Friday, April 19, 2024

जौहर विश्वविद्यालय को महफूज रखने के लिए राष्ट्रपति से गुजारिश

अहमदाबाद। शनिवार को दलित नेता एंव विधायक जिग्नेश मेवानी के संगठन दलित मुस्लिम एकता मंच और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच की माइनॉरिटी विंग ने अहमदाबाद के ज़िला कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को आवेदन देकर मांग की है कि राष्ट्रपति स्वयं मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के खिलाफ हो रहे राजनैतिक षड्यंत्र को देखें और उसे सांप्रदायिक शक्तियों से बचाएं। ताकि यूनिवर्सिटी को बंद करने का मंसूबा कामयाब न हो सके। आवेदन में विस्तार से यूनिवर्सिटी के चांसलर आज़म खान पर लादे जा रहे मुक़दमों और यूनिवर्सिटी में बिना किसी अदालती कागज़ के छापे और षड्यंत्र का जिक्र किया गया है। गौरतलब है कि जौहर यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला हुआ है। भारत में अलीगढ़ और जामिया के बाद जौहर तीसरी बड़ी यूनिवर्सिटी है जिसे यह दर्जा मिला है। अलीगढ़ और जामिया की स्थापाना आजादी से पहले हुई थी। जबकि जौहर यूनिवर्सिटी आजादी के 59 साल बाद।

योगी सरकार द्वारा जौहर यूनिवर्सिटी पर हमले से पूरा देश चिंतित है। और यूनिवर्सिटी के खिलाफ योगी सरकार के रवैये की निंदा हो रही है। आज़म खान ने एक इंटरव्यू में बताया कि एसपी और डीएम ने यूनिवर्सिटी को लूट लिया है ट्रक में भरकर सामान ले गए। 300 साल पुरानी कुरान और 250 साल पुरानी महाभारत  लूट ले गए। महिला प्रोफेसर को गालियां दीं जिन लोगों ने उन्नाव की बेटी को नहीं छोड़ा वह बेटियों को कैसे पढ़ने देंगे। मेडिकल कॉलेज बंद है। हॉस्पिटल बंद है। 10000 छात्रों का भविष्य खतरे में है। स्टाफ को यूनिवर्सिटी से बाहर कर दिया गया।”

जिग्नेश मेवानी ने सरकार के रवैये को मुस्लिम विरोधी बताया 

दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने आज़म खान और जौहर यूनिवर्सिटी विवाद पर जनचौक को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “मैं तो पहले से कह रहा हूं इस सरकार का जो नारा है सबका साथ सब…… का अर्थ है ‘ सब का साथ सब का विकास और सब का विशवास’ माईनस दलित, आदिवासी और मुस्लिम” जिनकी सोच ऐसी हो वह कभी नहीं चाहेंगे दलित, मुस्लिम और आदिवासी अच्छी शिक्षा पा सकें। जौहर यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी है इसीलिए भाजपा शासन वाली सरकार जौहर यूनिवर्सिटी को निशाने पर लिए हुए है। आज़म खान ने यूनिवर्सिटी बनाने में मुख्य किरदार अदा किया है तो वह अभी आज़म खान केवल भू माफिया घोषित हुए हैं देखते रहिए आगे और क्या क्या घोषित होंगे। मैं उत्तर प्रदेश सरकार के कदम की निंदा करता हूं। यूनिवर्सिटी बंद नहीं की जाएगी ऐसी आशा करता हूँ।”

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को 1920 में पार्लियामेंट के माध्यम से कानून पारित कर अल्पसंख्यक समुदाय को बेहतर शिक्षा के उद्देश्य से यूनिवर्सिटी बनाया गया था। यूनिवर्सिटी की बुनियाद सर सैय्यद अहमद खान ने शुरुआत में मदरसतुल उलूम के नाम से रखी थी जिसे कुछ समय बाद 1875 में ही उसका नाम मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज कर दिया गया। 1898 में अहमद खान का देहांत हो गया। लेकिन शिक्षा का यह आन्दोलन जिसे अलीगढ़ तहरीक कहते है नहीं रुका। सर सैय्यद की अलीगढ़ तहरीक को आगे बढ़ाने में केवल मुस्लिम चिंतक या निज़ाम ही नहीं बल्कि कई हिन्दू राजे महाराजे और अंग्रेज़ भी आगे बढ़ कर अपना योगदान दिए। परिणाम स्वरूप 1920 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनी जिसे हम आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) कहते हैं। माइनॉरिटी स्टेटस होने के कारण एएमयू हमेशा सांप्रदायिक शक्तियों के निशाने पर रहती है।

जामिया मिलिया इस्लामिया

1920 में अलीगढ़ में ही एक और यूनिवर्सिटी की बुनियाद रखी गई जिसका नाम है जामिया मिलिया इस्लामिया। जामिया की स्थापना के बारे में कहा जाता है इस यूनिवर्सिटी की बुनियाद वैचारिक मतभेद के कारण रखी गई। उस समय कांग्रेस से सहमत और वैचारिक रूप से एकमत कुछ नेताओं ने जामिया की बुनियाद रखी थी। इनके नाम कुछ इस प्रकार हैं। मौलाना मोहम्मद अली जौहर, शेखुल हिंद मौलाना महमूद हसन, हकीम अजमल खान, डॉ. मुख्तार अंसारी, अब्दुल मजीद ख्वाजा और डॉ. जाकिर हुसैन। ये लोग इतिहास के बड़े तथा जामिया के संस्थापक सदस्य हैं। 1925 में जामिया को अलीगढ़ से दिल्ली के करोल  बाग और फिर 1935 में उसे ओखला स्थानांतरित कर दिया गया था। आज यह दोनों यूनिवर्सिटियां देश की बेहतरीन यूनिवर्सिटी हैं। साथ ही देश के अल्पसंख्यकों को यह मलाल भी है कि आज़ाद भारत में मुस्लिमों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पाये की यूनिवर्सिटी बनाने का प्रयत्न किसी सरकार ने नहीं किया। पांच दशक बाद उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार और प्रदेश के कद्दावर नेता और सांसद आज़म खान के प्रयत्न से रामपुर में स्वतन्त्रता सेनानी मोहम्मद अली जौहर के नाम से यूनिवर्सिटी बनाई गई 

मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय 

 मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी रामपुर में मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, (यूजीसी) द्वारा मान्यता प्राप्त 2006 में स्थापित किया गया था इसके चांसलर सांसद आज़म खान हैं। इसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2012 में विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया था। इस पर 28 अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCMEI) द्वारा अल्पसंख्यक का दर्जा मई 2013 को दिया गया था। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता  कि इस यूनिवर्सिटी की स्थापना में आज़म खान का बड़ा किरदार रहा है और उन्हीं के हौसले का परिणाम है। लेकिन समाजवादी पार्टी, अखिलेश और मुलायम का यह अल्पसंख्यकों के लिए पायलट प्रोजेक्ट था बिना समाजवादी सरकार के यह असंभव था। जौहर यूनिवर्सिटी के बिल पर हस्ताक्षर करने वाले पूर्व राज्यपाल अज़ीज़ कुरेशी ने मीडिया से बात चीत में भी कहा है कि “आज़म खान पर ज्यादती हो रही है यूनिवर्सिटी बनाने का क्रेडिट मुलायम सिंह को जाता है जिनकी हिम्मत से बिल पास हुआ और यूनिवर्सिटी बनी।” 

मुस्लिम विरोधी नफरत की राजनीति के कारण यूनिवर्सिटी को ढाने का षड्यंत्र

उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य नफीसुल हसन जो 1973 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी कैरेक्टर के आन्दोलन में डॉ. फरीदी के साथ जेल भी गए थे, उहोंने जनचौक से टेलीफोनिक बात चीत में कहा कि “आज़म खान का एक बहुत लंबा राजनैतिक इतिहास है रामपुर से नव बार विधायक, राज्य सभा सदस्य और पांच बार कबीना के मंत्री रहे हैं फिर भी भाजपा अभी तक इन्हे आर्थिक चोर साबित नहीं कह पाई। तो किताब चुराने का आरोप लगा दिया। यह वही पुलिस है जो लोगों के घरों में चरस गांजा रख कर दुश्मनी निकालती है। पुलिस से यह सब करवाया जाता है। निर्देश देने वाले दूर बैठे हैं हम सभी लोग आन्दोलन से निकले लोग हैं घबराने वाले नहीं हैं। सरकारें आती जाती रहती हैं मौजूदा सरकार चंद दीवारों को गिरा कर किसी गलत फहमी में न रहे। वह गिराएंगे तो अगली सरकार फिर से बना देगी गिराने बनाने की राजनिति में केवल राज्य का नुकसान होगा। ” 

राष्ट्रपति को दिये आवेदन में मांग की गई है महामहिम खुद रामपुर में हो रही घटनाओं का संज्ञान लेते हुए जौहर यूनिवर्सिटी और सत्ता पक्ष द्वारा आज़म खान को प्रताड़ित किया जाना बंद हो रामपुर में हो रही घटनाओं का विस्तार से बताया गया है। 

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