Thursday, April 18, 2024

ममता ने चला बड़ा दांव, अधिकारी परिवार के गढ़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का किया एलान

भाजपा के जवाब में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मास्टर स्ट्रोक चला है। उन्होंने अधिकारी परिवार के गढ़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। हाल ही में भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी इसी सीट से विधायक चुने गए थे। शुभेंदु अधिकारी ने पलट जवाब देते हुए दावा किया है कि वह भी इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे और ममता बनर्जी को पचास हजार वोटों से हराएंगे। नाकाम रहा तो राजनीति को अलविदा कह दूंगा।

ममता बनर्जी दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर सीट से विधायक हैं। उनकी इस अप्रत्याशित घोषणा का किसी ने कयास भी नहीं लगाया था। यहां तक कि 18 जनवरी को नंदीग्राम में उनकी सभा में जुटी भारी भीड़ को भी इसका कोई अंदाजा नहीं था। ममता बनर्जी ने भीड़ को भी चौंका दिया। करीब 5 साल बाद ममता बनर्जी नंदीग्राम आईं थीं। ममता बनर्जी ने पहले तो भीड़ के साथ संवाद कायम किया और फिर पूछा कि अगर मैं यहां से चुनाव लड़ूं तो कैसा रहेगा। तालियों की गड़गड़ाहट ने उनके इस सवाल पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी।

इसके बाद ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। ममता बनर्जी की इस अप्रत्याशित घोषणा से भाजपा में हलचल तेज हो गई है। दरअसल भाजपा नेताओं की नजर शुभेंदु अधिकारी पर काफी समय से थी। भाजपा नेताओं की रणनीति है कि शुभेंदु अधिकारी के साथ ही पूरे अधिकारी परिवार को अपने खेमे में लेकर पूर्व मिदनापुर की 16 पश्चिम मिदनापुर की 19 और पुरुलिया की नौ विधानसभा सीटों पर अपना कब्जा जमा ले।

जाहिर है कि 44 सीटों का चुनाव परिणाम इस कांटे की टक्कर में बहुत मायने रखता है। यहां गौरतलब है कि शुभेंदु अधिकारी और शाउमेंदू अधिकारी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जबकि कंथी से तृणमूल सांसद एवं शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी और तमलुक से तृणमूल सांसद एवं शुभेंदु अधिकारी के भाई दिब्येंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने की रस्म अदायगी भर बाकी रह गई है। मिदनापुर से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष सांसद हैं। इसके साथ ही पुरुलिया से भाजपा के ज्योतिर्मय सिंह महतो सांसद हैं।

यह गणित भाजपा को बहुत भा रहा था और उसे उम्मीद थी कि इन 44 सीटों में से अधिकांश पर वह कबजा जमा लेगी। यहां याद दिला दें कि फिलहाल विधानसभा में भाजपा के तीन विधायक और उनमें से कोई भी इन जिलों से नहीं चुना गया है। ममता बनर्जी इस तथ्य से वाकिफ हैं कि 2019 का लोकसभा चुनाव उग्र राष्ट्रवाद के नाम पर लड़ा गया था और फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है, इसलिए ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से जुड़े जज्बात को बनाने का फैसला लिया है।

तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने नंदीग्राम में 2007 में एक केमिकल हब बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण करने का फैसला लिया था। किसान इससे सहमत नहीं थे और भूमि प्रतिरोध कमेटी बनाकर इसका विरोध कर रहे थे। विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चलाई और उसमें 14 किसान मारे गए थे। पश्चिम बंगाल में इस घटना के खिलाफ एक जबरदस्त माहौल बन गया था। ममता बनर्जी ने इसके खिलाफ पुरजोर आंदोलन किया और शुभेंदु अधिकारी उन दिनों इनके कॉमरेड हुआ करते थे। यहीं से मां माटी मानुष नारे का उदय भी हुआ था।

ममता बनर्जी अब नंदीग्राम सहित पूर्व एवं पश्चिम मिदनापुर से जुड़े भावनात्मक लगाव को भुलाने की कोशिश करते हुए पुरानी यादों को ताजा करेंगी। इससे भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी, क्योंकि पुरानी यादों से हो सकता है सारे गिले-शिकवे दूर हो जाएं। इसके अलावा दिल्ली की सीमा पर किसानों के जमावड़े का अंजाम भी बंगाल के चुनाव को प्रभावित करेगा। अभी तो 26 जनवरी सामने है और बंगाल में विधानसभा के चुनाव अप्रैल और मई में होने हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पश्चिम बंगाल में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

ग्राउंड रिपोर्ट: बढ़ने लगी है सरकारी योजनाओं तक वंचित समुदाय की पहुंच

राजस्थान के लोयरा गांव में शिक्षा के प्रसार से सामाजिक, शैक्षिक जागरूकता बढ़ी है। अधिक नागरिक अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण आर्थिक कमजोरी के बावजूद हुई है, कुछ परिवार अभी भी सहायता से वंचित हैं।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

ग्राउंड रिपोर्ट: बढ़ने लगी है सरकारी योजनाओं तक वंचित समुदाय की पहुंच

राजस्थान के लोयरा गांव में शिक्षा के प्रसार से सामाजिक, शैक्षिक जागरूकता बढ़ी है। अधिक नागरिक अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण आर्थिक कमजोरी के बावजूद हुई है, कुछ परिवार अभी भी सहायता से वंचित हैं।