Saturday, April 20, 2024

लोन आधारित शिक्षा व्यवस्था है नई शिक्षा नीति: आइसा

रामनगर। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की पहल पर “नई शिक्षा नीति 2020” पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। नगरपालिका सभागार रामनगर में संपन्न हुई गोष्ठी की शुरुआत सांस्कृतिक टीम उज्यावक दगडी की ज्योति फर्त्याल, प्राची बंगारी, कोमल सत्यवली, हिमानी बंगारी की टीम द्वारा प्रस्तुत गीत, “आ गए यहां जवां कदम” के साथ साथ अनेकानेक अन्य गीतों से हुई।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता आइसा के राष्ट्रीय महासचिव प्रसेनजीत रहे। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि, “नई शिक्षा नीति हमारे देश में शिक्षा को मुनाफे की वस्तु बना देने पर आमादा है इसीलिए अनुदान आधारित शिक्षा को खत्म करके लोन आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने का काम केंद्र की नई शिक्षा नीति का मुख्य एजेंडा है। इसी के तहत यूजीसी को खत्म किया जा रहा है और उसकी जगह एचईएफए को लाया जा रहा है। इसी लोन आधारित शिक्षा व्यवस्था को लागू करने के कारण पूरे देश के विश्वविद्यालयों में बेतहाशा फीस वृद्धि हो रही है।”

उन्होंने कहा कि, “नई शिक्षा नीति में स्लेबस का 40 से 70 प्रतिशत ऑनलाइन कक्षाओं के रूप में संचालित किए जाने का प्रावधान गरीब बच्चों को शिक्षा से बाहर करने का रास्ता खोलेगा। साथ ही नीति सामाजिक न्याय की अवधारणा को भी पूरी तरह नकारते हुए वंचित वर्गों को आरक्षण और छात्रवृत्ति दिए जाने का कोई जिक्र तक नहीं किया गया है। इस तरह से यह नई शिक्षा नीति सामाजिक न्याय की संवैधानिक बाध्यता का सीधा उल्लंघन करती है।”

आइसा के राष्ट्रीय महासचिव ने आगे कहा कि, “बड़े पैमाने पर निजीकरण को बढ़ावा देते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 चतुराई से संसाधनों की कमी को सिद्ध करना चाहती है। संसाधनों की कमी के झूठ को 1835 के मैकाले के दास्तावेज़ से ही प्रचारित किया जाता रहा है। यह इसलिए किया जाता रहा है कि उच्च वर्ग का आधिपत्य ज्ञान, रोजगार और समाज पर बरकरार रहे। शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विकास के सामाजिक क्षेत्र में पर्याप्त संसाधन की गैर-मौजूदगी संसाधनों की कमी की वजह से नहीं है। यह तो राजनीतिक प्रतिबद्धता की कमी की वजह से है। जिसके लिए स्वयं केंद्र सरकार जिम्मेदार है जो शिक्षा के केंद्रीय बजट में लगातार कटौती कर रही है।”

ऐक्टू नेता डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति के मायने हैं शिक्षा का निजीकरण- कॉरपोरेटीकरण; शिक्षा का सांप्रदायिकीकरण; इतिहास का मिथकीकरण; सरकार का शिक्षा की ज़िम्मेदारी से पूरी तरह हाथ खींच लेना और शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सचेत दूरी बनाना है। इसका सीधा अर्थ है कि महंगी और अवैज्ञानिक शिक्षा और शिक्षा पर बड़े पूंजीपति वर्ग का बढ़ता कंट्रोल। इसके कारण देश के वंचित वर्गों के बड़े पैमाने पर शिक्षा से बेदखल होने की संभावना बढ़ गई है। इसलिए इस शिक्षा नीति को रद्द किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि, “शिक्षा और रोजगार राज्य की ज़िम्मेदारी नहीं है यह घोषणा करते हुए सरकार को अलग करने की शुरुआत ने शिक्षा को कॉरपोरेट जगत के हवाले करने और रोजगार को और रोजगार के अवसरों खत्म करने तक पहुंचा दिया है। इसकी शुरुआत तो नई आर्थिक नीतियों के रूप में 90 के दशक से हो गई थी लेकिन बीजेपी ने इसमें शिक्षा का सांप्रदायीकरण और इतिहास का मिथकीकरण जोड़ कर वैज्ञानिक शिक्षा को खत्म किया जा रहा है।”

संगोष्ठी में वरिष्ठ शिक्षाविद प्रो. अनिल सदगोपाल द्वारा भेजे गए लिखित वक्तव्य का भी वाचन किया गया। प्रो. सदगोपाल के अनुसार नई शिक्षा नीति भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से को शिक्षा से वंचित कर गुलामगिरी की ओर धकेलने का कॉर्पोरेट घराने का एजेंडा है जिसे कार्पोरेटपरस्त मोदी सरकार ने लागू किया है। इस नीति ने संविधान की संघीय संरचना को सिरे से खारिज करते हुए संविधान की मूल प्रस्तावना की ही अवहेलना की है।

संगोष्ठी में 8 प्रस्ताव पारित किए गए:

  1. सार्वजनिक शिक्षा पर सकल बजट का कम से कम 10 प्रतिशत खर्च किया जाय।
  1. सरकार नई शिक्षा नीति 2020 को तत्काल वापस ले और कोठारी आयोग की अनुशंसा के क्रम में पड़ोसी स्कूल की अवधारणा के तहत सरकारी खर्च पर समान स्कूल प्रणाली लागू की जाए।
  2. शिक्षा को भारतीय संविधान के अनुरूप धर्मनिरपेक्ष,वैज्ञानिक मूल्यों को बढ़ाने वाली,समतामूलक बनाने की गारंटी की जाय।
  3. शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाय।
  1. सभी को मुफ़्त और समान शिक्षा राज्य की ज़िम्मेदारी हो।
  2. कुमाऊं विश्वविद्यालय समेत सभी विश्विद्यालयों में सेल्फ फाइनेंस नहीं सिर्फ सरकारी पाठ्यक्रम चलें।
  3. देहरादून में बेरोजगारों पर लाठीचार्ज के दोषियों को सजा दी जाए और राज्य में हुई सभी भर्तियों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो।
  4. जोशमठ आंदोलन के प्रति एकजुटता जाहिर करते हुए तत्काल राहत और पुनर्वास की मांग करते हैं।

23 मार्च शहीदे आज़म भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव के शहादत दिवस से लेकर 14 अप्रैल डा. अंबेडकर जयंती तक आइसा के राष्ट्रीय अभियान “सांप्रदायिक नफ़रत नहीं, शिक्षा रोजगार की गारंटी करो” जिले में भी चलाया जाएगा जिसमें मुख्य केंद्रों में कार्यक्रम आयोजित किए जाने और भगत सिंह और अंबेडकर के विचारों को व्यापक रूप से प्रचारित करने का संकल्प लिया गया। 23 मार्च को आइसा के नैनीताल जिला सम्मेलन करने की भी घोषणा की गई। मेघा आर्या द्वारा गाये गए गीत से समापन हुआ।

संगोष्ठी में रचनात्मक शिक्षक मंडल के नंद राम आर्य, किसान संघर्ष समिति के ललित उप्रेती, आइसा के नैनीताल जिला संयोजक धीरज कुमार, इंकलाबी नौजवान सभा की सह संयोजक रेखा आर्य, पूर्व आइसा नेता ललित मटियाली, किसान नेता महेश जोशी आदि ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर विकास सक्सेना, तानिया अधिकारी, आकांक्षा सुंदरियाल संजना यादव, मेघा आर्य ,प्रीति कुमारी, ऋतु यादव, सुहानी कोहली, मनीषा, गोविन्द राजभर, प्रीति यादव, हिमानी, आरजू, कंचन, सानिया अधिकारी, मनीष कुमार,अर्जुन कुमार समेत बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद रहे। संगोष्ठी का संचालन आइसा के नगर अध्यक्ष सुमित ने किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।

ग्राउंड रिपोर्ट: बढ़ने लगी है सरकारी योजनाओं तक वंचित समुदाय की पहुंच

राजस्थान के लोयरा गांव में शिक्षा के प्रसार से सामाजिक, शैक्षिक जागरूकता बढ़ी है। अधिक नागरिक अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण आर्थिक कमजोरी के बावजूद हुई है, कुछ परिवार अभी भी सहायता से वंचित हैं।

Related Articles

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।

ग्राउंड रिपोर्ट: बढ़ने लगी है सरकारी योजनाओं तक वंचित समुदाय की पहुंच

राजस्थान के लोयरा गांव में शिक्षा के प्रसार से सामाजिक, शैक्षिक जागरूकता बढ़ी है। अधिक नागरिक अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण आर्थिक कमजोरी के बावजूद हुई है, कुछ परिवार अभी भी सहायता से वंचित हैं।