Saturday, April 20, 2024

सरकार की वादा खिलाफी से आक्रोशित मनरेगा कर्मियों की हड़ताल की धमकी

झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि पूरा देश और प्रदेश कोरोना महामारी के भयंकर प्रकोप से प्रतिदिन जूझ रहा है, ऐसे समय में सरकार के साथ संघ का तोल-मोल करने की मंशा बिल्कुल भी नहीं है। लेकिन सरकार के निष्ठुर और असंवेदनशील रवैये की वजह से और बार-बार सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन को पूरा न करने के मद्देनजर तथा कोरोना वायरस के सम्भावित खतरे के दृष्टिगत सामाजिक सुरक्षा एवं जीवन बीमा के लिए हम मनरेगा कर्मी गुहार लगा रहे हैं I 

वर्ष 2020-21 में एवं उसके पूर्व विश्वनाथ भगत, ज्योति सल्गी एक्का, ओविदन टूड्डु, दुलाल सिंह मुण्डा, एवं धनन्जय पुरान सहित कई लोगों की मृत्यु कार्य बोझ, मानसिक दबाव, हाइपर टेंशन एवं इलाज के अभाव में हो गई। लेकिन सरकार ने उनके आश्रितों को एक रुपये भी मुआवजा अथवा बीमा के रूप में नहीं दिया है, इसी आक्रोश के कारण राज्य के सभी मनरेगा कर्मियों ने पिछले 27/07/2020 से 10/09/2020 तक अनिश्चितकालीन हड़ताल किया था। हड़ताल के दौरान संगठन के शीर्ष नेतृत्वकर्ता प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडेय और धनबाद जिला अध्यक्ष मुकेश राम को बर्खास्त कर दिया गया। बहरहाल 10/09/2020 को राज्य के मनरेगा कर्मियों ने सरकार के आश्वासन पर भरोसा करके काम पर लौटने का निर्णय लिया था। लेकिन हड़ताल टूटने के 8 माह बाद भी सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन (दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा, मृत मनरेगा कर्मियों के आश्रित को मुआवजा, मानदेय बढ़ोत्तरी, महँगाई भर्ती एवं अन्य मांगों को एक से डेढ़ माह में पूरा करने का आश्वासन दिया गया था) जो आज तक पूरा नहीं किया गया।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर वर्ष 2021 ने हमारे  छः साथियों को एक-एक करके निगल लिया है, जिनमें 1. अरुणा लकड़ा (राँची), 2. संतोष चौरसिया ( धनबाद), 3. प्रभा एक्का (सिमडेगा), 4. मो0 शमशेर अंसारी (गिरिडीह), 5. जगदीश तिर्की (राँची) और 6. लिट्टू उरांव ( राँची) शामिल हैं।

बिना सुरक्षा, बिना बीमा एवं अन्य सुविधाओं के मनरेगा कर्मियों से कोरोना ड्यूटी ली जा रही है, जिससे कई मनरेगा कर्मी प्रतिदिन संक्रमित हो रहे हैं, साथ ही साथ अपने परिवार को भी संक्रमित कर रहे हैं। जिस कारण कई कर्मियों के परिवार के सदस्यों की भी मृत्यु हो गई है। साथ ही अर्थाभाव के कारण इलाज नहीं करा पाने से उनकी स्थित दिन व दिन बिगड़ती जा रही है। राज्य के मनरेगा कर्मी सरकार की वादा खिलाफी और साथियों के मृत्यु से आक्रोशित होकर अपनी जान बचाने के लिए पुन: हड़ताल पर जाने की मांग कर रहे हैं। बावजूद इसके संघ की ओर से मांग पूरा करने के लिए सरकार को लिखे गए पत्र को सरकार द्वारा बार बार हल्के में लिया जा रहा। अभी तक सरकार की ओर से मनरेगा कर्मियों के लिए किसी तरह की कोई सार्थक पहल नहीं की गयी है।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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