छत्तीसगढ़ के रायपुर में 20 सितम्बर से भोजन एवं काम के अधिकार पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा है। सम्मेलन आज संपन्न होगा। इस अधिवेशन में 16 राज्यों से 1000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। अधिवेशन की शुरुआत एक रैली से हुई जो बूढ़ा तालाब से चलकर बैरन बाजार चर्च पे ख़त्म हुई। इसके बाद आदिवासी नृत्य क साथ सम्मलेन की शुरुआत हुई, जिसके बाद छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़े, शहीद स्कूल, बिरगांव के बच्चों ने किसानों के मुद्दों को ऐतिहासिक सन्दर्भ के साथ प्रस्तुत किया जिसमे हाइब्रिड बीज, कीटनाशक का इस्तेमाल, ब्याज, ज़मीन के अधिकार एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर चर्चा की।
इसके बाद महिला मुक्ति मोर्चा के साथियों ने अपनी बात रखी, जिसमे छत्तीसगढ़ में विभिन्न औद्योगिक प्रोजेक्टों एवं कोयला खनन के कारण हो रहे विस्थापन का मुद्दा उठाया। साथ ही पुनर्वास नीति की कड़ी निंदा की। उन्होंने इस मुद्दे पर भी प्रकाश डाला की कैसे पर्यावरण मंत्रालय की पुनर्वास एवं पर्यावरण को हो रही हानि की चिंता को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। साथ ही भोजन के अधिकार एवं वन संसाधन के मुद्दे पर भी चर्चा की। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कमियों पर चर्चा रखी जैसे राशन में निजी डीलर, केरोसीन व शक्कर न मिलना आदि, जिससे शहरी क्षेत्र में आज भी कुछ लोग पी डी एस सेवा से वंचित रह जाते है।
इसके बाद संघर्ष समिति, छत्तीसगढ़ से जुड़ी हुई कंचन और कामिनी ने ट्रांसजेंडर समुदाय के खाद्य सुरक्षा एवं रोजगार से जुड़े हुए मुद्दों पे बाद कही, और सबके सामने ये भी कहा की माननीय उच्चतम न्यायलय के आदेश के बाद भी सरकार ने ट्रांसजेंडरों के अधिकारों की दिशा में एक भी कदम नहीं बढ़ाया। उन्होने ये भी कहा की ट्रांसजेंडर आंदोलन का सन्दर्भ भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की भोजन के अधिकार का आंदोलन, और बिना जनता के समर्थन के हमारा आंदोलन भी आगे नहीं बढ़ पायेगा।
दोपहर के सत्र में रोज़ी रोटी अधिकार अभियान की राष्ट्रीय समन्वयक एवं पी.यू.सी.एल से कविता श्रीवास्तव ने देश में बढ़ते नफरत के माहौल और दमन के माहौल पर बात रखी। उल्का माहाजन और अंजलि भारद्वाज ने संकुचित होती लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रकाश डाला, अंजलि ने बताया कि कैसे सूचना के अधिकार कानून के साथ छेड़ छाड़ की जा रही है कमजोर करने के उद्देश्य से। दीपिका और इंदु नेताम ने बस्तर में बढ़ते कॉरपोरेट परस्त सरकार के दमन, संसाधनों की लूट और बस्तर में सुरक्षा बलों द्वारा यौनिक हिंसा की घटनाएं बताई। सोपान जोशी ने गांधी की विचारधारा को संघर्ष की लड़ाई में लाने के महत्व पर बात रखी। राजस्थान से आए भंवर मेघवंशी ने कहा कि जब हम रोज़ी रोटी की बात कर रहे है, तो यह पूछना जरूरी है कि कश्मीर में लोगों की रोज़ी रोटी कैसे चल रहा है? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि दलितों के खाना सत्ता कैसे तय कर सकती है? दलित बच्चों के साथ मध्याह्न भोजन में जो भेदभाव होने की बात रखी। उन्होने ये भी सवाल उठाया की दलितों के खाना सत्ता कैसे तय कर सकती है? दलित बच्चों के साथ मध्याह्न भोजन में जो भेदभाव होने की बात रखी।
अंत में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़े सांस्कृतिक समूह रेला द्वारा प्रस्तुति दी गया। सभी प्रतिभागियों ने लोकतंत्र के संकुचित होते दायरे और दमन के माहौल के संघर्ष करते रहने का संकल्प किया।
Create an account
Welcome! Register for an account
A password will be e-mailed to you.
Password recovery
Recover your password
A password will be e-mailed to you.
जनचौक से जुड़े
Subscribe
Login
0 Comments