देहरादून। करीब चार दशक पहले साल 1985 में जब ओडिशा के कालाहांडी इलाके में पेट पालने के लिए अपनी 14 वर्षीय ननद को चालीस रुपए में बेचने वाली महिला फनस पुंजी की खबर देश-दुनियां के अखबारों की सुर्खियां बनकर भारत के लिए वैश्विक शर्मिंदगी की वजह बनी थी। तब से अब तक विचलित कर देने वाली इस तरह की खबरों का सिलसिला नहीं थमा।
इस महिला से मिलने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ‘विकास के लिए दिल्ली से चले एक रुपए में से गांव तक पंद्रह पैसे ही पहुंच पाते हैं’ जैसी जिस कड़वी सच्चाई से देश का सामना कराया था, वह अभी भी बरकरार है। खबर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले से है, जहां चार दिन से भूख से बेहाल बच्चों से नजरें मिलाने का साहस न जुटा पाने के कारण मां ने उन्हें सल्फास खिलाकर उनके साथ अपनी भी जान दे दी।
घर से बदबू आई तो घटना का पता चला
16 मार्च की शाम की बात है जब जोशीगांव में गोविंद बिष्ट के बंद मकान के पास कुछ युवक पानी की लाइन ठीक करने पहुंचे तो उन्हें वहां दुर्गंध का एहसास हुआ। मूल रूप से कपकोट के भनार गांव निवासी एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति भूपाल राम का परिवार इस मकान में किराये पर रहता था। गांव वालो से यह सूचना पुलिस को पहुंची। मौके पर पहुंची पुलिस दरवाजा तोड़कर घर में दाखिल हुई।
घर के अंदर भूपाल राम की पत्नी नीमा देवी (40), बेटी अंजलि (14), बेटा कृष्णा (8), बेटा भाष्कर (5-6 माह) के सड़े गले शव बरामद हुए। मौके पर भूपाल राम के मौजूद नहीं होने पर पहले उसी पर हत्या का संदेह जताया गया। भूपाल राम जिन गोविंद बिष्ट के मकान में परिवार के साथ किराए में रह रहा था वह गोविंद बिष्ट देहरादून में रहते हैं।
होली के दिन से इस परिवार के किसी सदस्य को ग्रामीणों ने नहीं देखा था, जिस वजह से माना गया कि होली के दिन आठ मार्च को चारों की मौत हुई होगी। पुलिस ने सभी शवों का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया। गोमती सरयू के घाट पर दो बच्चों और मां की चिता जलाई गई। छः माह के छोटे बच्चे को दफना दिया गया।
कर्ज के जाल में गहरे तक फंसा है भूपाल राम
इस घर के मुखिया भूपाल राम का रोम रोम कर्जे में फंसा हुआ है। भूपाल राम पहले किसी सैन्य अधिकारी के घर पर खाना बनाया करता था। कोविड के बाद से वह बेरोजगार हुआ तो लोगों से कर्जा लेना शुरू कर दिया। कर्ज की मियाद पूरी होने पर उसने लोगों को सेना में नौकरी लगवाने का झांसा देकर भी पैसे लेना शुरू कर दिया। धीरे धीरे कर्जदारों का घर पर आना शुरू हुआ तो भूपाल राम घर से गायब रहने लगा। ऐसे में कर्जदार भूपाल के परिजनों से कर्जे की मांग करने लगे।
भनार के प्रधान भूपाल आर्या के अनुसार भूपाल राम की सबसे बड़ी बेटी पूजा (17) बचपन से ही अपने चाचा मनोहर राम के साथ हल्द्वानी में रहती है। प्रधान के अनुसार पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने कभी भी भूपाल राम को गांव में नहीं देखा। वह करीब 15 साल से बाहर ही रहता था। भूपाल राम के पिता हर राम, माता उदिमा देवी भनार गांव में रहते हैं।
प्रधान के अनुसार भूपाल की माता-पिता से भी नहीं बनती है। एसपी हिमांशु कुमार वर्मा के अनुसार भूपाल राम ने तीन चार महीने पहले अपना मोबाइल फोन भी बेच दिया था। उसके पास खाने के पैसे भी नहीं थे। घर में राशन भी नहीं था। वह एक मार्च से बच्चों के साथ भी नहीं था। वह उधारी का पैसा मांग रहे लोगों से बचने की कोशिश में अपने गांव की तरफ चला गया था।
भूपाल के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा भी दर्ज हो चुका है
परिवार के मुखिया भूपाल राम के खिलाफ कोतवाली में धोखाधड़ी का केस दर्ज है। पुलिस के अनुसार, वह कई लोगों से ठगी कर चुका था। एक महिला से उसने उसके बेटे को नौकरी में लगाने का झांसा देते हुए रुपये भी लिए थे। इसकी प्राथमिकी भी कोतवाली में दर्ज है। छह महीने पहले ही उससे समझौता हो गया था, लेकिन वह पैसों के लिए लगातार दबाव बना रही थी।
घर में नहीं मिला राशन का एक दाना
एक ही परिवार के चार लोगों की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए माथापच्ची कर रही पुलिस शुक्रवार को एक बार फिर घटनास्थल पर पहुंची। घर की हालत देखकर पुलिस भी दंग रह गई। किचन का बारीकी से मुआयना किया गया तो रसोई में रखा राशन का हर बर्तन खाली पड़ा था।
पेट की आग बुझाने के लिए जरूरी आटा, चावल, तेल, नमक जैसी कोई भी सामग्री रसोई में नहीं थी। घर में गैस का चूल्हा तो था, लेकिन सिलिंडर नहीं था। कुल मिलाकर मौत की आगोश में गए इस परिवार के पास न तो अपनी भूख मिटाने के लिए खाने लायक राशन का कोई दाना ही था और न ही भोजन बनाने के लिए आग का कोई साधन।
सुसाइड नोट से मौत का हुआ खुलासा
पुलिस ने पूरा जोर लगाते हुए घर की बारीकी से जांच की तो घर में एक चटाई के नीचे 12 पेज का एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली 14 साल की अंजली ने इस नोट में परिवार की मौत के सारे राज से पर्दाफाश कर दिया है। सुसाइड नोट के अनुसार आर्थिक तंगी और देनदारी से परिवार परेशान था। लोग पैसा मांगने घर आ रहे थे। उनकी मां मानसिक रूप से परेशान और दवाब में थी।
पिता घर पर आ रहे पैसा मांगने आने वालों से परेशान थे। सुसाइड नोट में घर आकर पैसा मांगने वाले कुछ लोगों के नाम भी लिखे हुए हैं। मृतका की बेटी अंजलि ने लिखा है कि उसकी मां सल्फास लेकर आई है। वह आर्थिक तंगी और देनदारी से परेशान है। उनके परिवार वाले अच्छे हैं। उनके चाचा को उनके शव सौंप देना। पत्र में स्थानीय पुलिस के ऊपर भी आरोप लगाते हुए परिवार को प्रताड़ित करने की बात के अलावा भी बहुत कुछ लिखा है।
इस सुसाइड नोट के आधार पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने पर एक महिला के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए आरोपी थानाध्यक्ष कैलाश सिंह नेगी को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर किया है और एक महिला अधिकारी खत्री बिष्ट को थानाध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। पुलिस अधीक्षक हिमांशु कुमार वर्मा ने कहा कि सुसाइड नोट का अवलोकन करने के लिए टीम बना दी गई है।
सुसाइड नोट की राइटिंग मिलाने के लिए अंजलि की कॉपी भी ली गई है। जिसकी जांच राइटिंग एक्सपर्ट से कराई जाएगी। पुलिस का सहयोग नहीं मिलने पर एसएचओ को लाइन हाजिर कर दिया गया है। विवेचना कपकोट कोतवाली और सी.ओ. को सौंपी गई है। लापरवाही पर विभागीय जांच की जा रही है। विवेचना में अन्य तथ्य सामने आने अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
महिला आयोग ने डीएम, एसपी ने मांगी रिपोर्ट
परिवार के चार लोगों की मौत के बाद सोई हुई सरकार के सभी हिस्से नींद से जागने में लगे हैं। एक तरफ जहां जिला प्रशासन और पूरा पुलिस अमला सक्रिय है तो दूसरी तरफ राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ज्योति साह ने डीएम और एसपी से घटना की रिपोर्ट तलब की है। साह ने घटना को भयावह बताया है। उन्होंने घटना की रिपोर्ट दर्ज करने के भी निर्देश दिए हैं। मामला दलित परिवार का होने के कारण एक दो दिन में अनुसूचित जाति आयोग भी इसका संज्ञान ले सकता है।
मुफ्त अनाज के दावों की पोल खोलते भूखे पेट
केन्द्र के साथ ही राज्य सरकार का दावा हैं कि वह लोगों को हर महीने पांच किलो राशन मुफ्त मुहैया करा रही है। इस योजना का प्रचार प्रसार भी इस व्यापक पैमाने का है कि विश्व के किसी देश में पहली बार राशन के झोलों तक पर देश के प्रधानमंत्री की मुस्कुराती हुई तस्वीर नुमाया हो रही है। लेकिन उत्तराखंड के बागेश्वर में एक परिवार के चार लोगों में मां और तीन बच्चों की मौत ने सरकार के इन तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी दी। गरीबी और भूखमरी के चलते इस परिवार में एक मां ने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
भले ही इन मौतों में परिवार के मुखिया की कर्ज की आदत भी एक कारण हो लेकिन घर में अन्न का एक भी दाना न होने पर परिवार के चार लोगों की आत्महत्या की घटना ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या सरकार की योजनाओं का लाभ हर गरीब हो मिल रहा है या नहीं। यदि मिल रहा है तो इस परिवार के घर में राशन का एक दाना भी क्यों नहीं था। सवाल है कि सरकार क्या केवल महंगाई के चाबुक से लोगों को हांकने का काम करती रहेगी या लोगों के प्रति उसकी कोई जिम्मेदारी भी है।
(उत्तराखंड के बागेश्वर से सलीम मलिक की रिपोर्ट)