये प्रति बीघा मुआवजा मिला। शर्तों के तहत किसानों को जमीन के एवज में छह फीसदी जमीन विकसित इलाके में दी जानी थी।

इस मामले में किसान महासभा ने मौके पर जाकर जांच की है। महासभा ने लखनऊ में जांच रिपोर्ट जारी की है। जांच दल ने पाया है कि उन्नाव में जमीन अधिग्रहण कानून का पालन सही तरीके से नहीं किया गया है। किसानों को उचित मुआवजा भी नहीं दिया गया। किसानों की भूमि का चार गुना मुआवजा देने की मांग कानूनन जायज है।

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव कुशवाहा के नेतृतव में किसानों से मिलने जांच दल गया था। उन्होंने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण की इस पूरी प्रक्रिया में किसानों से सहमति नहीं ली गई। किसानों के परिवार को नौकरी देने और विकसित जमीन पर 16 प्रतिशत जमीन देने के वादे से अब सरकार मुकर रही है। उन्होंने सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को 12.51 लाख प्रति बीघा मुआवजा देने की बात कह रही है, जबकि किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ 5.51 लाख रुपये बीघा मुआवजा दे रही है। खास बात यह है कि वहां जमीन का बाजार मूल्य 50 लाख रुपये बीघा चल रहा है। 

उन्होंने बताया कि किसानों को योजना में 16 प्रतिशत विकसित जमीन देने का वादा किया गया था, लेकिन अब उन्हें 10 फीसदी भूमि नहीं दी जा रही है और इसके बदले सात लाख रुपये अतिरिक्त किसानों को दिए गए हैं। अब बाकी बची छह प्रतिशत भूमि भी नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार विकसित जमीन के बदले दी गई इस सात लाख रुपये की राशि को भी मुआवजा बता कर झूठा प्रचार कर रही है।

किसान महासभा के जांच दल ने कहा कि किसान शंकर सराय में पिछले ढाई साल से धरने पर बैठे हैं। मगर योगी सरकार के पास किसानों से बात करने की फुरसत नहीं है।

किसान नेताओं ने बताया कि घटना के समय एक प्रोफेसर डॉ. वीएम पाल को पीट-पीट कर पुलिस की जय बोलने को मजबूर किया गया। 60 साल के विकलांग किसान सुशील त्रिवेदी को बेरहमी से पीटा गया। किसानों की 100 से अधिक मोटर साइकिलों को जेसीबी से रौंद दिया गया। बुलिस की बर्बर कार्रवाई में 40 से ज्यादा किसान घायल हैं। 15 से ज्यादा किसान गिरफ्तार किए गए हैं।

इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह है कि पुलिस बर्बता का शिकार किसानों पर ही दो-दो एफआईआर भी दर्ज की गई हैं। पहला मामला यूपीएसआईडीसी की तरफ से दर्ज कराया गया है, जिसमें किसानों के ऊपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने उन पर हमला किया और एक जेसीबी तोड़ दी। इसमें दो लोगों के घायल होने की बात कही गई है। दूसरा मामला पुलिस की तरफ से दर्ज कराया गया है। इसमें किसानों पर मारपीट का आरोप है। पुलिस ज्यादती का शिकार किसानों की तरफ से फिलहाल कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।

ग्राउंड रिपोर्ट: बढ़ने लगी है सरकारी योजनाओं तक वंचित समुदाय की पहुंच

राजस्थान के लोयरा गांव में शिक्षा के प्रसार से सामाजिक, शैक्षिक जागरूकता बढ़ी है। अधिक नागरिक अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण आर्थिक कमजोरी के बावजूद हुई है, कुछ परिवार अभी भी सहायता से वंचित हैं।

Related Articles

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।

ग्राउंड रिपोर्ट: बढ़ने लगी है सरकारी योजनाओं तक वंचित समुदाय की पहुंच

राजस्थान के लोयरा गांव में शिक्षा के प्रसार से सामाजिक, शैक्षिक जागरूकता बढ़ी है। अधिक नागरिक अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण आर्थिक कमजोरी के बावजूद हुई है, कुछ परिवार अभी भी सहायता से वंचित हैं।